Telangana Encounter | क्यों भारत की जनता को है न्यायपालिका से ज़्यादा Encounter प्रथा पर भरोसा | Ep. 245
Episode Description
Introduction:
Time: 0.10 - 2.00
2019 में हैदराबाद में एक वेटरनरी डॉक्टर के साथ 4 लोगों ने रेप किया था और फिर हत्या कर वहीं छोड़ दिया था। उस समय कई बड़े नामी-गरमी लोगों ने tweets भी किये, Saina Nehval जैसे खलाड़ियों ने हैदराबाद पुलिस की सराहना करते हुए कहा था कि वो उन्हें सलाम करते हैं, कि यही होता है fast justice. हालांकि इस एनकाउंटर की तफ्तीश के लिए एक जांच committee बैठाई गई। क्यों? क्योंकि भारत में अदालत का कानून चलता है, भीड़ का नहीं। तो उसी पैनल की रिपोर्ट अब आ चुकी है और जांच कमेटी ने चौंकाने वाली रिपोर्ट दी है। सुप्रीम कोर्ट की ओर से बनाई गई जांच commission ने पुलिस की पूरी कहानी को मनगढ़ंत बताते हुए एनकाउंटर को फ़र्ज़ी करार दिया है। इसके साथ ही जांच कमीशन ने अपनी रिपोर्ट में एनकाउंटर में शामिल सभी 10 पुलिसकर्मियों पर हत्या का मुक़दमा चलाने की सिफारिश की है। कमीशन ने कहा कि पुलिसकर्मियों ने ‘जानबूझकर’ गोली चलाई थी। अब इन पुलिसकर्मियों पर हत्या का आरोप लगा है। मगर आज भी कई लोग सबसे बेसिक सवाल में ही उलझ कर रह जाते हैं कि एनकाउंटर होने पर जांच समिति क्यों बैठाई जाती है, क्या एनकाउंटर करना गलत है, अगर है तो क्यों है, और आख़िर क्यों लोकतंत्र में एनकाउंटर पर खुश नहीं होना चाहिए।
Body:
Time: 2.10 - 16.25
नमस्कार मैं हूँ Sahiba Khan और आप सुन रहे हैं ABP Live Podcasts की पेशकश FYI
आज हम बात करने वाले हैं फ़र्ज़ी एनकाउंटर की।
पहले तो जान लेते हैं कि एनकाउंटर क्या होता है। भारत में encounter शब्द का इस्तेमाल 20वीं सदी में शुरू हुआ। जब self-defence यानी कि आत्मरक्षा को कारण बता कर पुलिस या आर्मी मुजरिमों और आरोपियों को मारने लगे, तब इस शब्द का इस्तेमाल किया जाने लगा।
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने खुद National Human Rights Commission (NHRC), यानी कि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का डेटा quote करके लोकसभा में बताया था कि पिछले पांच वर्षों में देश में कुल 655 पुलिस encounter हुए हैं, जिसमें छत्तीसगढ़ सबसे आगे रहा जहां पर 191 मामलों के साथ सबसे अधिक ऐसे मामले दर्ज किए गए हैं। ये भी समझना होगा कि Chattisgarh में आए दिन पुलिस की माओवादियों के साथ मुठभेड़ भी होती रहती है। आगे डेटा में कहा गया कि encounter में उत्तर प्रदेश दूसरे नंबर पर आता यही जहाँ पर 117 एनकाउंटर दर्ज किये गए। फिर असम, झारखंड, ओडिशा, जम्मू कश्मीर और महाराष्ट्र का नंबर आता है। (
तो अब हमें पता है कि encounter क्या होता है और फ़िलहाल एनकाउंटर के आंकड़े क्या हैं।
कुछ मशहूर encounter जो हम सभी को पता हैं वो हैं
-2004 में Ishrat Jahan का एनकाउंटर जहाँ कहा गया था कि उसने तब के गुजरात CM नरेंद्र मोदी को मारने की साज़िश रची है
- फिर 2005 में Sohrabuddin Sheikh और उसकी पत्नी Kauser Bi का एनकाउंटर। वजह? Sohrabuddin Sheikh Lashkar-e-Taiba का हिस्सा है
- 2008 में Batla House एनकाउंटर
- 2016 में Students’ Islamic Movement of India (SIMI) के 8 छात्र कथित तौर पर भोपाल जेल से भाग निकले थे, तो उनका भी एनकाउंटर कर दिया गया
- 2019 में Telangana Police Encounter का एनकाउंटर और
- 2020 में Uttar Pradesh का कुख्यात माफिया Vikas Dubey का encounter
इन सभी एनकाउंटरों में एक चीज़ मिलती-जुलती ज़रूर है - वो है शक का होना। हर केस में कहीं न कहीं विपक्ष ने सत्तारूढ़ सरकार पर इलज़ाम लगाया था कि चीज़ें दबाने के लिए एनकाउंटर किये जा रहे हैं। अगर जांच बैठी तो मुजरिम सच उगलेगा। और ताकि उसके लपेटे में बड़े नाम न आ जाएं इसलिए पुलिस से कह कर फ़र्ज़ी एनकाउंटर करा देते हैं।
ABP News ने 2019 में कुछ लड़कियों से बात की थी :
https://www.youtube.com/watch?v=uQWmRWbaDMc&ab_channel=ABPNEWS
All India Progressive Women's Association की सचिव Kavita Krishnan कहती हैं
कि #HyderabadEncounter not justice but 'ploy' to shut down demands for justice & dignity for women, and accountability from police, judiciary, and governments
हैदराबाद एनकाउंटर के बाद Justice Markandey Katju ने भी ट्वीट किया था कि “इलाहाबाद हाई कोर्ट के Justice AN Mulla ने यहां एक कह दिया कि मैं पूरी ज़िम्मेदारी से ये कहूंगा कि पुरे देश में एक भी कानूनविहीन समूह नहीं है, जिसका crime record भारतीय पुलिस बल के crime records के आस-पास भी आता हो।”
मगर जब एनकाउंटर पर इतना बवाल होता है तो एनकाउंटर होता क्यों है और कौन इसे वैद्यता प्रदान करता है। हम बात करेंगे दिल्ली पुलिस में Ex Joint Commissioner of Police SBS Tyagi से जो खुद सिस्टम का हिस्सा रहे हैं। जानते हैं encounter पर उनका क्या मानना है।
SBS Tyagi Sir <INTERVIEW>
Time: 6.37 - 16.25
Conclusion:
Time: 16.30 - 18.00
तो ये तो त्यागी जी और उन्होंने हमारे सभी सवाल, मेरे हिसाब से, हल कर दिए हैं। कि एक लोकतंत्र में क्यों एनकाउंटर को celerbrate नहीं करना चाहिए, क्यों ज़रूरी है क़ानून को क़ानून का काम करने देना। ये बात सच है कि कहीं न कहीं जनता क़ानून इस बात से हताश है कि क़ानून सही से लागु नहीं किया जा रहा है या फिर इन्साफ की डगर बहुत लम्बी है, बहुत समय लगता है भारत में अगर एक बार केस अदालत पहुँच गया तो। मगर एनकाउंटर की ये प्रथा, जिसे कोई बेगुनाह भी मारा जा सकता है, या जिसमें असल mastermind का पता नहीं चल पता है, वो देर के इन्साफ से कितना बेहतर है ये हमें सोचने की ज़रूरत है। बहुबलायों के नाम पर खुश होना, फिल्मों में encounter specialists को बढ़ा-चढ़ा कर दिखाना असल ज़िन्दगी नहीं दर्शाता। और न ही दर्शन चाहिए। हम एक लोकतंत्र हैं जो लोगों के वोट से बनता है। यहाँ भीड़-चाल और जनता का नहीं बल्कि अदालत का क़ानून है। और पुलिस का काम है लोगों को पकड़ना है, उन्हें मारना नहीं।
Spider Man फिल्म में कहा था कि With great power comes great responsibility. अगर सरकार ने किसी संस्थान को अस्त्र-शास्त्र दिए हैं जनता की रक्षा के लिए, तो वो उसी के लिए इस्तेमाल हों, ये भी ज़रूरी है। हम सबने अलग-अलग देशों में देख रखा है कि भीड़ का कानून कितनी त्राहि ला सकता है। बाकी आप समझदार हैं। फिलहल आज FYI में इतना ही। दुबारा हाज़िर होउंगी अगले FYI में ऐसे ही कुछ ज़रूरी सवालों और उनके जवाबों के साथ। तब तक के लिए सुनते रहे ABP Live Podcasts.
मैं हूँ Sahiba Khan, नमस्कार।
Host and Producer: @jhansiserani
Sound designer: @lalit1121992
Guest advocate: @sbstyagi
























