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तकरीबन 50 साल से मजदूर महिलाओं के बच्चों के बच्चों का आसरा - मोबाइल क्रैशिज़
आपके घरों में जो कामवाली बाई काम करने आती है, कभी आपने पूछा है कि वो अपने छोटे बच्चों को कहां छोड़कर आती हैं ? सड़क पर या कंस्ट्रक्शन्स साइट्स पर काम करने वाली महिला मजदूरों को कठिन परिस्थितियों में काम करते देखकर क्या कभी आपके मन में ख्याल आया है कि इनके छोटे बच्चों को ये किसके पास छोड़कर आती है ? हो सकता है कि ये सवाल आपके मन में भी आए हों, लेकिन जिन्होंने कामगार महिलाओं के छोटे बच्चों की देखभाल के इन सवालों पर कुछ कारगर किया वो है - मोबाइल क्रैशिज़ । तकरीबन आधी सदी से ये संस्था देश के तकरीबन 16 राज्यों में कामगार, मजदूर महिलाओं के बच्चों की देखभाल करती है ताकि वो अपने काम पर जा सकें और कुछ कमा खा सकें ।
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