By: ABP News Bureau | Updated at : 08 Sep 2016 01:12 PM (IST)
नई दिल्ली: देश भर को एक बाजार बनाने वाली कर व्यवस्था, वस्तु व सेवा कर यानी जीएसटी को लेकर बड़ा काम पूरा हो गया है. जीएसटी से जुड़े संविधान संशोधन विधेयक पर राष्ट्रपति ने अपने हस्ताक्षर कर दिए है. मतलब, अब ये विधेयक, कानून बन गया है.
संविधान संशोधन विधेयक के कानून बनने का मतलब
क्या होगा जीएसटी काउंसिल का काम?
संसद और विधानसभाओं के बाहर जीएसटी के लिए कार्यकारी की तमाम प्रक्रियाओं को पूरी करने के लिए जीएसटी काउंसिल का गठन होना जरुरी है. इन प्रक्रियाओं में जीएसटी की दर, छूट के लिए वस्तु व सेवाओं की सूची तैयार करना और कर से जुड़े विवादों को निपटारा करना मुख्य रुप से शामिल है. काउंसिल के मुखिया केंद्रीय वित्त मंत्री होंगे जबकि वित्त राज्य मंत्री और तमाम राज्यों के वित्त मंत्री इसके सदस्य होंगे.
जीएसटी काउंसिल में राज्यों की कितनी होगी हिस्सेदारी?
काउंसिल में विभिन्न प्रस्तावों पर फैसला मत के आधार पर होगा. कुल मतों का दो-तिहाई हिस्सा राज्यों के पास होगा जबकि बाकी एक तिहाई केंद्र के पास होगा. फैसला तीन चौथाई मत के आधार पर होगा. पूरी व्यवस्था कुछ इस तरह बनायी गई है कि किसी के पास वीटो नहीं होगा. मतलब ये कि ना तो कोई राज्य और ना ही केंद्र अपने बल बुते पर किसी प्रस्ताव को रोक सकता है.करना होगा इन चुनौतियों का सामना-
उम्मीद है कि काउंसिल का गठन अगले कुछ दिनों के भीतर हो जाएगा जिससे जीएसटी लागू करने के लिए शुरुआती प्रक्रिया पर काम तेजी से हो सके. हालांकि सूत्रों का कहना है कि दर से कहीं ज्यादा मशक्कत छूट की सूची तैयार करने में हो सकती है. आज की तारीख में केंद्र की ओर से 95 और राज्य सरकारों की ओर से 350 सामान को कर से छूट मिली हुई है.
सेवाओं के मामले में एक निगेटिव लिस्ट है जिसमें शामिल सेवाओं को छोड़ बाकी सभी सेवाओं पर सर्विस टैक्स लगता है. अब केंद्र और राज्य सरकारों को मिलकर तय करना है कि कितने सामान और कितनी सेवाओं को जीएसटी के दायरे से बाहर रखा जाएगा और ये फैसला जीएसटी काउंसिल में होगा.
जीएसटी काउंसिल को इस बात पर भी मशक्कत करनी है कि कितना कारोबार करने वाले व्यापारियों को जीएसटी के दायरे में लाया जाए. वैसे तो इस बात के संकेत मिल रहे हैं कि 25 लाख रुपये तक का सालाना कारोबार करने वाले व्यापारियों को जीएसटी के लिए पंजीकरण नहीं करना होगा, लेकिन अभी भी कई राज्य चाहते है कि ये सीमा 10 लाख रुपये हो.
इसके साथ ही एक मुद्दा जुड़ा हुआ दोहने नियंत्रण का. ये बात चल रही है कि 25 लाख रुपये से 1.50 करोड़ रुपये तक सालाना कारोबार करने वाले व्यापारी राज्य सरकार के कार्यक्षेत्र में हो जबकि 1.5 करोड़ रुपये से ज्यादा का सालाना कारोबार करने वालों पर केंद्र और राज्य सरकार दोनो का ही नियंत्रण हो.
बुधवार को ही वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा था कि संविधान संशोधन विधेयक की अधिसूचना जारी करने और जीएसटी परिषद के गठन के बाद निश्चित तौर पर कुछ लंबित मामले हैं जिनका परिषद समाधान करेगी. उन्होंने कहा, ''हमारे पास ऐसा करने के लिए सितंबर, अक्तूबर का महीने और नवंबर का कुछ हिस्सा है. बहुत काम करना है.'' इसी के साथ जेटली ने कहा कि संसद के शीतकालीन सत्र में केंद्र सरकार जीएसटी से जुड़े दो विधेयक, सेंट्रल जीएसटी और इंटर स्टेट जीएसटी को पारित कराने की कोशिश करेगी.
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