एक्सप्लोरर

जीएसटी: वरुण गाँधी ने अपनी ही सरकार के खिलाफ क्यों खोल दिया मोर्चा?

बढ़ती हुई महंगाई की मार के बीच हमारी रसोई में रोज इस्तेमाल होने वाली जरुरी चीजों पर जीएसटी लगाकर सरकार ने दोहरी मार का जो चाबुक मारा है,उस दर्द का अहसास भले ही कुछ दिन बाद हो लेकिन होगा तो जरुर.बेशक बड़े पूंजीपति लोगों को इसका जरा भी फ़र्क नहीं पड़ने वाला है लेकिन देश की आबादी में बड़ा हिस्सा रखने वाले मध्यम वर्ग के लिए ये एक बहुत बड़ी चोट है.इस चोट के दर्द को समझने वाले विपक्ष की आवाज़ भी अब उतनी नहीं रही कि सरकार उस पर कुछ गौर करे.

लिहाज़ा,ऐसे माहौल में अपनी ही सरकार के खिलाफ बेख़ौफ़ होकर आम जनता के पक्ष में आवाज़ उठाने वाले बीजेपी के युवा सांसद वरुण फ़िरोज़ गांधी की  तारीफ़ न की जाए,तो और क्या करना चाहिए.

सोमवार यानी 18 जुलाई से केंद्र की मोदी सरकार आटा, चावल,दही,पनीर जैसी अनेकों वस्तुओं को वस्तु एवं सेवा कर यानी जीएसटी के दायरे में ले आई है,जो अभी तक इससे बाहर थीं.साल 2019 में दोबारा प्रधानमंत्री बनने के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश की जनता को ये भरोसा दिलाया था कि इसके लागू होने से लोगों को राहत मिलेगी और इससे व्यापारियों को भी आफत नहीं होगी. लेकिन जाहिर है कि जीएसटी कौंसिल की तमाम सिफारिशों को मानकर उन्हें लागू करने के सरकार के इस फैसले से आने वाले दिनों में महंगाई तो बेतहाशा बढ़ेगी ही.होना तो ये चाहिए था कि खानपान की जरुरी वस्तुओं को इसके दायरे में लाने से सरकार परहेज़ करती और जिन वस्तुओं पर पहले 12 फीसदी जीएसटी लगता था,उन्हें 18 फीसदी तक बढ़ाने की सिफारिश को सरकार एक झटके में ही ठुकरा देती.

लेकिन एक सच ये भी है कि दुनिया के किसी भी देश की सरकार हो,वो एक चतुर कारोबारी से किसी भी मायने में कमतर नहीं होती,जिसका मकसद एक रुपया भी गंवाये बगैर पहले अपनी तिज़ोरी भरना ही होता है.राजनीतिक व्यवस्था में अगर दूसरे कड़वे सच की बात करें,तो दुनिया के तमाम दार्शनिक इस सच की मुनादी कई बार कर चुके हैं कि जिस भी देश में विपक्ष कमजोर होता है,वहां का लोकतंत्र बेहद तेजी के साथ निरकुंशता की तरफ़ बढ़ने लगता है.हमारे विपक्षी दल पिछले कुछ बरस से सरकार पर यही आरोप लगा रहे हैं कि वह विपक्ष को विश्वास में लिये बगैर सबसे अहम फैसले भी मनमाने तरीके से ले रही है.लेकिन फिर सवाल ये भी उठता है कि इसके लिए बड़ा कसूरवार कौन है?

पिछले आठ सालों में लोकसभा,राज्यसभा और कई राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों में लगातार हार का मुंह देखने वाले विपक्षी दलों ने कभी इस पर आत्म मंथन किया है कि वे जनहित से जुड़े मुद्दों पर भी जनता को अपने साथ जोड़ने में नाकामयाब आखिर क्यों हो रहे है? इस मायने में पश्चिम बंगाल को अपवाद कह सकते हैं,जहां पीएम मोदी से ज्यादा ममता दीदी का जादू आज भी लोगों के दिलो-दिमाग पर सवार है.लेकिन संख्या बल में कम होने के बावजूद ये तो मानना ही पड़ेगा कि विपक्ष के पास आज अटल बिहारी वाजपेयी,राम मनोहर लोहिया,मधु लिमये या चंद्रशेखर जैसा कोई एक भी चेहरा नहीं है,जो संसद में बोलते वक़्त उस जमाने की सरकारों पर ऐसे शब्द-बाण चलाते थे कि प्रधानमंत्री से लेकर पूरी कैबिनेट की घिग्गी बंध जाती थी.आज की तरह तब भी विपक्ष के पास संसद में उतने नंबर नहीं थे लेकिन फिर भी उसकी आवाज़ की एक अनूठी ताकत थी,जिसे मानने के लिए कई बार उस वक़्त की सरकारों को मजबूर होना पड़ा था.

ख़ैर, रोजमर्रा की खानपान की वस्तुओं को जीएसटी के दायरे में लाने के फैसले का कांग्रेस नेता राहुल गांधी समेत तमाम विपक्षी दलों के नेताओं ने विरोध किया है.लेकिन एक विरोध बीजेपी के सांसद वरुण गांधी ने भी किया है,जो विपक्ष के तमाम एतराजों से ज्यादा भारी ,वजनदार,तार्किक व जायज़ लगता है.उन्होंने देश की जनता को सरकार के "राहत"देने के वादे को "आहत" से जोड़कर अपनी ही सरकार को आईना दिखाने की हिम्मत की है.

सोमवार को वरुण गांधी ने अपने एक ट्वीट मे लिखा, ‘‘आज से दूध, दही, मक्खन, चावल, दाल, ब्रेड जैसे पैक्ड उत्पादों पर जीएसटी लागू है. रिकॉर्ड तोड़ बेरोजगारी के बीच लिया गया यह फैसला मध्यम वर्गीय परिवारों और विशेषकर किराए के मकानों में रहने वाले संघर्षरत युवाओं की जेबें और हल्की कर देगा.'' उन्होंने ये भी कहा, ‘‘जब ‘राहत' देने का वक्त था, तब हम ‘आहत' कर रहे हैं.'' कहते हैं कि सच को न कभी जलाया जा सकता है और न ही जमीन में गाड़ सकते हैं,इसलिये वह दिखता तो सबको है लेकिन उसे बताने या बोलने की हिम्मत कोई-कोई ही करता है.वरुण गाँधी को ये सच उजागर करने की क्या सजा मिलेगी, आने वाला वक़्त ही बतायेगा!

(नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.)

और देखें

ओपिनियन

Advertisement
Advertisement
25°C
New Delhi
Rain: 100mm
Humidity: 97%
Wind: WNW 47km/h
Advertisement

टॉप हेडलाइंस

India-Pakistan Relations: कारगिल युद्ध के 25 साल बाद पाकिस्तान का कबूलनामा, अटल बिहारी वाजपेयी को याद कर नवाज शरीफ ने मानी ये गलती
कारगिल युद्ध के 25 साल बाद पाकिस्तान का कबूलनामा, अटल बिहारी वाजपेयी को याद कर नवाज शरीफ ने मानी ये गलती
Lok Sabha Election 2024: अखिलेश यादव समेत तीन लोगों के खिलाफ FIR दर्ज, जानें क्या है पूरा मामला?
अखिलेश यादव समेत तीन लोगों के खिलाफ FIR दर्ज, जानें क्या है पूरा मामला?
Delhi Chief Secretary: दिल्ली के मुख्य सचिव नरेश कुमार को दूसरी बार मिला सेवा विस्तार, 6 महीने पहले सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे चुकी है AAP
दिल्ली के मुख्य सचिव नरेश कुमार को दूसरी बार मिला सेवा विस्तार, 6 महीने पहले सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे चुकी है AAP
Hardik Pandya Divorce: हार्दिक-नताशा तलाक की खबरों ने लिया नया मोड़, करीबी दोस्त का हैरतअंगेज़ खुलासा
हार्दिक-नताशा तलाक की खबरों ने लिया नया मोड़, करीबी दोस्त का हैरतअंगेज़ खुलासा
metaverse

वीडियोज

PM Modi On ABP: स्वार्थी लोगों ने ब्रह्मोस का एक्सपोर्ट रोका-पीएम मोदी का बड़ा बयान | Loksabha PollsLoksabha Election 2024: मोदी की आध्यात्म यात्रा..'हैट्रिक' का सार छिपा ? | ABP NewsPM Modi On ABP: 2024 चुनाव के नतीजों से पहले पीएम मोदी का फाइनल इंटरव्यू | Loksabha ElectionPM Modi On ABP: पीएम मोदी से पहली बार जानिए- किस विपक्षी नेता के वे पैर छूते थे | Loksabha Election

पर्सनल कार्नर

टॉप आर्टिकल्स
टॉप रील्स
India-Pakistan Relations: कारगिल युद्ध के 25 साल बाद पाकिस्तान का कबूलनामा, अटल बिहारी वाजपेयी को याद कर नवाज शरीफ ने मानी ये गलती
कारगिल युद्ध के 25 साल बाद पाकिस्तान का कबूलनामा, अटल बिहारी वाजपेयी को याद कर नवाज शरीफ ने मानी ये गलती
Lok Sabha Election 2024: अखिलेश यादव समेत तीन लोगों के खिलाफ FIR दर्ज, जानें क्या है पूरा मामला?
अखिलेश यादव समेत तीन लोगों के खिलाफ FIR दर्ज, जानें क्या है पूरा मामला?
Delhi Chief Secretary: दिल्ली के मुख्य सचिव नरेश कुमार को दूसरी बार मिला सेवा विस्तार, 6 महीने पहले सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे चुकी है AAP
दिल्ली के मुख्य सचिव नरेश कुमार को दूसरी बार मिला सेवा विस्तार, 6 महीने पहले सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे चुकी है AAP
Hardik Pandya Divorce: हार्दिक-नताशा तलाक की खबरों ने लिया नया मोड़, करीबी दोस्त का हैरतअंगेज़ खुलासा
हार्दिक-नताशा तलाक की खबरों ने लिया नया मोड़, करीबी दोस्त का हैरतअंगेज़ खुलासा
'जवान', 'पठान' या 'एनिमल' नहीं, इस फिल्म को 2023 में हुआ सबसे ज्यादा मुनाफा! यहां देखें टॉप 5 की लिस्ट
'जवान', 'पठान' या 'एनिमल' नहीं, इस फिल्म को 2023 में हुआ खूब मुनाफा!
वैक्सीन बनाने वालों को कम से कम कितनी सैलरी देता है सीरम इंस्टिट्यूट? रकम सुनकर उड़ जाएंगे होश
वैक्सीन बनाने वालों को कम से कम कितनी सैलरी देता है सीरम इंस्टिट्यूट? रकम सुनकर उड़ जाएंगे होश
शरीर में है B12 की कमी तो कुछ ऐसे दिखते हैं लक्षण, जानें एक सेहतमंद व्यक्ति में कितना होना चाहिए लेवल?
शरीर में है B12 की कमी तो कुछ ऐसे दिखते हैं लक्षण, जानें एक सेहतमंद व्यक्ति में कितना होना चाहिए लेवल?
टूरिज्म में आया उछाल, 119 देशों की सूची में 39वें स्थान पर आया भारत, क्या हैं इसके संकेत
टूरिज्म में आया उछाल, 119 देशों की सूची में 39वें स्थान पर आया भारत, क्या हैं इसके संकेत
Embed widget