एक्सप्लोरर

Opinion: सनातन के ऊपर प्रहार कर अपनी राजनीति चमकाने का ये है कौन सा तरीका

इधर एक नया ट्रेंड सा बन गया है कि सनातन के प्रतीकों, पर्वों, महापुरुषों या परंपराओं पर छींटाकशी कर सुर्खियों में लोग आ जाते हैं. उनको पता है कि एकाध दिनों की सोशल मीडिया बहस और हंगामे के बाद सबकुछ जस का तस हो जाएगा. यह किसी भी दूसरे धर्म या मजहब के साथ नहीं होता, लेकिन सनातन के खिलाफ बोलकर न जाने कौन सा सुख मिलता है? अभी पश्चिम बंगाल की महिला मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मोक्षदायनी, पापनाशिनी, आस्था के महाकुंभ को ‘मृत्यु-कुम्भ’ कहकर अपनी वोटबैंक की राजनीति चमकाने की कोशिश की. साथ ही बंगाल में राजनीतिक विमर्श को भी नया मोड़ दे दिया. उत्तर प्रदेश से अखिलेश यादव ने इस बयान पर समर्थन दिया. इसने एक बार फिर इस बात पर मुहर लगा दी कि वो और उनकी पार्टी बंगाल के चुनाव में दिल्ली की तरह कांग्रेस का हाथ नहीं थामेंगे बल्कि इंडिया गठबंधन से कांग्रेस को दरकिनार करने वाली राजनीति को बुलंद करते नज़र आएंगे.

सनातन विरोधी बयानों की झड़ी

महाकुंभ को लेकर ममता की बयानबाजी ही सनातन विरोधी नहीं है बल्कि ऐसे नेताओं की फेहरिस्त बड़ी लंबी है. लालू प्रसाद यादव ने कुछ दिनों पहले ही महाकुंभ को ‘फालतू-वालतू’ कहा था. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन  खड़गे ने कहा था कि ‘संगम में डुबकी लगाने से गरीबी नहीं खत्म होगी’!


Opinion: सनातन के ऊपर प्रहार कर अपनी राजनीति चमकाने का ये है कौन सा तरीका

समाजवादी पार्टी की राज्यसभा सांसद जया बच्चन ने तो सरकार पर भगदड़ में काल के गाल में समाए श्रद्धालुओं की लाश को संगम में फेंकने का आरोप लगा दिया. आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति से इतर क्या ऐसी कोई बयानबाजी ये सारी पार्टियां किसी भी और धर्म के लिए इस्तेमाल कर सकती हैं?

ये वही नेता हैं जिन्होंने ना कभी इफ्तार से गुरेज किया और ना इस्लाम धर्म की प्रतीकात्मक जालीदार टोपी लगाने से! सुरक्षा और कानून को ताक पर रख कर सड़क पर पढे जाने वाले नमाज़ की भी पैरोकारी करते नज़र आ जाते हैं. लाइलाज बीमारियों को विभिन्न टैंटरम इस्तेमाल कर ठीक करने का झांसा देकर, पंजाब से लेकर कर्नाटक और बिहार से लेकर छत्तीसगढ़ तक, हो रहे हुलेलुइया और धर्म परिवर्तन कराने पर भी इन नेताओं के मुख से उफ्फ़ तक नहीं निकलता, मगर मौका ढूंढ-ढूंढ कर सनातन पर प्रहार करना शायद भारतीय राजनीति का शौक बन गया है!

ये फ्रीडम ऑफ एक्सप्रेशन है या सनातन से घृणा

सनातन पर प्रहार नया नहीं है. लोकसभा चुनाव के पहले से ही उदायनिधि स्टेलिन और प्रियांक खड़गे के सनातन विरोधी बयानों पर समस्त इंडी गठबंधन की रजामंदी हिन्दुत्व के प्रति इनकी नासमझी और घृणा को दर्शा रही थी. क्या ये नेता कभी यह कह सकते हैं कि हज करने से गरीबी नहीं हटती या हज में हुए हादसों में हुई भगदड़ या आगजनी में हुए मृत्यु पर इसे ‘मौत के हज’ की संज्ञा दे दें? कमाल की बात है कि सनातन पर प्रहार सबसे अधिक हिंदू नामधारी नेताओं की ओर से ही रहा है. नेता तो अपनी राजनीति चमकाने के लिए अपने कोर वोट बैंक को साधते हैं और यह बहुत आम है. मगर जब सनातन के शंकराचार्य पद पर विराजे लोग मृत्यु कुम्भ जैसे बयान को अपना समर्थन देते हैं तब सनातनियों की ना सिर्फ भावनाएं आहत होती हैं बल्कि अपने विश्वास और धर्म के अगुआ को लेकर मन मस्तिष्क प्रश्न करता है.

किसी भी कमजोर को अनुचित कुछ कह देना, बुली कर देना या परेशान कर देना बहुत आसान होता है. मगर किसी सशक्त पर बार-बार कुठाराघात करना एक बात की ओर ही इशारा करता है कि आघात करने वाला या तो मानसिक विक्षिप्त है या फिर बलवान की सहन शक्ति हर सीमा के पार है! बांग्लादेश या पाकिस्तान में हिंदुओं पर मानसिक, शारीरिक, भावनात्मक अत्याचार समझ आता है क्योंकि वहाँ हिन्दू अल्पसंख्यक हैं. मगर हिन्दू बाहुल्य राष्ट्र में हिंदुओं की आस्था पर, सनातन पर, हिन्दुत्व पर, उनकी परंपराओं पर बारम्बार आघात और बयानबाजी यह बात सुनिश्चित करती है कि तुष्टीकरण के लिए विशेष भावनाओं के पोषक राजनेता हिंदुओं को ‘ग्रांटेड’ लेना कभी बंद नहीं करेंगे.

सनातन विरोध-सबसे आसान, सबसे सुरक्षित

वाम धारा के वाहकों का सनातन पर उल्टा-सीधा बोलना कुछ नया नहीं है. इस राजनीति की तो नींव ही सनातन विरोध पर रखी गयी है. मगर आज कांग्रेस पार्टी भी सनातन विरोध में आज सबसे आगे हैं. शाहबानो प्रकरण पर सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय को पलटने वाली कांग्रेस सरकार अब तक यह बात नहीं समझ पाई कि तुष्टीकरण के इस दांव के बाद तीन दशक से आज तक इस पार्टी को लोकसभा में बहुमत नहीं मिल पाया.

कुम्भ में हुई भगदड़ में 30 श्रद्धालुओं की मृत्यु हुई जो दुखद है. इसके बाद नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर हुई 18 मौत भी कुम्भ पर धब्बे की तरह है. परंतु, इसको राजनीति साधने का अवसर बना लेना कहां तक जायज है, साथ ही हमें यह समझना होगा कि कुम्भ का आयोजन सांस्कृतिक पारंपरिक आयोजन है जो साधारण जन की आस्था का प्रगाढ़ विषय है. कोई भी सरकार ऐसे आयोजनों को बेहतर बनाने में अपना योगदान भर दे सकती है. सरकार की ओर से ऐसी सहभागिता पहले कभी नहीं हुई जो अबकी दिखी है. इसका एकमात्र कारण यही है कि भाजपा की उत्तर प्रदेश की सरकार हिन्दू जनमानस के दबे भावनाओं को समझ उसका आदर कर विश्व स्तरीय इंतज़ाम कर सकने में सफल हुई. यह जन सुविधाओं का सुफल प्रभाव ही है जो लगभग 60 करोड़ सनातनी संगम स्नान का पुण्य लाभ ले पाएं.

कुम्भ स्नान तो 12 साल में एक बार आने वाला आयोजन है जिसका सीधा प्रभाव किसी हिन्दू के जीवन पर नहीं पड़ता. मगर क्या यही नेता दूसरे मज़हबों की कुरीतियों पर प्रश्न उठाते कभी दिखें हैं जो उस मजहब के अनुयायियों के दैनिन्दिनी, में जीवन को कुप्रभावित कर रहा हो और सामाजिक ताने बाने को नष्ट कर रहा हो? तीन तलाक और हलाला जैसी अमानवीय मजहबी कुरीति को भी, जिसका पालन कई इस्लामिक राष्ट्र भी नहीं करते, उसे तक हटाने के लिए कानून बनाने पर केंद्र की भाजपा सरकार को विरोध का सामना करना पड़ा था.

सनातन विरोध का खामियाजा उठा रहे हैं दल

चाहे पार्टियां सनातन विरोध में नीचता की पराकाष्ठा वाली बयानबाजी करके तत्काल कुछ सीटों पर फायदा ले ले रहीं हो मगर व्यापक दृष्टि डालें तो ऐसे बयान इनके ताबूत में कील साबित हो रहें हैं. लोकसभा में समाजवादी पार्टी का प्रदर्शन चाहे बेहतर हुआ हो मगर इसके तुरंत बाद प्रदेश में हुए 9 सीटों समेत ताजा मिलकीपुर में हुए उपचुनाव में मिली करारी हार फिर प्रमाणित कर रही कि सनातन विरोधी मानसिकता वालों की ग्राह्यता हिन्दू समाज में तो नहीं ही है.

लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी का पूरा राजनीतिक करियर ही सनातन विरोधी बयानों या उसके समर्थन का रहा है. 2014 के अगस्त में  तालकटोरा स्टेडियम में आयोजित एक कार्यक्रम में यह बयान दे दिया  था कि लोग मंदिर जाते हैं, मंदिर में जाकर मत्था टेकते हैं और जो आपको मां- बहन कहते हैं वही लोग आपको बस में छेडते हैं. जुलाई 2024 में सदन में राहुल गांधी ने पूरे हिन्दू समाज को हिंसक कहा था जिसे बाद में संसद की कार्यवाही से हटाया गया था. महाकुंभ को मृत्यु कुम्भ कहने वाली ममता बैनर्जी ने कई मीडिया रिपोर्ट्स के आधार पर 2015 में हज की भगदड़ में मारे पश्चिम बंगाल के मुसलमानों को अफसोस जाहीर कर 10-10 लाख मुआवज़ा देती हैं. मगर लाख टके का यक्ष प्रश्न यही है कि  दुर्घटनाओं पर धर्म के आधार पर कैसे संवेदनशीलताएं बदल जाती हैं?

[नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. यह ज़रूरी नहीं है कि एबीपी न्यूज़ ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही ज़िम्मेदार है.] 

View More

ओपिनियन

Sponsored Links by Taboola
25°C
New Delhi
Rain: 100mm
Humidity: 97%
Wind: WNW 47km/h

टॉप हेडलाइंस

'नेक काटना हम जानते हैं...', सिलीगुड़ी कॉरिडोर पर भारत को धमकी देने वाले बांग्लादेशी कट्टरपंथियों को नागालैंड के मंत्री ने का जवाब
'नेक काटना हम जानते हैं', भारत को धमकी देने वाले बांग्लादेशी कट्टरपंथियों को नागालैंड के मंत्री की दो टूक
31 दिसंबर की रात से सुबह 5 बजे तक खुले रहेंगे होटल और ऑर्केस्ट्रा बार, राज्य सरकार का फैसला
31 दिसंबर की रात से सुबह 5 बजे तक खुले रहेंगे होटल और ऑर्केस्ट्रा बार, राज्य सरकार का फैसला
दुनिया के टॉप 5 सबसे खतरनाक टैंक, जंग के मैदान में मचा देते हैं तबाही, पहाड़ से जमीन सब हो जाएगा धुआं-धुआं!
दुनिया के टॉप 5 सबसे खतरनाक टैंक, जंग के मैदान में मचा देते हैं तबाही, पहाड़ से जमीन सब हो जाएगा धुआं-धुआं!
न्यूजीलैंड को ऑस्ट्रेलिया पर आखिरी टेस्ट जीत दिलाने वाले ऑलराउंडर ने लिया संन्यास, क्रिकेट के सभी फॉर्मेट को कहा अलविदा
न्यूजीलैंड को ऑस्ट्रेलिया पर आखिरी टेस्ट जीत दिलाने वाले ऑलराउंडर ने लिया संन्यास, क्रिकेट के सभी फॉर्मेट को कहा अलविदा
ABP Premium

वीडियोज

Sansani: Happy New Year मैसेज से सावधान ! |Cyber Crime
Maharastra News: चुनाव लड़ने के लिए झोले में चिल्लर लेकर पहुंच गए नेताजी | ABP News
Janhit with Chitra Tripathi: बंगाल की 'महाभारत'... चुनाव में घुसपैठ पर टक्कर | BJP Vs TMC
Bharat Ki Baat: चकमा की हत्या पर पुलिस का 'चकमा'? | Angel Chakma Death | CM Dhami | Dehradun
Sandeep Chaudhary: बंगाल में सियासत भारी...घुसपैठ रोकना किसकी जिम्मेदारी? | Mamata | Amit Shah

पर्सनल कार्नर

टॉप आर्टिकल्स
टॉप रील्स
'नेक काटना हम जानते हैं...', सिलीगुड़ी कॉरिडोर पर भारत को धमकी देने वाले बांग्लादेशी कट्टरपंथियों को नागालैंड के मंत्री ने का जवाब
'नेक काटना हम जानते हैं', भारत को धमकी देने वाले बांग्लादेशी कट्टरपंथियों को नागालैंड के मंत्री की दो टूक
31 दिसंबर की रात से सुबह 5 बजे तक खुले रहेंगे होटल और ऑर्केस्ट्रा बार, राज्य सरकार का फैसला
31 दिसंबर की रात से सुबह 5 बजे तक खुले रहेंगे होटल और ऑर्केस्ट्रा बार, राज्य सरकार का फैसला
दुनिया के टॉप 5 सबसे खतरनाक टैंक, जंग के मैदान में मचा देते हैं तबाही, पहाड़ से जमीन सब हो जाएगा धुआं-धुआं!
दुनिया के टॉप 5 सबसे खतरनाक टैंक, जंग के मैदान में मचा देते हैं तबाही, पहाड़ से जमीन सब हो जाएगा धुआं-धुआं!
न्यूजीलैंड को ऑस्ट्रेलिया पर आखिरी टेस्ट जीत दिलाने वाले ऑलराउंडर ने लिया संन्यास, क्रिकेट के सभी फॉर्मेट को कहा अलविदा
न्यूजीलैंड को ऑस्ट्रेलिया पर आखिरी टेस्ट जीत दिलाने वाले ऑलराउंडर ने लिया संन्यास, क्रिकेट के सभी फॉर्मेट को कहा अलविदा
TMMTMTTUM BO Day 6: कार्तिक आर्यन की  'तू मेरी मैं तेरा मैं तेरा तू मेरी' हिट हुई या फ्लॉप? 6 दिनों के कलेक्शन से जानें पूरी रिपोर्ट
'तू मेरी मैं तेरा मैं तेरा तू मेरी' हिट हुई या फ्लॉप? 6 दिनों के कलेक्शन से जानें पूरी रिपोर्ट
ताजमहल: मोहब्बत की इमारत पर सियासत की स्याही! 'सफेद कब्रिस्तान' कहने वाले कोई शर्म तुमको न आई
ताजमहल: मोहब्बत की इमारत पर सियासत की स्याही! 'सफेद कब्रिस्तान' कहने वाले कोई शर्म तुमको न आई
न शहबाज शरीफ न आसिम मुनीर और न इशाक डार... खालिदा जिया के जनाजे में पाकिस्तान से कौन जाएगा बांग्लादेश?
न शहबाज, न मुनीर और न इशाक डार... खालिदा जिया के जनाजे में PAK से कौन जाएगा बांग्लादेश?
"इसका भी Come Back हो गया" कृष का सुनेगा वाले धूम का बदल गया लुक- यूजर्स भी रह गए हैरान
Embed widget