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हेमंत सोरेन सरकार के सारे वादे साबित हुए कोरे, रामगढ़ सीट पर उपचुनाव में बदलाव की बयार

झारखंड की रामगढ़ सीट पर उप-चुनाव संपन्न हो चुका है. बीते 27 फरवरी को लोगों ने मतदान कर चुनाव मैदान में उतरे 18 प्रत्याशियों के किस्मत का फैसला कर दिया. गुरुवार यानी 2 मार्च को चुनाव के नतीजे आ जाएंगे और उसके बाद ये स्पष्ट हो जाएगा की जनता ने किसे अपना जनप्रतिनिधि चुना है.  चूंकि यूपीए की कांग्रेस प्रत्याशी ममता देवी के जेल जाने के बाद से रामगढ़ सीट खाली हो चुकी थी. अब उप-चुनाव ने लोगों को एक बार फिर से अपना विधायक चुनने का मौका दिया है.

जनता के बीच तो हम पहले से ही हैं लेकिन जो वर्तमान सरकार है और यहां के जो जनप्रतिनिधि हैं, उन्होंने रामगढ़ की जनता की समस्याओं को लेकर कभी कोई पहल नहीं की. उन्होंने यहां पर लोगों की मूलभूत सुविधाओं की बात नहीं की, जो विधानसभा में उठाने चाहिए थी, कभी नहीं उठाई. यहां की समस्याएं हैं- सड़क. बिजली, पानी, उसका समाधान होना चाहिए. लेकिन जनता की इन समस्याओं को लेकर उन्होंने कभी आवाज नहीं उठाई. इसके चलते यहां के लोग काफी परेशान हैं. रामगढ़ में पानी की समस्याएं अधिक हैं. इसके अलावा यहां की सड़कों की हालत भी जर्जर है. चूंकि जब मैं चुनाव कैंपेन कर रहा था लोगों ने इन मूलभूत समस्याओं को हमारे समक्ष रखा है.

वर्तमान सरकार ने नहीं उठाया मूलभूत मुद्दा

यहां मूलभूत समस्या तो हैं ही, लेकिन यहां पर जो सबसे बड़ा विषय है वो ये कि रामगढ़ जिला एक कृषि बहुल क्षेत्र है. किसानों के लिए वर्तमान सरकार की कोई भी योजना धरातल पर नहीं दिखाई पड़ती है, जिससे किसानों को लाभ मिला हो. किसान उत्पादन तो कर रहे हैं लेकिन उन्हें उत्पाद बेचने के लिए बाजार की व्यवस्था नहीं की गई, जिससे कि वो आर्थिक तौर पर सक्षम बन सकें. 

वे अपनी सब्जियां सस्ते दामों पर बेचने को मजबूर हो जाते हैं जिससे की उन्हें उत्पादन की लागत और मजदूरी दोनों की भरपाई नहीं हो पाती है. इसके साथ-साथ बिजली विभाग के अधिकारियों ने बिल की उगाही के लिए जिस तरह से यहां के किसानों को परेशान किया है, उससे लोगों में आक्रोश है. इसे लेकर विभाग ने छापेमारी की. कईयों पर मुकदमा भी दायर किया गया और फाइन भी किया गया. इसकी वजह से क्षेत्र के किसानों में काफी आक्रोश देखने को मिला है और इसे लेकर यहां के जनप्रतिनिधि ने न तो कभी विभाग के अधिकारियों से बात की और न ही सरकार के समक्ष इस समस्या के समाधान के लिए पहल करने को लेकर आवाज उठाई.

 1932 के खतियान आधारित राज्य की नागरिकता का मैं खुद भी समर्थक हूं. मैं चाहता हूं कि ये लागू हो, लेकिन मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन इस मुद्दे पर लोगों को आज भी दिग्भ्रमित कर रहे हैं. चूंकि विधानसभा चुनाव में उन्होंने जो  घोषणाएं की, उसके आधार पर राज्य की जनता ने उनको समर्थन भी दिया. लेकिन आज तक एक भी चीज धरातल पर नहीं उतरी. आप देखिये अभी तक न तो नियोजन नीति बनी न ही स्थानीय नीति बनाई गई और न ही विस्थापन नीति बनाई गई. जो राज्य की एक बहुत बड़ी समस्या है. घोषणा में जो उन्होंने कहा कि थी की हम एक साल में पांच लाख लोगों को रोजगार देंगे वह भी नहीं पूरा नहीं कर पाए तो इन तमाम मुद्दों को लेकर यहां की जनता काफी आक्रोशित दिखी.

ममता देवी पर लोगों को नहीं रहा भरोसा

रामगढ़ की जनता ने जिस उम्मीद के साथ यूपीए या कांग्रेस प्रत्याशी ममता देवी वो वोट किया था उस पर वो खरा नहीं उतर पाई. लोगों को धरातल पर उनकी समस्याओं का समाधान होता नजर नहीं आया. इससे लोग आक्रोशित दिखे. अभी जब उपचुनाव हुआ तो लोगों ने यह महसूस किया कि हमारे कार्यकाल में जो यहां पर कार्य हुए वो ज्यादा बेहतर था. चूंकि हम हमेशा लोगों के बीच रहे थे. हम उनकी समस्याओं को सुनने उनके बीच जाकर सुनते थे और समाधान निकालने का प्रयास करते रहे हैं जो कि यूपीए की जनप्रतिनिधि के समय में नहीं हो पाया. इसलिए जनता को इस उपचुनाव में एक तुलनात्मक अध्ययन करने का मौका मिला कि हमारे लिए कौन सी पार्टी के जनप्रतिनिधि अच्छे हैं इसलिए लोगों ने बदलाव की पहल करते हुए हमें अपना समर्थन दिया है और जब कल यानी 2 मार्च को उपचुनाव का परिणाम आएगा तो ये और भी स्पष्ट हो जाएगा. 

जहां तक आगामी लोकसभा चुनाव की बात है तो 2019 में भी 14 में से 12 लोकसभा सीट पर एनडीए गठबंधन की जीत हुई थी. इस बार तो हमें यह लग रहा है कि जिस प्रकार लोगों का विश्वास राज्य सरकार के प्रति खोता जा रहा है तो ये निश्चित मानिए की एनडीए को इसका लाभ और अधिक मिलेगा. केंद्र सरकार की जनकल्याणकारी योजनाएं चल रही हैं उसका फायदा भी एनडीए को मिलेगा.

प्रदेश में जो कानून-व्यवस्था की हालत है वो किसी से छुपी नहीं है. खुद झामुमो और कांग्रेस पार्टी के नेता ही इसके ऊपर सवाल खड़ा कर चुके हैं. अभी कुछ दिन पहले ही रामगढ़ के भुरकुंडा में हत्या हुई उसमें कांग्रेस पार्टी के विधायक और उनके पूर्व मंत्री ने भी कहा कि राज्य में विधि-व्यवस्था बिल्कुल ध्वस्त हो चुकी है. उन्होंने खुद कहा कि इससे बेहतर तो रघुवर दास की सरकार थी. इससे साफ जाहिर है कि कानून व्यवस्था की क्या हालत है और रामगढ़ में भी कई हत्याएं हुईं हैं. जिससे यहां के लोगों में दहशत व्याप्त है और सरकार के प्रति लोगों का गुस्सा देखने को मिल रहा है.  कल जब उपचुनाव का परिणाम सामने आएगा तब आपको यह दिख भी जाएगा. 

इसके साथ-साथ सरकार का भ्रष्टाचार भी आप देख रहे हैं. सरकार के विधायक, विधायक प्रतिनिधि और विभाग के अधिकारी सब के सब भ्रष्टाचार में लिप्त हैं. चाहे आप पत्थर घोटाला देख लें या आप बालू घोटाला देख लें. स्थिति ये है कि बालू तो अब तक नहीं मिल पा रहा है. मैं रामगढ़ में देखता हूं कि यहां पर अभी तक इसके लिए किसी को न लीज दी गई है और न ही रॉयलटी की उगाही हो पा रही है और बालू की चोरी की जा रही है. इससे राजस्व का नुकसान हो रहा है और केवल इसमें पुलिस पैसों की उगाही कर रही है. इसे लेकर जनता परेशान है. ये लोग खुद सरकार में हैं. राज्य चला रहे हैं और इस तरह की जब बात करते हैं. इससे साफ है कि इन्हें न्यायालय पर भरोसा नहीं है. मैं तो कहूंगा कि इन्हें ममता देवी को जेल जाने के पीछे जो न्यायालय का निर्णय है उस पर इन्हें भरोसा रखना चाहिए. 

(नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज़ ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है. ये आर्टिकल गिरिडीह सांसद चंद्रप्रकाश चौधरी से बातचीत पर आधारित है.)

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