आसाराम पर गुजरात HC के जज की तल्ख टिप्पणी, 'इस सच्चाई से आंखें नहीं मूंद सकते कि...'
Asaram Gets Bail: आसाराम के केस में गुजरात हाई कोर्ट की खंडपीठ की राय में अलग-अलग रही. एक जज जमानत के पक्ष में और दूसरे जज जमानत पर असहमति जताई.

Asaram Bapu News: रेप के दोषी आसाराम के केस में गुजरात हाई कोर्ट ने शुक्रवार को खंडित फैसला सुनाया जिस दौरान जस्टिस संदीप भट्ट ने तीखी टिप्पणी की. जस्टिस भट्ट ने कहा कि ऐसा लगता है कि आसाराम सुप्रीम कोर्ट द्वारा दी गई अंतरिम जमानत की अवधि को केवल बढ़ाना चाहता है. वह जमानत अवधि का उपयोग नहीं कर रहा है.
लाइव लॉ के मुताबिक जस्टिस भट्ट ने कहा कि कोर्ट इस बात से अवगत है कि आसाराम की उम्र 86 वर्ष है लेकिन हम इस सच्चाई से आंखें नहीं मूंद सकते कि आवेदनकर्ता आईपीसी की धारा 376 के तहत रेप का दोषी है और उसे आजीवन कारावास की सजा मिली हुई है.
इस आधार पर आसाराम ने मांगी जमानत
आसाराम को 2013 के एक रेप केस में सत्र अदालत ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी. उसे 10 साल बाद 2023 में यह सुनाई गई थी. उसने छह महीने की अस्थायी जमानत मांगी. इसको लेकर हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की थी. उसके वकील ने कोर्ट में दलील दी थी कि डॉक्टर्स का मानना है कि आसाराम को 90 दिनों के पंचकरमा थेरेपी की जरूरत है. सुप्रीम कोर्ट ने आसाराम को 31 मार्च तक के लिए अंतरिम जमानत दे रखी है.
खंडपीठ के जज जस्टिस इलेश जे वोरा और जस्टिस संदीप एन भट्ट ने खंडित आदेश पारित किया जिसमें जस्टिस वोरा ने तीन महीने की जमानत के पक्ष में फैसला सुनाया तो जस्टिस भट्ट ने याचिका खारिज कर दी.
डॉक्टर की सलाह नहीं मार रहा आसारान- जस्टिस भट्ट
जस्टिस भट्ट ने अपने आदेश में कहा कि आसाराम सुप्रीम कोर्ट ने 7 जनवरी कसे 31 मार्च तक जमानत दी है. इस समय के दौरान आसाराम ने एलोपैथिक और साथ ही आयुर्वेदिक डॉक्टर का दौरा किया लेकिन उसने केवल एक बार इन डॉक्टरों का दौरा किया. सलाह के बावजूद वह आगे के इलाज के लिए संबंधित डॉक्टरों के पास नहीं जा रहा.
Source: IOCL
























