By: ABP Live | Updated at : 14 Jun 2022 05:23 PM (IST)
(12 ज्योतिर्लिंगों में पहला है गुजरात का सोमनाथ मंदिर)
First Jyotirlinga in Hinduism: हिंदू धर्म के शिव महापुराण में सभी ज्योतिर्लिंगों की जानकारी दी गई है. सभी ज्योतिर्लिंगों में गुजरात का सोमनाथ मंदिर सबसे पहला और खास है. सोमनाथ मंदिर की ऊंचाई लगभग 155 फीट है. ये मंदिर भगवान शिव शंकर को समर्पित है. सोमनाथ मंदिर प्रभास पाटन में स्थित है. जो वेरावल बंदरगाह से थोड़ी दूर पर है. मंदिर के बाहर वल्लभभाई पटेल, रानी अहिल्याबाई आदि की मूर्तियां भी लगी हैं.
मंदिर के ऊपर है 10 टन बजनी कलश
जब आप मंदिर के अंदर आएंगे तो आपको मंदिर के ऊपर एक कलश रखा दिखाई देगा. इस कलश का वजन करीब 10 टन है. यहां लहरा रहे ध्वजा की उचाई 27 फीट है और अगर इसकी परिधि की बात करें तो 1 फीट बताई जाती है. मंदिर के अंदर आते ही आपको चारों ओर विशाल आंगन दिखाई देगा. मंदिर को तीन भागों में विभाजित किया गया है.
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इस ज्योतिर्लिंग को सोमनाथ क्यों जाता है?
पवित्र पुस्तक शिवपुराण के अनुसार चंद्र देव ने यहां राजा दक्ष प्रजापति के श्राप से मुक्ति पाने के लिए भगवान शिव की तपस्या की थी. उन्होंने यहीं ज्योतिर्लिंग के रूप में विराजमान रहने की प्रार्थना की थी. बता दें कि सोम चंद्रमा का ही एक नाम है और शिव को चंद्रमा ने अपना नाथ स्वामी मानकर यहां तपस्या की थी. इसी के चलते ही इस ज्योतिर्लिंग को सोमनाथ कहा जाता है.
सोमनाथ मंदिर पर कितनी बार आक्रमण हुआ है?
अगर आप सोमनाथ मंदिर का इतिहास पढ़ेंगे तो आपको पता चलेगा कि समय-समय पर सोमनाथ मंदिर पर कई आक्रमण हुए. सोमनाथ मंदिर में तोड़-फोड़ भी की गई. आपको बता दें कि सोमनाथ मंदिर पर कुल 17 बार आक्रमण हुए और हर बार मंदिर का जीर्णोद्धार कराया गया.
क्या है बाण स्तंभ का अनसुलझा रहस्य?
समुद्र के किनारे मंदिर के दक्षिण में एक बाण स्तंभ है. ये बाण स्तंभ बहुत प्राचीन है. इस बात की जानकारी किसी के पास नहीं है कि इसे कब बनाया गया था. लेकिन इतिहास की गहराइयों में जाने के बाद 6वीं शताब्दी से बाण स्तंभ का उल्लेख इतिहास में मिलता है. इसके जानकार बताते हैं कि बाण स्तंभ एक दिशादर्शक स्तंभ है, जिसके ऊपरी सिरे पर एक तीर (बाण) बनाया गया है. जिसका मुंह समुद्र की ओर है.
बाण स्तंभ पर क्या लिखा है?
इस बाण स्तंभ पर लिखा है आसमुद्रांत दक्षिण ध्रुव, पर्यंत अबाधित ज्योतिमार्ग. इसका मतलब ये है कि समुद्र के इस बिंदु से दक्षिण ध्रुव तक सीधी रेखा में एक भी अवरोध या बाधा नहीं है. इस पंक्ति का सरल अर्थ यह है कि सोमनाथ मंदिर के उस बिंदु से लेकर दक्षिण ध्रुव तक अर्थात अंटार्टिका तक एक सीधी रेखा खिंची जाए तो बीच में एक भी पहाड़ या भूखंड का टुकड़ा नहीं आता है.
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