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PM मोदी, केजरीवाल, राहुल समेत इन छह नेताओं के लिए चुनाव में जीत के मायने, समझिए

Assembly Election: गुजरात और हिमाचल चुनाव में बीजेपी (BJP) और कांग्रेस की जीत-हार के अपने मायने हैं. गुजरात में 5 सीटों पर मिली जीत को आम आदमी पार्टी (AAP) बड़ी उपलब्धि मान रही है.

Assembly Election Results 2022: गुजरात और हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव के नतीजे गुरुवार (8 दिसंबर) को आने के बाद सियासी नफा नुकसान का गणित लगाया जा रहा है. गुजरात विधानसभा चुनाव (Gujarat Elections 2022) में बीजेपी (BJP) ने काफी बेहतर प्रदर्शन किया. पिछले 27 साल से बीजेपी की सरकार है और सातवीं बार मिली जीत ने बीजेपी नेताओं के उत्साह को और बढ़ा दिया है. वहीं, हिमाचल प्रदेश में हर पांच साल में सत्ता बदलने का रिवाज बरकरार रहा. कांग्रेस (Congress) यहां 40 सीटों पर जीत दर्ज कर सरकार बनाने जा रही है. 

गुजरात और हिमाचल विधानसभा चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस की जीत-हार के अपने मायने हैं. चुनाव में जनता का फैसला कई नेताओं के लिए अहम सियासी मायने रखता है. वहीं, गुजरात चुनाव में आम आदमी पार्टी (AAP) के लिए 5 सीट पर सफलता और दिल्ली एमसीडी में आम आदमी पार्टी का प्रदर्शन भविष्य में सियासी बदलाव के तौर पर देखा जा रहा है. 

नरेंद्र मोदी का चेहरा कितना कारगर?

बीजेपी के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) का चेहरा अभी भी सियासी आकर्षण का केंद्र बना हुआ है. हिमाचल चुनाव में बीजेपी को भले ही हार का मुंह देखना पड़ा, लेकिन गुजरात चुनाव में बीजेपी का रिकॉर्ड प्रदर्शन इस बात का अहम सबूत है कि मोदी के चेहरे की विश्वसनीयता और उनकी काबिलियत जनता को लुभाने के लिए अभी भी बरकरार है.

नरेंद्र मोदी ने 20 साल तक बीजेपी के लिए गुजरात जीता. इन चुनावों में नरेंद्र मोदी ने न केवल खुद के रिकॉर्ड को तोड़ा बल्कि गुजरात के चुनावी इतिहास में सबसे ज्यादा संख्या तक पहुंचाया. पीएम मोदी ने यहां 30 से अधिक रैलियां की और दिखा दिया कि जनता का उनके प्रति कितना गहरा लगाव है. 

अमित शाह अहम रणनीतिकार!

देश के मौजूदा गृहमंत्री और बीजेपी के वरिष्ठ नेता अमित शाह (Amit Shah) पार्टी के लिए अहम रणनीतिकार माने जाते हैं. गुजरात चुनाव में भी शाह ने बूथ लेवल पर हो रही तैयारियों पर नजर रखते हुए ऐतिहासिक जीत में अहम रोल अदा किया. इस जीत से शाह की पार्टी में सियासी प्रतिष्ठा और बढ़ी है. बताया जाता है कि साल 1987 में अमित शाह ने पहली बार नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी और बीजेपी के लिए गुजरात में स्थानीय नगरपालिका चुनावों में मैनेजमेंट में उनकी मदद की थी. 35 साल बाद आज अमित शाह का कद काफी बढ़ा है. वो बीजेपी में नंबर दो की भूमिका में हैं. गुजराती नेता के तौर पर भी उनकी अपनी पहचान है. अध्यक्ष पद पर रहते हुए उन्होंने अपनी सियासी कौशल का उत्कृष्ट प्रदर्शन कर बीजेपी को ऐतिहासिक मुकाम पर पहुंचाया. 

जेपी नड्डा कितने कामयाब?

जेपी नड्डा (JP Nadda) बीजेपी के मौजूदा अध्यक्ष हैं और 8 दिसंबर का दिन उनके लिए काफी मायने रखने वाला था. नड्डा की अध्यक्षता में पार्टी ने गुजरात में ऐतिहासिक जीत दर्ज तो की लेकिन वो अपने गृह राज्य में ही पार्टी को जीत दिलाने में नाकामयाब रहे. हिमाचल में ताबड़तोड़ चुनाव प्रचार के बावजूद वो सत्ता विरोधी लहर से पैदा हुए नुकसान को दूर करने में असमर्थ दिखे. इन सबके बावजूद भी पार्टी में उनकी अपनी पहचान है. फिर भी, पीएम मोदी और अमित शाह के साथ नड्डा के समीकरण ठीक-ठाक हैं. उनकी सौहार्दपूर्ण राजनीतिक कार्यशैली और वैचारिकता उन्हें अच्छी स्थिति में रखते हैं और उन्हें पार्टी अध्यक्ष के तौर पर एक और कार्यकाल मिलने की पूरी संभावना दिखती है.

राहुल गांधी कितने सफल?

कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) अपनी पार्टी की सियासी जमीन को मजबूत करने के लिए लगातार कोशिशों में जुटे हुए हैं. वो लगातार भारत जोड़ो यात्रा के जरिए सियासी बदलाव की उम्मीद कर रहे हैं. हालांकि इस यात्रा के बीच गुजरात चुनाव में मिली हार पार्टी के लिए एक झटका है. वहीं, हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव में जीत कांग्रेस के लिए एक नई उम्मीद बनकर आई है. राहुल गांधी केंद्र सरकार के खिलाफ महंगाई, बेरोजगारी और गरीबी का मुद्दा लगातार उठाते रहे हैं. पार्टी के अध्यक्ष पद छोड़कर वंशवाद के आरोप को उन्होंने जवाब भी दिया है. राहुल गांधी को उम्मीद है कि 2024 आम चुनाव में जनता का रूख बदलेगा. 

मल्लिकार्जुन खरगे

मल्लिकार्जुन खरगे के कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद उम्मीद जताई जा रही थी कि पार्टी गुजरात और हिमाचल दोनों में बेहतरीन प्रदर्शन करेगी. गुजरात में पार्टी को भारी निराशा हुई तो वहीं, हिमाचल में जीत से उत्साह बढ़ा है. नेहरू-गांधी परिवार की ओर से समर्थित छवि की समस्या से जूझ रहे खरगे ने गुजरात अभियान में सीमित कल्पना का प्रदर्शन किया. हिमाचल की जीत वास्तव में खरगे को पार्टी के शासन के लिए एक तीसरा राज्य देती है, लेकिन उनकी परीक्षा अब प्रबंधन और राज्य में पूरे पांच साल तक सरकार बनाए रखने की होगी. खरगे की अगली बड़ी परीक्षा उनके गृह राज्य कर्नाटक में होगी, जहां कांग्रेस को बड़ी उम्मीद है. 

केजरीवाल कहां खड़े हैं?

दिल्ली में एक आंदोलन से जन्म लेने वाली आम आदमी पार्टी (AAP) धीरे-धीरे अपनी सियासी जमीन मजबूत करती दिख रही है. पिछले 10 सालों में दिल्ली और पंजाब में सरकार बनाने के बाद गुजरात में पांच सीट जीत लेना केजरीवाल (Arvind Kejriwal) के लिए बड़ी सफलता मानी जा रही है. गुजरात में 10 फीसदी से अधिक वोट शेयर लाना पार्टी बड़ी उपलब्धि बताई जा रही है. एक राष्ट्रीय पार्टी के रूप में मान्यता मिलने का रास्ता साफ होने के बाद केजरीवाल के लिए केंद्र की राजनीति करने में और सुविधा होगी.

दिल्ली के सीएम के रूप में केजरीवाल पहले से ही जनता की उम्मीदों पर खरा उतरने की कोशिश करते रहे हैं. वहीं, अब दिल्ली अब नगर निगम चुनाव में भी अरविंद केजरीवाल का जादू चल गया. MCD चुनाव में 250 में से 134 पर जीत दर्ज कर पार्टी ने शानदार प्रदर्शन किया.

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