पंजाबी सिंगर की हत्या: सुरक्षा हटाने वाले नामों का ढिंढोरा पीटना क्या जरुरी था?
पंजाब क्या फिर से पुराने आतंकवाद के दौर की तरफ लौट रहा है या फिर वह देश-विदेश के गैंगस्टर का एक नया ठिकाना बन रहा है? पंजाबी के मशहूर युवा गायक शुभदीप सिंह उर्फ सिद्धू मूसेवाला की दिनदहाड़े हुई हत्या ने ये सवाल तो उठा ही दिया है लेकिन इस सवाल को लेकर फिलहाल तो मुख्यमंत्री भगवंत मान की सरकार विपक्षी दलों के सीधे निशाने पर आ गई है.
इसकी दो बड़ी वजह सामने आ रही हैं. पहली तो ये कि कोई भी राज्य सरकार राजनीतिक, धार्मिक नेताओं के साथ ही समाज की अन्य हस्तियों को मिलने वाली सुरक्षा को हटाने का फैसला अचानक व एकमुश्त नहीं लेती है. दूसरी और जिसे पंजाब सरकार की बड़ी खामी कहा जायेगा कि जिनकी सुरक्षा हटा दी गई या कम कर दी गई, न तो उसका ढिंढोरा पीटा जाता है और न ही उन लोगों के नाम सार्वजनिक किए जाते हैं. केंद्र हो या किसी राज्य की सरकार, सुरक्षा देने और उसे हटाने की प्रक्रिया को बेहद गोपनीय रखा जाता है. लेकिन पंजाब सरकार ने ऐसा क्यों किया और इसके पीछे उसका क्या इरादा था, इसका जवाब आज नहीं तो कल सीएम मान को देना ही पड़ेगा.
लेकिन ये फैसला सरकार की कमान संभालने वाले नेता की प्रशासनिक अनुभवहीनता और अपरिपक्वता ही दर्शाता है. विपक्षी दलों को सवाल तो ये पूछना चाहिए कि ये फैसला लेने से पहले सीएम भगवंत मान ने क्या अपने सुरक्षा सलाहकारों से कोई सलाह ली थी? और, अगर ली थी तो किस अफसर ने उन्हें ये कहा था कि एक ही दिन एकमुश्त में राज्य के 424 लोगों की सुरक्षा वापस लेने या कम करने का फरमान जारी कर दिया जाए और फिर उस लिस्ट को सार्वजनिक भी कर दिया जाये.
किसी भी सरकार द्वारा किसी भी व्यक्ति को सुरक्षा देने से पहले बारीकी से इसका आकलन किया जाता है कि उस शख्स की जान को किन तत्वों से किस हद तक का खतरा है. साल में तीन-चार बार इसकी समीक्षा भी होती रहती है. लेकिन सुरक्षा हटाने से पहले इसका पुख्ता आकलन किया जाता है कि अब उसे ऐसा कोई खतरा नहीं है,लिहाजा सरकारी सुरक्षा को वापस लिया जा सकता है. लेकिन अब तक आई मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पंजाब सरकार ने ऐसा कोई आकलन करने की जहमत ही नहीं उठाई. उसने तो इसे एक बड़ा सियासी हथियार मानते हुए एक ही झटके में 424 लोगों की जिंदगी पर मौत के खतरे की तलवार लटका दी.
इसीलिए सुरक्षा-जगत के दिग्गज भी मान सरकार के इस फैसले पर हैरानी जता रहे हैं. जम्मू कश्मीर के पुलिस महानिदेशक रह चुके शेष पाल वैद ने अपने ट्वीट में लिखा है, "ये चौंकाने वाली घटना है. पंजाब की नई आम आदमी पार्टी सरकार का सुरक्षा वापस लेने का ये पहला और बिना सोचे समझे लिया गया फ़ैसला है. सुरक्षा कवर से जुड़ा फ़ैसला राजनीतिक नहीं होना चाहिए बल्कि इसका आकलन इस आधार पर होना चाहिए कि व्यक्ति को कितना ख़तरा है."
जाहिर है कि आप सरकार का ये फैसला राजनीतिक था जिसका विरोध भी हुआ. लेकिन 29 बरस के इस सिंगर की हत्या के बाद पंजाब से लेकर दिल्ली की सियासत में भूचाल आ गया है. बीजेपी समेत अन्य विपक्षी दलों ने भी भगवंत मान के साथ ही आप संयोजक व दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को भी कटघरे में खड़ा कर दिया है.
बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा का कहना है, "पंजाब की केजरीवाल सरकार ने पहले तो सिद्धू मूसेवाला की सिक्योरिटी हटाई और जिनकी भी सिक्योरिटी हटाई गई, उनकी गोपनीय पूरी लिस्ट पब्लिक कर दी गई. एक तरह से ये हत्यारों को आमंत्रण था कि हमने इन लोगों की सिक्योरिटी वापस ली है,अब आप अपना काम कर सकते हैं."
दरअसल,पात्रा का आरोप है कि " भगवंत मान तो 'पपेट सीएम' हैं, यानी वे दिल्ली में बैठे आकाओं की कठपुतली हैं.असल में पंजाब सरकार तो केजरीवाल और आप के पंजाब प्रभारी व पिछले दिनों राज्यसभा सदस्य बने राघव चड्डा ही चला रहे हैं." हालांकि पंजाब पुलिस के डीजीपी वीके भावरा ने कहीं भी ये नहीं माना है कि सिद्धू की हत्या की बड़ी वजह उनकी सिक्योरिटी को घटाना भी था. उन्होंने दावा किया कि सिद्धू मूसेवाला के पास 4 सुरक्षा गार्ड थे, जिनमें से 2 घल्लूघारा दिवस के कारण वापस ले लिए गए थे. सिद्धू बिना सुरक्षाकर्मियों और बुलेट प्रूफ गाड़ी के घर से बाहर निकले थे.
असल में, पुलिस अब इस हत्याकांड को गैंगवार का नतीजा बता रही है. भावरा के मुताबिक सिद्धू के मैनेजर शगनप्रीत का नाम मिठूखेड़ा हत्याकांड में आया था.वो फिलहाल बाहर है. उन्होंने इस मामले में लॉरेंस बिश्नोई गिरोह का हाथ होने की बात कही है, जिसकी जिम्मेदारी कनाडा में बैठे गोल्डी बरार उर्फ लकी ने ली है.
मीडिया में आई कुछ खबरों के मुताबिक इस पंजाबी गायक की हत्या की जिम्मेदारी गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई ने ली है.लॉरेंस बिश्नोई कुख्यात बदमाश है, जो इस समय राजस्थान की अजमेर जेल में है. बताया गया है कि उसने फेसबुक पोस्ट में लिखा कि "राम राम भाई सबको...आज जो सिद्धू मूसेवाला का कत्ल हुआ है, उसकी जिम्मेदारी मैं और मेरा भाई गोल्डी बरार लेता है. आज लोग हमें जो भी कहें लेकिन इसने हमारे भाई विक्की मिड्डूखेड़ा की हत्या में मदद की थी.आज हमने अपने भाई का बदला ले लिया है." पुलिस भी इसी थ्योरी पर अपनी जांच आगे बढ़ा रही है कि मूसेवाला पर हमले के पीछे गैंगस्टर की भूमिका हो
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