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एक दशक से भी कम समय में काफी बदल गया भारत, वैश्विक व्यवस्था में अहम स्थान, 2013 से है बिल्कुल अलग: रिपोर्ट

रिपोर्ट में कहा गया है- 2013 की तुलना में ये भारत बिल्कुल अलग है. दस साल के छोटे से अरस में भारत ने वैश्विक व्यवस्था में एक महत्वपूर्ण स्थान बना लिया है. आज भारत एशिया और वैश्विक वृद्धि में एक अहम रोक निभाने को तैयार है.

भारत काफी तेजी के साथ बदला है. महज 10 साल से भी कम समय में भारत विश्व व्यवस्था में एक महत्वपूर्ण स्थान हासिल करने की ओर है. अमेरिकी ब्रोकरेज कंपनी मोर्गन स्टेनले रिसर्च ने अपने रिपोर्ट में ये बात कही है. 'इंडिया इक्विटी स्ट्रैटजी एंड इकॉनोमिक्स: हाउ इंडिया हैज ट्रांसफॉर्म्ड इन लेस देन ए डिकेड' से रिपोर्ट में 10 बड़े बदलाव की ओर इशारा किया गया है. खासकर भारत की नीति और इसके बाजार और अर्थव्यवस्था पर असर को बताया गया है.

इस रिपोर्ट में कहा गया है- 2013 की तुलना में ये भारत बिल्कुल अलग है. दस साल के छोटे से अरस में भारत ने वैश्विक व्यवस्था में एक महत्वपूर्ण स्थान बना लिया है. रिपोर्ट में कहा है कि आज भारत एशिया और वैश्विक वृद्धि में एक अहम रोक निभाने को तैयार है. भारत को लेकर संदेह, विशेषरूप से विदेशी निवेशकों के मामले में, 2014 के बाद से हुए उल्लेखनीय बदलावों को नजरअंदाज करने जैसा है.

एक दशक में तेजी से बदला भारत

समाजार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, मोर्गन स्टेनले रिसर्च रिपोर्ट में इन आलोचनाओं को खारिज किया गया है कि विश्व की दूसरी सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था होने और पिछले 25 वर्षों के दौरान सबसे बेहतर प्रदर्शन करने वाले शेयर बाजार के बावजूद भारत अपनी क्षमता के अनुरूप नतीजे नहीं दे सका है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सत्ता संभालने के बाद 2014 से हुए 10 बड़े बदलावों का जिक्र करते हुए ब्रोकरेज कंपनी ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि भारत में कॉरपोरेट कर की दर को अन्य देशों के बराबर किया गया है. इसके अलावा बुनियादी ढांचे में निवेश बढ़ रहा है.
इस रिपोर्ट में जीएसडी का भी जिक्र किया गया है. बताय गया कि माल एवं सेवा कर (जीएसटी) संग्रह लगातार बढ़ रहा है. साथ ही, सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के प्रतिशत में डिजिटल लेन-देन बढ़ रहा है, जो अर्थव्यवस्था के संगठित होने का संकेत है.

10 बड़े बदलाव हुए

समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार, मोर्गन स्टेनले रिसर्च ने इस रिपोर्ट में 10 बड़े बदलाव का जिक्र किया गया है, जिनमें सप्लाई साइड पॉलिसी रिफॉर्म, फॉर्मलाइजेशन ऑफ इकॉनोमी, रियल एस्टेट (एगुलेशन एंड डेवलपमेंट) एक्ट, डिजिटलाइजिंग सोशल ट्रांसफर्स और इन्सोल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड का जिक्र किया गया है. 

सप्लाई साइड रिफॉर्म आंकड़े पेश करते हुए इस रिपोर्ट में भारत के कॉर्पोरेट टैक्स का भी जिक्र किया गया है. इसमें बताया गया है कि 10 वर्षों में, भारत की मूल कॉर्पोरेट कर दर 25 प्रतिशत से नीचे बनी हुई है, जबकि 24 मार्च से पहले शुरू होने वाली नई कंपनियों के लिए यह 15 प्रतिशत पर बनी हुई है. जहां तक आधारभूत संचरनाओं के विकास की बात है तो इस रिपोर्ट में राष्ट्रीय राजमार्गों, ब्रॉडबैंड सब्सक्राइबर बेस, नवीकरणीय ऊर्जा और रेलवे रुट्स के बिजलीकरण करने की बात कही गई है.

भारतीय अर्थव्यवस्था को लेकर मॉर्गन स्टेनली ने जीएसटी कलेक्शन को लिया जो बीते सालों से लगातार ऊपर की ओर रुझान को जाहिर कर रहा था. इसके साथ ही, डिजिटल लेन-देन सकल घरेलू उत्पाद का करीब 76 फीसदी तक बढ़ा.

रोजगार बढ़ाना बड़ी चुनौती

दिल्ली यूनिवर्सिटी के आर्यभट्ट कॉलेज में इकॉनोमिक्स विभाग की प्रोफेसर डॉक्टर आस्था अहूजा का कहना है कि मोदी सरकार के दौरान सुधार के तो काफी कदम उठाए गए हैं लेकिन रोजगार की दिशा में कुछ प्रगति नहीं हो पाई है. उनका कहना है कि जब हम अर्थव्यवस्था की बात करते हैं तो महंगाई, असामनता, रोजगार इन सभी चीजों का जिक्र करना जरूरी है. 

वे कहती है कि 2015-16 वित्तीय वर्ष के दौरान ग्रोथ रेड 8 फीसदी रहा. इसके बाद ग्रोथ रेट कम हुई है. 2020 में ग्रोथ रेड 4 फीसदी तक गिरा है. कोरोना की वजह से 2021 में जीडीपी 6 फीसदी रही, उसके बाद वित्तीय वर्ष 2022 में 9 फीसदी और वित्तीय वर्ष 2023 में रहा 7 फीसदी. इसकी वजह से भारत को तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था कहा गया है. वे मानती है कि पर कैपिटा जीडीपी 2014 से लेकर 2023 तक 67 फीसदी बढ़ी है, जबकि यही पर कैपिटा इनकर 2004 से 2014 तक 147 फीसदी बढ़ी थी. लेकिन इस दौरान डबल डिजिट महंगाई दर भी देखी गई थी.  

लेकिन, पिछले चार सालों को छोड़ दे तो खुदरा महंगाई दर नियंत्रण की स्थिति में है. लेकिन जब बात नौकरी की हो तो यहां पर नई नौकरियों का सृजन बहुत ज्यादा जरूरी है. इसकी वजह हमें सतत् तरीके से गरीबी को कम करना है. सरकार का आंकड़ा है, जिसमें कहा गया था कि बेरोजगारी दर 45 वर्षों के दौरान सबसे ज्यादा है. लेकिन ये भी वास्तविक आंकड़ा नहीं है क्योंकि लोगों ने काम ढूंढना ही बंद कर दिया है. आस्था अहूजा कहती हैं कि जब बात गरीबी की हो तो वर्ल्ड बैक की गरीबी की रिपोर्ट में ये कहा गया कि भारत में सबसे ज्यादा गरीब बसते हैं. जब हम असमानता की बात करें तो भारत में सबसे ज्यादा असमानता है. 

ये भी पढ़ें: यूएन पीसकीपिंग मिशन, भारत का सैन्य से लेकर ट्रेनिंग और तकनीक में बढ़ता योगदान, संयुक्त राष्ट्र ने की सराहना

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