एक्सप्लोरर

'सीबीआई-ईडी पर पीएम को लेटर पॉलिटिक्स से विपक्षी मोर्चाबंदी में नहीं मिलेगी कामयाबी'

लोकसभा चुनाव में अब महज़ एक साल का वक्त बचा है, ऐसे में हर पार्टी अपनी रणनीति बनाने में लग गई है. केंद्र की सत्ता को बरकरार रखने के लिए जहां नरेंद्र मोदी की अगुवाई में बीजेपी हर राज्य में अभी से सियासी समीकरणों को साधने में जुटी है, वहीं विपक्षी दल के नेता भी बीजेपी के खिलाफ अपने-अपने तरीके से मोर्चाबंदी की कोशिश में जुटे हैं.

विपक्ष के इस कोशिश में सीबीआई और ईडी जैसी केंद्रीय जांच एजेंसियां भी मुद्दा बन गई हैं. आम आदमी पार्टी के नेता मनीष सिसोदिया कि आबकारी नीति से जुड़े घोटाले में गिरफ्तारी और जमीन के बदले नौकरी से जुड़े मामले में लायू यादव परिवार पर सीबीआई के शिकंज के बाद जांच एंजेसियों के बहाने विपक्षी लामबंदी के प्रयासों में तेजी दिख रही है.

नौ विपक्षी दलों के नेताओं ने सीधे प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिखकर केंद्रीय एजेंसियों के दुरुपयोग का मुद्दा उठाया है. इसमें कहा गया है कि सरकारी एंजेंसियों का खुल्लम खुल्लम दुरुपयोग किया जा रहा है और इनका इस्तेमाल  राजनीतिक फायदे के लिए सिर्फ विपक्ष के नेताओं के खिलाफ किया जा रहा है.

दरअसल इस चिट्ठी के बहाने विपक्षी दल दो फायदा देख रहे हैं. एक तो इसके जरिए प्रधानमंत्री मोदी पर राजनीतिक दबाव बनाने की कोशिश की गई है. वहीं दूसरी तरफ बीजेपी के खिलाफ 2024 में विपक्ष की एकजुटता को दिखाने के लिए माहौल भी बनाया जा रहा है.

इस चिट्ठी पर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष शरद पवार, तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान, राष्ट्रीय जनता दल के नेता तेजस्वी यादव, नेशनल कांफ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला, शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के नेता उद्धव ठाकरे और समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव ने हस्ताक्षर किए हैं.

कोशिश तो विपक्षी मोर्चा बनाने की हो रही है, लेकिन अगर आप गौर से इस चिट्ठी पर हस्ताक्षर करने वाले नेताओं की सूची देखें, तो साफ है कि विपक्षी एकता में से कुछ बहुत बड़ा पहलू गायब है. इस पर कांग्रेस के किसी नेता का हस्ताक्षर नहीं है. उसके साथ ही बीजेपी के पुराने सहयोगी रहे और फिलहाल केंद्र की राजनीति में कुछ बड़ा करने की मंशा रखने वाले नीतिश कुमार का भी नाम गायब है. साथ ही मायावती को भी साथ लाने की कोशिश इस मोर्चे की तरफ से नहीं की गई है.

हालांकि अगर जो भी लोग बीजेपी और ख़ासकर पीएम नरेंद्र मोदी को पिछले 9 साल से देख रहे हैं, वो बेहतर तरीके से समझ सकते हैं कि इस तरह की मुहिम से उन पर कोई दबाव बनने वाला नहीं है. रही बात विपक्षी एकता की तो बिना कांग्रेस के किसी भी तरह के विपक्षी एकजुटता से 2024 में बीजेपी को बहुत बड़ा नुकसान नहीं होने वाला है.

सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि विपक्षी नेता ये कह रहे हैं कि विपक्ष के सदस्यों के खिलाफ केंद्रीय एजेंसियों का खुल्लम-खुल्ला दुरुपयोग, लोकतंत्र में निरंकुशता को दर्शाता है और बीजेपी विपक्षी दलों से बदला लेने के लिए सीबीआई और ईडी जैसी संस्थाओं के साथ ही राज्यपाल जैसे संवैधानिक पदों का दुरुपयोग कर रही है.

सवाल उठता है कि अगर सचमुच में ऐसा हो रहा है तो क्या ये नई बात है, या फिर बीजेपी या मोदी सरकार उसी परिपाटी पर आगे बढ़ रही है, जिसकी नींव आजादी के बाद से भारतीय राजनीति में रख दी गई थी. एक बात विपक्ष के सारे नेताओं को अच्छे से समझ लेनी चाहिए कि जब-जब किसी नेता के खिलाफ सरकारी जांच एजेंसियां कोई भी कार्रवाई करती है तो ज्यादातर आम जनता उसको लेकर खुश ही दिखता है. ऐसा नहीं है कि आम जनता इस तरह की सोच सिर्फ मोदी सरकार के दौरान ही रख रही है. पहले भी इसी तरह की सोच देखी जाती थी.

इसलिए बीजेपी के शीर्ष नेता ये बात बखूबी समझते हैं कि सीबीआई, ईडी जैसी एजेंसियों को लेकर विपक्षी दल के नेता जितने में लामबंद होंगे, बीजेपी की पकड़ आम लोगों में और ज्यादा होते जाएगी और विपक्ष को लेकर जनता के बीच नकारात्मक संदेश जाएगा.

गौर से देखें तो ये विपक्षी दलों का साझा मुहिम कम और आम आदमी पार्टी के प्रमुख अरविंद केजरीवाल का  सियासी दांव पेंच ज्यादा नज़र आता है क्योंकि चिट्ठी में दिल्ली आबकारी नीति में गड़बड़ी को लेकर मनीष सिसोदिया के खिलाफ सीबीआई की कार्रवाई को ही प्रमुखता से मुद्दा बनाया गया है.

आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल जानते हैं कि आने वाले वक्त में कांग्रेस जितना कमजोर दोते जाएगी, उनकी पार्टी का राष्ट्रव्यापी दायरा बढ़ते जाएगा. ऐसे भी कांग्रेस को छोड़ दें, तो सिर्फ आम आदमी पार्टी ही है जिसका जनाधार अब धीरे-धीरे कई राज्यों में बढ़ रहा है. बाकी कोई भी नेता ऐसे नहीं हैं जिनकी पार्टी का राजनीतिक रुतबा एक राज्य से ज्यादा में हो. ऐसे में जनता के बीच ये भी संदेश जा रहा है कि मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी को केजरीवाल सियासी मुद्दा बनाकर अपना दायरा केंद्र की राजनीति में बढ़ाना चाह रहे हैं.

हमें ये नहीं भूलना चाहिए कि जब देश की सर्वोच्च अदालत ने सीबीआई के लिए पिंजरे में बंद तोता जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया था, तो उस वक्त कांग्रेस की अगुवाई में यूपीए की सरकार थी, जिसमें से ज्यादातर दल अभी फिलहाल विपक्ष की भूमिका में हैं. सुप्रीम कोर्ट की ओर से ये टिप्पणी उस वक्त की गई थी जब 2013 में कोयला ब्लॉक आवंटन घोटाले से जुड़े मामले की सुनवाई शीर्ष अदालत में चल रही थी , उस वक्त सीबीआई जांच की प्रगति रिपोर्ट में सरकारी दखल पर कड़ी नाराजगी जताते हुए सुर्मी कोर्ट ने ये टिप्पणी की थी. तो हम ये नहीं कह सकते हैं कि केंद्र में नरेंद्र मोदी की सरकार बनने के बाद केंद्रीय जांच एजेंसियों के दुरुपयोग से जुड़े आरोप बिल्कुल नए हैं.

जनमानस को ये बात भलीभांति पता है कि अतीत में भी जिसकी भी सरकार केंद्र में रही है, उसके खिलाफ भी विपक्षी दल केंद्रीय जांच एजेंसियों के दुरुपयोग का आरोप लगाते रहे हैं. इस मुद्दे पर विपक्ष की मोर्चाबंदी से शायद ही जनता के बीच मोदी सरकार के खिलाफ माहौल बनाने में कोई मदद मिल सकती है.

चिट्ठी में तमिलनाडु, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल और तेलंगाना के राज्यपालों और दिल्ली के उपराज्यपाल की ओर इशारा करते हुए मोदी सरकार पर गैर बीजेपी शासित राज्यों के शासन में बाधा डालने का आरोप लगाया गया है. अगर हम राज्यपाल की नियु्क्ति की परंपरा को देखें तो यहां भी विपक्षी दलों को शायद कुछ ज्यादा हासि होने वाला नहीं है. राज्यपाल की नियुक्ति केंद्र में सत्ताधारी पार्टी के इच्छा पर ही होते रही है और पहले भी कई ऐसे उदाहरण सामने आए हैं जब राज्यपाल की सिफारिश पर राज्यों की निर्वाचित सरकारों को बर्खास्त तक कर दिया गया है. 

चिट्ठी में असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा और तृणमूल कांग्रेस के पूर्व नेताओं शुभेंदु अधिकारी और मुकुल रॉय का उदाहरण देते हुए दावा किया गया है कि केंद्रीय जांच एजेंसियां बीजेपी में शामिल हुए पूर्व विपक्षी नेताओं के खिलाफ मामलों में या तो कोई कार्रवाई नहीं करती है या फिर बहुत धीमी गति से आगे बढ़ती है. तो इस मुद्दे पर भी इन नेताओं के सामने एक सवाल खड़ा होता है कि जहां-जहां इनकी सरकारें हैं क्या वहां उनकी पार्टियों के नेताओं के खिलाफ कोई आरोप लगने पर राज्य की जांच एजेंसी तेजी से कार्रवाई करते आई है. क्या इन लोगों इस तरह का कोई अतीत में उदाहरण पेश किया है.

इन सारे सवालों की प्रासंगिकता की वजह से ही विपक्ष के इस तरह के किसी भी मुहिम का जनता के बीच बीजेपी विरोधी परसेप्शन बनाने में कामयाबी नहीं मिल पा रही है. इसके विपरीत आम लोग इस पर भी चर्चा करने लग गए हैं कि जब खुद पर बात आती है, तभी क्यों विपक्षी नेता इस तरह के आरोप जांच एजेंसियों पर लगाते हैं.

प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिखे जाने के अगले ही दिन ये साबित हो जाता है कि इसके जरिए विपक्षी एकजुटता और दबाव बनाने की कोशिश की गई, उसमें ही विपक्ष के लोग बंटे हुए हैं. चिट्ठी पर हस्ताक्षर करने वाले एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने साफ किया है कि पीएम को इस तरह का पत्र भेजने से पहले कांग्रेस और वाम दलों से कोई बातचीत नहीं हुई थी. हालांकि शरद पवार ये दावा कर रहे हैं कि उन्होंने ही सबसे पहले हस्ताक्षर किए और उन्होंने ही बाकी नेताओं से ऐसा करने को कहा. एक तरफ तो शरद पवार ये भी कहते हैं कि विपक्षी गठबंधन में कांग्रेस का होना जरूरी है और दूसरी तरफ चिट्ठी पॉलिटिक्स से कांग्रेस को दूर कर देते हैं.

इसमें किसी भी राजनीतिक विश्लेषक को कोई संदेह नहीं है कि समय-समय पर केंद्रीय जांच एजेंसियों का दुरुपयोग राजनीतिक फायदे के लिहाज से होते रहा है और विपक्षी नेता इस तरह के आरोप लगाते रहे हैं. ये भी वास्तविकता है कि बड़े से बड़े घोटाले और भ्रष्टाचार से जुड़े मामलों की जांच केंद्रीय एजेंसियों ने की है, लेकिन गिने-चुने मामलों में ही किसी मंत्री या बड़े नेता को सजा हुई है. इसके बावजूद जब किसी घोटाले या भ्रष्टाचार को लेकर नेता या मंत्री के खिलाफ प्रक्रियागत कार्रवाई होती है, तो आम जनता को थोड़े वक्त के लिए ही सही, सुकून मिलता है कि नेता और मंत्री पर भी कार्रवाई हो रही है. यही वो पहलू है जिसका फायदा हर पार्टी सत्ता में रहने पर उठाते रही है. 

[नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज़ ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार हैं.]

और देखें

ओपिनियन

Advertisement
Advertisement
25°C
New Delhi
Rain: 100mm
Humidity: 97%
Wind: WNW 47km/h
Advertisement

टॉप हेडलाइंस

Lok Sabha Elections: दिल्ली में चुनाव प्रचार खत्म, किस सीट पर किसके बीच मुकाबला? जानें सबकुछ
दिल्ली में चुनाव प्रचार खत्म, किस सीट पर किसके बीच मुकाबला? जानें सबकुछ
'जो लोग नाराज थे वो भी...', अखिलेश यादव ने मंच से राजा भैया की तरफ किया बड़ा इशारा
'जो लोग नाराज थे वो भी...', अखिलेश यादव ने मंच से राजा भैया की तरफ किया बड़ा इशारा
Go Digit IPO: गो डिजिट आईपीओ की लिस्टिंग ने विराट, अनुष्का को दिया तगड़ा रिटर्न, हुआ इतने करोड़ का मुनाफा
गो डिजिट आईपीओ की लिस्टिंग ने विराट, अनुष्का को दिया तगड़ा रिटर्न
नींबू बेचने वाला कैसे बना लखपति, 20 रुपये के लिए तरसा, आज 60 लाख महीने कमाता है ये यूट्यूबर
कभी 20 रुपये के लिए तरसा, आज 60 लाख महीने कमाता है ये यूट्यूबर
for smartphones
and tablets

वीडियोज

Socialise: Jitendra Kumar, Chandan Roy, Deepak Mishra ने बताई 'Panchayat-3' की अनसुनी कहानीRicky Ponting ने भारतीय टीम का हेड कोच बनने से किया मना, BCCI ने की थी बात | Sports LIVEAaj ka Rashifal 24 May 2024 : इन 3 राशिवालों पर बरसेगी लक्ष्मी जी की कृपाLok Sabha Election 2024: प्रचार धुआंधार... 4 जून को किसकी सरकार ? | India Alliance | NDA | ABP News

पर्सनल कार्नर

टॉप आर्टिकल्स
टॉप रील्स
Lok Sabha Elections: दिल्ली में चुनाव प्रचार खत्म, किस सीट पर किसके बीच मुकाबला? जानें सबकुछ
दिल्ली में चुनाव प्रचार खत्म, किस सीट पर किसके बीच मुकाबला? जानें सबकुछ
'जो लोग नाराज थे वो भी...', अखिलेश यादव ने मंच से राजा भैया की तरफ किया बड़ा इशारा
'जो लोग नाराज थे वो भी...', अखिलेश यादव ने मंच से राजा भैया की तरफ किया बड़ा इशारा
Go Digit IPO: गो डिजिट आईपीओ की लिस्टिंग ने विराट, अनुष्का को दिया तगड़ा रिटर्न, हुआ इतने करोड़ का मुनाफा
गो डिजिट आईपीओ की लिस्टिंग ने विराट, अनुष्का को दिया तगड़ा रिटर्न
नींबू बेचने वाला कैसे बना लखपति, 20 रुपये के लिए तरसा, आज 60 लाख महीने कमाता है ये यूट्यूबर
कभी 20 रुपये के लिए तरसा, आज 60 लाख महीने कमाता है ये यूट्यूबर
Patal Lok: पाताल लोक का रास्ता कहां से होकर जाता है,पंपापुर में कौन राज करता था?
पाताल लोक का रास्ता कहां से होकर जाता है,पंपापुर में कौन राज करता था?
आरबीआई ने सरकार को दिया रिकॉर्ड लाभांश, नयी सरकार के लिए राहत पर संभल कर करना होगा काम
आरबीआई ने सरकार को दिया रिकॉर्ड लाभांश, नयी सरकार के लिए राहत पर संभल कर करना होगा काम
Jyeshtha Month 2024: 24 मई से ज्येष्ठ माह शुरू, हनुमान जी-शनि देव का रहेगा प्रभाव, जानें क्या करें, क्या नहीं
24 मई से ज्येष्ठ माह शुरू, हनुमान जी-शनि देव का रहेगा प्रभाव, जानें क्या करें, क्या नहीं
अमित शाह हिमाचल के इन जिलों में करेंगे चुनावी रैली, जानें बीजेपी के स्टार प्रचारकों की पूरी लिस्ट
अमित शाह हिमाचल के इन जिलों में करेंगे चुनावी रैली, जानें बीजेपी के स्टार प्रचारकों की पूरी लिस्ट
Embed widget