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पहले सदस्यता खत्म, अब खाली कराया जा रहा बंगला, राहुल पर कार्रवाई की इतनी जल्दबाजी क्यों?

जिस तरह से मानहानि केस में राहुल गांधी के ऊपर कार्रवाई जल्दबाजी में की जा रही है, पहले सांसद सदस्यता खत्म और उसके बाद बगला खाली करने के लिए नोटिस... इसे आप डरे हुए लोगों की कार्रवाई कहिए या कायर लोगों की कार्रवाई कहिए इसे इसी रूप में देखा जा सकता है. क्योंकि जिस तरह से लगातार कार्रवाई हो रही है आखिर इतनी जल्दबाजी क्यों है? चूंकि जिसके परिवार वालों ने हजारों करोड़ रुपये की संपत्ति देश को दान कर दिया हो और उनके साथ इस तरह का व्यवहार की कल सांसद सदस्यता गई और आज मकान खाली कर दो. थोड़ी सी तो शर्म होनी चाहिए. इसलिए कह रहा हूं कि जब मैं कहीं भी देख पाता हूं चाहे वो सरकारी कंपनी में नौकरी करने वाले लोग हों. चाहे विधायक या सांसद हों उन्हें छह महीने का वक्त तो मिलना लाजमी है और इतनी जल्दबाजी क्या है? आप क्या समझ रहे हैं कि सदन से बाहर कर दिया तो सड़क पर जगह नहीं मिलेगी.

अगर आपने मकान छीन लिया तो क्या दिलों में जगह नहीं मिलेगी तो राहुल गांधी जी ने दिलों में जगह बनाई है और मुझे लगता है कि जो इस तरह की कार्रवाई है वो बहुत ही ओछी हरकत है. ये एक केंद्र सरकार को कभी शोभा नहीं देती है. एक समय था कि हमलोग विरोधी भी रहते थे तो सत्ता पक्ष के लोग सम्मान देते थे कि हां ये हमारी आंखें खोलने वाले लोग हैं. आप जानते हैं कि निंदक नियरे राखिए, ऑंगन कुटी छवाय, बिन पानी, साबुन बिना, निर्मल करे सुभाय तो मुझे लगता है कि इस तरह की बातों को शायद पढ़ा नहीं या समझा नहीं तो इस तरह की बात करके हमें लगता है कि लोकतंत्र का गला घोटने का काम किया जा रहा है.

राहुल पर एक्शन की जल्दबाजी क्यों?

कोई भी व्यक्ति पूरी ताकत के साथ पूरे हिंदुस्तान में इस सरकार के खिलाफ बोल नहीं रहा है और उनको ये डर लगता है कि भविष्य के प्रधानमंत्री राहुल गांधी हो सकते हैं तो इनको कैसे कुंद किया जाए. आपने देखा होगा कि पहले सोशल मीडिया पर किस तरह से उनको नाम देकर के बदनाम करने की कोशिश की गई है. उन्हें छोटा साबित करने की कोशिश की गई. लेकिन जितना ही ये लोग उन्हें छोटा करने का प्रयास करते गए उतने ही हम बड़े होते चले गए. आज देश में अगर कोई प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी और अडानी की यारी का उसका कोई खुल्लासा कर रहा है तो वो राहुल गांधी हैं और उनके नेतृत्व में हम सब लोग कर रहे हैं. उस बात से डर करके इस तरह की कार्रवाई कर रहे हैं, लेकिन हमें नहीं लगता है कि इससे कुछ भी होने वाला है और बेकार का अपना और देश के लोगों का समय बर्बाद कर रहे हैं.

हम तो लोगों के बीच जाते रहे हैं और हम कोई नई बात करने नहीं जा रहे हैं. हमलोग इतना जरूर कहेंगे कि ये जो इनकी हरकत है वो एक ओछी हरकत है. आप इस तरह से देखिये इसको की आप कहीं बुलडोजर लेकर जाते हैं, चाहे वो कितना और कैसा भी गरीब व्यक्ति हो जब उसके घर को उजाड़ दिया जाता है तो लोगों में एक स्वाभाविक सा आक्रोश होता है और वो आक्रोश बहुत महंगा पड़ता है. मुझे लगता है कि जिसे केरल से वायनाड की जनता ने चुनकर भेजा और उनकी सदन की सदस्यता आप खत्म कर देते हो जल्दबाजी में. ठीक है अगर आपको कोई कानूनी कार्रवाई करनी है, आप उसे जरूर कीजिए लेकिन कम से कम नोटिस तो आ जाने दीजिए. हमारे तक निर्णय तो पहुंच जाने दीजिए. क्या चैनल देख कर निर्णय लिए जाएंगे. क्या उसका पन्ना नहीं आना चाहिए. क्या आने के बाद निर्णय होना चाहिए या पहले होना चाहिए...तो हमें लगता है कि चैनल देख कर निर्णय सरकार ले या फिर लोकसभा के अधिकारी लें ये ठीक नहीं है.

ये लोकतंत्र का गला घोंटा जा रहा है, बाबा साहब के संविधान को कुचला जा रहा है. आज हो सकता है कि लोगों को ऐसा लगता होगा की हमने उनको ठीक कर दिया या उनसे बदला ले रहे हैं लेकिन ये परंपरा ठीक नहीं है. अगर कोई और इस परंपरा का निर्वहन करेगा तो देश में लोकतंत्र खत्म हो जाएगा. लोग तानाशाह हो जाएंगे, हिंदुस्तान और पाकिस्तान में जो लोग फर्क समझते हैं वो मिट जाएगा. आप पाकिस्तान में देखिये कि कैसे इमरान खान पर कार्रवाई हो रही है. वहां लोकतंत्र किस तरह से चलता है. अगर आप उसी तरह की चीजों को अपना रहे हैं तो इसे हिंदुस्तान की जनता बर्दाश्त नहीं करेगी.

जनता के मुद्दों पर पूरी ताकत से लड़ रहे

अगर कोई सच कह रहा है तो इसमें कोई परेशानी की बात नहीं है. वो एक बात कह रहे हैं कि सावरकर जी ने माफी मांगी थी ये पूरी दुनिया जानती है. जिस बात को सभी लोग जानते हैं अगर उसे राहुल गांधी ने दोहराया है तो उसमें तो किसी को परेशानी नहीं होनी चाहिए. सावरकर जी की चिट्ठी तो सर्वविदित है, वो कोई व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी की तो है नहीं. हम ये मानते हैं कि किसी का किसी के प्रति सम्मान हो सकता है लेकिन ये भी सही है कि कई बार लोग उसे अनावश्यक रूप से तूल देने का प्रयास करते हैं तो उसे लोगों ने जारी करवाया होगा. लेकिन हम समझते हैं कि जो हमारे गठबंधन के दल हैं वो समझ सकते हैं कि उन्होंने किस रूप में उस बात को कही है. उनसे लोग अपेक्षा कर रहे थे की वो माफी मांग लेंगे तो उन्होंने ऐसा नहीं किया और इसमें तो किसी कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए. उन्होंने एक सर्वविदित बात को कहने की कोशिश की है.

हमलोग पूरी ताकत के साथ देश की जनता के मुद्दों को लेकर लड़ाई लड़ रहे हैं और उसके लिए लड़ते रहेंगे. भुनाना उसको कहा जाता है कि जिसे स्वार्थ वश किया जाए जोकि भाजपा कर रही है. हम तो लगातार लोगों के बीच में रहे हैं, अपनी बात रखते रहे हैं. 2019 में लोगों ने हमें अपना समर्थन नहीं दिया तो कोई बात नहीं है. लोगों को पूरा समय मिलना चाहिए. लोगों ने पूरा 10 वर्ष का समय दिया है भारतीय जनता पार्टी को और अब आप एक प्रकार से कहिए तो आज के समय में जब बड़े-बड़े लोग अडानी के सामने कटोरा लेकर खड़ा है तो हमें आम लोगों को उससे बचाना है कि उनके हाथ में कटोरा न आ जाए. उसके लिए हमलोग लड़ाई लडेंगे और जनहित के मुद्दों पर ही चुनाव लड़ेंगे. 

[ये आर्टिकल पूरी तरह से निजी विचारों पर आधारित है.]

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