एक्सप्लोरर

ट्रंप के ताबड़तोड़ फैसले लाएंगे भू-राजनीतिक परिस्थितियों में परिवर्तन, लेकिन भारत संग बनेगी बात

डोनाल्ड ट्रंप के दूसरे कार्यकाल के शपथ ग्रहण के बाद, भारत-अमेरिका के बीच संबंधों में सकारात्मक प्रभाव देखने को मिल सकता है. ट्रंप की नीतियों का व्यापार, सुरक्षा, और भू-राजनीतिक संबंध पर प्रभाव पड़ेगा. 

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने जैसे ही शपथ ली है, उसके हफ्तेभर के अंदर ही ऐसे कई ताबड़तोड़ फैसले किए हैं, जिनसे लगता है कि दुनिया की राजनीति में आने वाले दिनों में काफी परिवर्तन होनेवाला है. सबसे बड़ा फैसला उन्होंने अगले तीन महीनों तक किसी भी दूसरे देश की मदद नहीं करने का लिया है. इसके अपवाद इजरायल और मिस्र हैं. इसका मतलब ये कि बांग्लादेश और पाकिस्तान को अभी और कंगाली झेलनी होगी. साथ ही ट्रंप ने गाजा पट्टी को लेकर भी अपनी योजना स्पष्ट कर दी है.

कल ही यानी 26 जनवरी को जब कोलंबिया ने अपने घुसपैठियों से भरे जहाज को लैंड नहीं होने दिया तो ट्रंप ने ताबड़तोड़ जवाबी कार्रवाई का एलान किया. एक घंटे के अंदर कोलंबिया घुटने पर आया, हालांकि अब दोनों देशों में टैरिफ-वॉर शुरू हो गया है. इस बीच भारत पर सबकी निगाहें टिकी हैं, कि ट्रंप जब अपने आस-पड़ोस और मिडल ईस्ट से निबट कर एशिया पर निगाह डालेंगे तो चीन और भारत दोनों ही उनके जेहन में जरूर होंगे. 

ट्रंप ने किए संसाधन बंद, भारत के खुले रास्ते

भू-राजनीतिक संबंधों में, ट्रंप की चीन विरोधी नीतियों का भारत को लाभ मिल सकता है. ट्रंप प्रशासन ने चीन के खिलाफ कड़े कदम उठाए थे, जिससे भारत को अपनी रणनीतिक स्थिति मजबूत करने में मदद मिली थी. दूसरे कार्यकाल में भी ट्रंप की नीतियों से भारत को चीन के खिलाफ समर्थन मिल सकता है. दूसरे कार्यकाल के शपथ ग्रहण के बाद, भारत पर सकारात्मक प्रभाव पड़ने की संभावना है. व्यापार, सुरक्षा, और भू-राजनीतिक संबंधों में सुधार से भारत को लाभ मिल सकता है, जिससे दोनों देशों के बीच संबंध और मजबूत होंगे.

कोविड-19 के दौर में ही जब पूरी दुनिया एक महामारी से जूझ रही थी, उस वक्त डब्ल्यूएचओ प्रमुख ने चीन को कोविड-19 वायरस के मामले में क्लीन चिट देने की कोशिश की थी. ट्रम्प ने अपने पहले कार्यकाल में ही डब्ल्यूएचओ की इस बेशर्मी पर कड़ी आपत्ति जताई थी. उन्होंने सीधे ही डब्ल्यूएचओ को चीन के हाथों बिकी हुई कठपुतली कहने में भी कोई परहेज नहीं किया. ट्रम्प का ये फैसला अपना पूरा असर दिखाने में करीब एक वर्ष का समय तो लेगा, लेकिन इसका असर व्यापक होने वाला है.

अकेले अमेरिका डब्ल्यूएचओ के कुल फण्ड का लगभग 18 प्रतिशत दे रहा होता है. एक तो इतने पैसे की चोट का असर होगा, दूसरे विश्वसनीयता और साख पर दूरगामी प्रभाव होगा, और तीसरा जो परोक्ष असर है, वो है अमेरिकी स्वास्थ्य सेवाओं पर इसका प्रभाव. जो फण्ड डब्ल्यूएचओ से निकलेंगे वो अमेरिका की अपनी स्वास्थ्य सेवा में जायेंगे और इसका परिणाम भी आने वाले वर्षो में दिखेगा. साथ ही, भारत का हेल्थ-टूरिज्म भी बढ़ेगा. अभी भी दुनिया के कई धनी देशों के मरीज अपना इलाज करवाने भारत आना बेहतर समझते हैं क्योंकि कम पैसों में वही सुविधा उनको मिल जाती है. 

भारत की घरेलू समस्या पर भी असर

कहते हैं पीठ पर पड़ी लात से पेट पर पड़ी लात कहीं अधिक मारक होती है. इसे समझने के लिए कोई रॉकेट साइंस आना भी जरूरी नहीं है. जाहिर सी ही बात है कि पीठ जैसे मजबूत अंग के बदले पेट जैसे नाजुक अंग पर चोट ज्यादा लगेगी, लेकिन असल में इस लोकोक्ति के मायने आर्थिक संसाधन, यानी पेट भरने के संसाधन बंद कर देने से होता है. ट्रम्प ने जैसे ही शपथ ली, उसके एक दिन के अंदर ही जो फैसले कर डाले हैं, उन 42 के लगभग फैसलों में से कुछ फैसले सुनाई देने लगे हैं.

भारत में एनजीओ जमातों की जो फंडिंग आती रही है, उसके जरिये देश विरोधी गतिविधियों को भी शह मिलती रही है. ये बात लम्बे समय से ज्ञात है. मोदी सरकार के आने के बाद से यानी 2014 से ही संदिग्ध एनजीओ बंद होने शुरू हो चुके थे. वर्ष 2022 में आयी अखबारों की रिपोर्ट बताती हैं कि पांच वर्षों में ही संदिग्ध विदेशी फंडिंग वाले 6677 संगठनों पर गाज गिरी थी.

गृह मंत्रालय की तरफ से एफसीआरए नियमों के उल्लंघन पर लगातार कार्रवाई होती रही है. गृह मंत्रालय के साथ सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय भी प्रतिबन्ध लगाता रहा है. ट्रंप अगर इनकी नकेल कस रहे हैं तो यूएसएड, रॉकफेलर फाउंडेशन जैसे संगठनों की फंडिंग पर असर पड़ेगा. भारत जो एनजीओ के नाम पर चल रहे समानांतर विचारों और अलगाव को पोषित करने वाली हवा से परेशान है, उसे भी राहत मिलेगी. 

ट्रंप का पहला कार्यकाल भारत के हित में था

डोनाल्ड ट्रंप के दूसरे कार्यकाल के शपथ ग्रहण के बाद, भारत और अमेरिका के बीच संबंधों में सकारात्मक प्रभाव देखने को मिल सकता है. ट्रंप की नीतियों का भारत पर कई महत्वपूर्ण क्षेत्रों में असर पड़ सकता है, जैसे कि व्यापार, सुरक्षा, और भू-राजनीतिक संबंध. ट्रंप के पहले कार्यकाल में, भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक संबंधों में सुधार हुआ था. ट्रंप की व्यापार नीतियों के तहत, भारत को अमेरिकी बाजार में अधिक पहुंच मिली थी.

दूसरे कार्यकाल में भी, यह उम्मीद की जा सकती है कि ट्रंप की नीतियों से भारत को व्यापारिक लाभ मिलेगा. हालांकि, ट्रंप ने लगभग 15 हजार भारतीयों को भी डिपोर्ट करने की बात की है, जो अवैध तरीके से वहां पहुंचे हैं. भारत ने भी सहयोग की इच्छा जतायी है. ऐसे में कुछ आलोचना इस बात पर हो रही है कि ट्रंप ने मोदी के मैसेज का जवाब नहीं दिया, तो बुलाया नहीं, आदि-इत्यादि. ये सारे बेसिरपैर की बातें हैं.

जयशंकर भारत का प्रतिनिधित्व कर ही रहे थे, फिर पोटस या ट्रंप के अपने हैंडल से कितने विश्व-नेताओं को बधाई मिली, ये भी देखना चाहिए. आलोचना कुछ तार्किक हो, तो मजा आए. 

पिछली बार अपने कार्यकाल में सुरक्षा के क्षेत्र में, ट्रंप प्रशासन ने भारत के साथ रक्षा सहयोग को बढ़ावा दिया था. भारत और अमेरिका के बीच रक्षा समझौतों और सैन्य अभ्यासों में वृद्धि हुई थी. ट्रंप के दूसरे कार्यकाल में भी, यह सहयोग जारी रहने की संभावना है, जिससे भारत की सुरक्षा स्थिति मजबूत होगी.

डाइवर्सिटी और एलजीबीटीक्यू+ के जुमलों का क्या होगा?

आम तौर पर भारतीय केवल एलजीबीटी बोलकर/लिखकर रुक जाते हैं, जिससे इसका व्यापक असर दिखता ही नहीं. असल में ये एलजीबीटीक्यू+ होता है और इसमें जो अंतिम “प्लस” वाला हिस्सा है, वो कई गंभीर प्रश्न खड़े करता है. शुरुआती एलजीबीटी की समलैंगिकता के पीछे छुपे इस “प्लस” वाले हिस्से में पशुओं और बच्चों के साथ यौन सम्बन्ध बनाने का रुझान रखने वाले भी आ जायेंगे.

अमेरिका में कई कानूनी मसले ऐसे ही शब्दों के जाल में फंसाकर अटकाए जा रहे थे. इसी का एक उदाहरण “सेक्स” को “बायोलॉजिकल” और “जेंडर” को “सोशल कंस्ट्रक्ट” बताना भी था. नए आदेशों में स्पष्ट कर दिया गया है कि ये शब्दों का जाल नहीं चलेगा और अब अमेरिकी सरकार के कामकाज में सीधे “सेक्स” शब्द इस्तेमाल होगा, “जेंडर” के आधार पर फैसले नहीं होंगे. जो सवा सौ से अधिक “जेंडर” घोषित करने की कवायद होती थी, उसपर इस एक स्त्री-पुरुष के जीव-विज्ञान आधारित भेद को मानने के फैसले से रोक लग जाती है.

भारत में ये मसला अभी गंभीर नहीं हुआ है, लेकिन देर-सवेर यह होना ही है. इसलिए, भारत को ट्रंप के इस फैसले से तो राहत ही मिली होगी. आखिर, भारत जैसी विविधता वाले देश में तो यह और भी बड़ी समस्या हो सकती है.  

आनन्द ने मार्केटिंग एवं मीडिया से स्नातकोत्तर की पढ़ाई के बाद कुछ वर्षों तक डाटा एनालिटिक्स में काम किया. पत्रकारिता और सोशल सोशल रिसर्च में रुचि की वजह से पूरी तरह लिक्खाड़ बन गए. वह यूनिसेफ से भी जुड़े रहे हैं और फिलहाल अपने शौक की वजह से कई संस्थानों के लिए स्वतंत्र लेखन और शोध करते हैं.
Read
और पढ़ें
Sponsored Links by Taboola
Advertisement

टॉप हेडलाइंस

अगर दिया भड़काऊ भाषण तो हो सकती है 10 साल तक की जेल, इस राज्य में कैबिनेट ने पास किया कानून, विधानसभा में होगा पेश
अगर दिया भड़काऊ भाषण तो हो सकती है 10 साल तक की जेल, इस राज्य में कैबिनेट ने पास किया कानून
क्या झारखंड में बदलने वाली है सरकार? मंत्री इरफान अंसारी का बड़ा बयान, 'हेमंत सोरेन...'
क्या झारखंड में बदलने वाली है सरकार? CM हेमंत सोरेन का नाम लेकर मंत्री ने दिया बड़ा बयान
'इसमें ग्रेट जैसा कुछ नहीं क्योंकि भारत...', G-7 में रूस के शामिल होने के सवाल पर पुतिन का क्लीयर जवाब
'इसमें ग्रेट जैसा कुछ नहीं क्योंकि भारत...', G-7 में रूस के शामिल होने के सवाल पर पुतिन का क्लीयर जवाब
तीसरे और निर्णायक वनडे के लिए Vizag पहुंची टीम इंडिया, कुछ इस अंदाज में दिखे विराट कोहली
तीसरे और निर्णायक वनडे के लिए Vizag पहुंची टीम इंडिया, कुछ इस अंदाज में दिखे विराट कोहली
Advertisement

वीडियोज

सुंदर बच्चियों की 'सीरियल किलर' LADY !  | Sansani | Crime News
India में दिख गया मोदी-पुतिन के 'दोस्ती का दम'...छा गई कार वाली 'केमेस्ट्री'
व्यापार से वॉर तक ये दोस्ती कितनी दमदार ?, देखिए सबसे सटीक विश्लेषण । Punit India Visit
Bharat ki Baat: भारत में दिखा 'दोस्ती का दम', पुतिन का जबरदस्त वेलकम! | Putin India Visit
पुतिन दौरे पर राहुल का 'डिप्लोमेसी बम'...दावे में कितना दम? । Sandeep Chaudhary । Putin India Visit
Advertisement
Advertisement
Petrol Price Today
₹ 94.72 / litre
New Delhi
Diesel Price Today
₹ 87.62 / litre
New Delhi

Source: IOCL

पर्सनल कार्नर

टॉप आर्टिकल्स
टॉप रील्स
अगर दिया भड़काऊ भाषण तो हो सकती है 10 साल तक की जेल, इस राज्य में कैबिनेट ने पास किया कानून, विधानसभा में होगा पेश
अगर दिया भड़काऊ भाषण तो हो सकती है 10 साल तक की जेल, इस राज्य में कैबिनेट ने पास किया कानून
क्या झारखंड में बदलने वाली है सरकार? मंत्री इरफान अंसारी का बड़ा बयान, 'हेमंत सोरेन...'
क्या झारखंड में बदलने वाली है सरकार? CM हेमंत सोरेन का नाम लेकर मंत्री ने दिया बड़ा बयान
'इसमें ग्रेट जैसा कुछ नहीं क्योंकि भारत...', G-7 में रूस के शामिल होने के सवाल पर पुतिन का क्लीयर जवाब
'इसमें ग्रेट जैसा कुछ नहीं क्योंकि भारत...', G-7 में रूस के शामिल होने के सवाल पर पुतिन का क्लीयर जवाब
तीसरे और निर्णायक वनडे के लिए Vizag पहुंची टीम इंडिया, कुछ इस अंदाज में दिखे विराट कोहली
तीसरे और निर्णायक वनडे के लिए Vizag पहुंची टीम इंडिया, कुछ इस अंदाज में दिखे विराट कोहली
DDLJ को पूरे हुए 30 साल तो खुशी से फूले नहीं समाए शाहरुख खान, काजोल संग दिए राज-सिमरन जैसे पोज
DDLJ को पूरे हुए 30 साल तो खुशी से फूले नहीं समाए शाहरुख खान, कही दिल की बात
अब वजन घटाने डाइट के लिए प्लान बनाना आसान, फिजियोथेरेपिस्ट ने बताया ChatGPT का स्मार्ट तरीका
अब वजन घटाने डाइट के लिए प्लान बनाना आसान, फिजियोथेरेपिस्ट ने बताया ChatGPT का स्मार्ट तरीका
आधार-UAN लिंकिंग की डेडलाइन खत्म, चूक गए तो अब नहीं कर पाएंगे ये काम
आधार-UAN लिंकिंग की डेडलाइन खत्म, चूक गए तो अब नहीं कर पाएंगे ये काम
इंग्लिश असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती के परिणाम से बड़ा झटका, 613 पद, पास सिर्फ 151 उम्मीदवार; जानें क्या है पूरा मामला
इंग्लिश असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती के परिणाम से बड़ा झटका, 613 पद, पास सिर्फ 151 उम्मीदवार; जानें क्या है पूरा मामला
Embed widget