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संसद की स्थायी समितियों में BJP के 6 सांसद, जानिए क्या हैं इनके काम, कैसे होगा इससे बीजेपी को फायदा

Parliament: संसद में लोकसभा और राज्यसभा में होने वाले प्रत्यक्ष काम के अलावा कई और काम भी होते हैं जो अप्रत्यक्ष रूप से होते हैं. ये सभी कार्य अलग-अलग स्थायी और अस्थायी समितियों की ओर से किए जाते हैं.

What is Parliament Workings Standing Committees: एक बार फिर से अलग-अलग संसदीय स्थायी समितियों का गठन हुआ है. इस बार भाजपा के 6 सांसदों को विभिन्न संसदीय स्थायी समितियों में जगह दी गई है. अब बड़ा सवाल ये है कि आखिर इन समितियों का काम क्या होता है. इससे पार्टी को क्या कोई फायदा पहुंचता है.

यहां हम जानेंगे इन्हीं सवालों के जवाब, लेकिन उससे पहले हम आपको बता दें कि किस समिति में कौन से सांसद को जगह मिली है. मालदा उत्तर के सांसद खगेन मुर्मू को रेलवे संबंधी संसदीय स्थायी समिति का सदस्य नियुक्त किया गया है. सामिक भट्टाचार्य, सांसद, राज्यसभा और ज्योतिर्मय सिंह महतो, सांसद, पुरुलिया को गृह मामलों संबंधी संसदीय स्थायी समिति का सदस्य नियुक्त किया गया है.

डॉ. जयंत रॉय, सांसद, जलपाईगुड़ी को वित्त संबंधी संसदीय स्थायी समिति का सदस्य नियुक्त किया गया है. जगन्नाथ सरकार, सांसद, रानाघाट को रक्षा संबंधी संसदीय स्थायी समिति का सदस्य नियुक्त किया गया है. अभिजीत गंगोपाध्याय, सांसद, तामलुक को शिक्षा, महिला, बाल, युवा और खेल संबंधी संसदीय स्थायी समिति का सदस्य नियुक्त किया गया है.

क्या काम करती हैं ये समितियां

संसद में लोकसभा और राज्यसभा में होने वाले प्रत्यक्ष काम के अलावा कई और काम होते हैं जो अप्रत्यक्ष रूप से होते हैं. ये कार्य अलग-अलग समितियों की ओर से किए जाते हैं. स्थायी समितियों के काम की बात करें तो इसमें तीन काफी अहम हैं. पहला है समितियों को भेजे गए विधेयकों की समीक्षा करना, दूसरा है मंत्रालयों से संबंधित विशिष्ट विषयों का चयन करना और तीसरा है सरकार की ओर से कार्यान्वित किए जाने पर इनकी समीक्षा करना और विभागों के बजटीय खर्च की जांच करना. संसद न सिर्फ कानून बनाती है, बल्कि यह सरकार की जवाबदेही तय करती है और सार्वजनिक खर्च के लिए मंजूरी प्रदान करती है. ये समितियां इन सभी उद्देश्यों की पूर्ति में मदद करती हैं. सबसे पहला उद्देश्य तो यह है कि संसद इनकी मदद से अपना कार्य बेहतर ढंग से चला पाती है. 700 सदस्यों के बजाय 30 सदस्यों की समिति किसी भी मामले की गहराई से जांच कर सकती है. ये समितियां विशेषज्ञों की राय लेती हैं. इसका सीधा असर नीति या विधान पर भी पड़ता है. उदाहरण के लिए, विभागीय स्थायी समितियां (DRSCs) जनता से भी अक्सर राय लेती हैं और अनेक लोगों को साक्ष्य के लिए बुलाती हैं. इसके अलावा सार्वजनिक चकाचौंध के बिना इन समितियों के सदस्य अपने चुनाव क्षेत्र के दबाव के बिना ही अनेक मुद्दों पर चर्चा करते हैं और आम सहमति बना लेते हैं.

इस फैसले से बीजेपी को कैसे होगा फायदा

वैसे तो ये समितियां सभी के लिए हैं और संसद के अप्रत्यक्ष कामों को अंजाम देती हैं, लेकिन कुछ पॉइंट पर इन समितियों की वजह से पार्टी को भी फायदा पहुंचता है. हम आपको बताएंगे कि आखिर कैसे बीजेपी को इन समितियों में अपने सांसदों के होने से लाभ मिलेगा.

  • अगर आपको इन समितियों से बीजेपी को होने वाले लाभ को समझना है तो ऊपर बताए इनके आखिरी कार्यों पर नजर डालिए. इसमें साफ तौर पर स्पष्ट है कि ये समितियां सार्वजनिक चकाचौंध के बिना इन समितियों के सदस्य अपने चुनाव क्षेत्र के दबाव के बिना ही अनेक मुद्दों पर चर्चा करते हैं और आम सहमति बना लेते हैं. ऐसे में साफ है कि जब ये समितियां लोगों के पास जाएंगी और उनके मुद्दों पर चर्चा करेगी या सरकार से जुड़ी योजनाओं के बारे में बताएगी तो इसका फायदा पार्टी को जरूर होगा.
  • स्थायी समितियों में शामिल सांसद अपने सुझावों से किसी कानून या मुद्दे पर क्षेत्र के लोगों की आवाज पहुंचा सकते हैं.

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