एक्सप्लोरर

33 साल बाद चीन की जनता ने आखिर क्यों उठाई तानाशाही के खिलाफ आवाज़?

दुनिया के तीन दर्जन से भी ज्यादा देशों की सरकारों के लिये उस जमाने में सबसे बड़ा खतरा बन चुके एक निहत्थे दार्शनिक ओशो रजनीश ने बरसों पहले कहा था, "लोगों की आवाज को कोई सत्ता जब बहुत देर तक दबाती है, तो एक दिन वह एक ऐसे उबले हुए पानी की तरह बाहर निकल आती है, जिसकी गर्म तपिश सबसे ताकतवर शहंशाह को भी अर्श से फर्श पर लाने में ज्यादा देर नहीं लगाती है."

चीन, दुनिया की तीन बड़ी महाशक्तियों में शुमार है लेकिन इसी देश में आम लोग आज सबसे ज्यादा परेशान हैं. पुरानी कहावत है कि इतिहास खुद को दोहराता है और चीन की जनता शायद 1989 के इतिहास को दोहराने के लिए सड़कों पर उतर आई है.

आपको याद होगा कि दिसंबर 2019 में चीन की एक लैब से बेहद खतरनाक रणनीति के तहत छोड़े गए कोविड वायरस ने दुनिया में एक-डेढ़ साल तक किस कदर तबाही मचाई थी. अब वही कोविड चीनी सरकार के लिए जी का जंजाल बन चुका है.
दरअसल, चीन में कोरोना मामलों में फिर से तेजी से इजाफा हो रहा है लेकिन वहां के लोगों में सख्त कोविड नियमों को लेकर कम्युनिस्ट सरकार (CCP) के प्रति नाराजगी अब गुस्से का भयानक रूप ले चुकी है. लोगों में गुस्सा इतना बढ़ गया है कि वे अपने राष्ट्रपति शी जिनपिंग (Xi Jinping) के इस्तीफे की मांग करते हुए सड़कों पर उतर आये हैं. सरकार के खिलाफ देशव्यापी विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया है. 

चीन की सरकार ने देश के बहुत बड़े हिस्से में सख्त कोविड प्रतिबंधों को लागू कर रखा है. इसे लेकर चीन के लोग रोष में हैं. चीन के अलग-अलग इलाकों से लगातार विरोध प्रदर्शन की खबरें सामने आ रही हैं, जिनमें राजधानी बीजिंग से लेकर शंघाई जैसे प्रमुख शहर शामिल हैं. जीरो कोविड पॉलिसी के तहत अपनाई जा रही सख्ती से लोग इतना परेशान हो चुके हैं कि उनका गुस्सा अब चीन की सरकार को इतिहास दोहराने की याद दिलाने की तरफ धकेल रहा है.
 
दरअसल, पश्चिमोत्तर चीन के शिनजियांग (Xinjiang) प्रांत के उरुमकी (Urumqi) में स्थित एक आवासीय इमारत में शुक्रवार को आग लगने से 10 लोगों की मौत हो गई और कई लोग घायल हो गए थे. कोविड को लेकर इतनी जबरदस्त सख्ती के बीच इस घटना ने चीन के लोगों का गुस्सा इतना भड़का दिया कि शिनजियांग समेत कई दूसरे इलाकों में लोगों को सड़कों पर उतरकर अपनी सरकार के खिलाफ नारेबाजी व विरोध करने पर मजबूर होना पड़ा. चीन से आने वाली रिपोर्ट के मुताबिक शनिवार रात से ये विरोध प्रदर्शन इतना तेज हो गया है, जो देश के कई और प्रांतो तक फैल गया है.

हालांकि जनहित से जुड़े कुछ खास मुद्दों को लेकर चीन में विरोध की आवाजें पहले भी उठती रही हैं. तब भी बार बार "शी जिनपिंग गद्दी छोड़ो, शी जिनपिंग गद्दी छोड़ो" का नारा गूंजता रहा. चीन की राजनीति को समझने वाले जानते हैं कि कम्युनिस्ट पार्टी एक ऐसा राजनीतिक संगठन है जिसकी सबसे बड़ी प्राथमिकता सत्ता में बने रहना है. लिहाजा, ये विरोध प्रदर्शन कम्युनिस्ट पार्टी के लिए अब एक बड़ी चुनौती बन गए हैं. ऐसा लगता है कि सरकार ज़ीरो कोविड नीति के प्रति लगातार बढ़ रहे विरोध को समझ नहीं पाई. इस नीति को राष्ट्रपति शी जिनपिंग से जोड़कर इसलिये भी देखा जाता रहा है क्योंकि हाल ही में उन्होंने कहा था कि चीन इस नीति से पीछे नहीं हटेगा.

चीन की राजनीति को समझने वाले विशेषज्ञों की मानें, तो चीन की सरकार के पास देश को खोलने की तैयारी करने के लिए तीन साल थे लेकिन अधिक अस्पताल, आईसीयू यूनिट बनाने और टीकाकरण की ज़रूरत पर ज़ोर देने के बजाए, चीन की सरकार ने बड़े पैमाने पर टेस्ट करने, लॉकडाउन लगाने और लोगों को अलग-थलग करने में भारी संसाधनों का निवेश किया. इसलिये लगता है कि चीन ऐसे वायरस से जंग जीतना चाहता है, जो शायद कभी जाए ही नहीं.

जानकर कहते हैं कि चीन में सबसे ताकतवर नेता बनकर उभरे शी जिनपिंग को अगर सत्ता में बने रहना है, तो उन्हें साढ़े 33 बरस पुराने थियानमेन आंदोलन को भूलने की गलती कभी नहीं करनी चाहिये. बता दें कि 4 जून 1989 को चीन में लोकतंत्र की मांग को लेकर थियानमेन चौक जाने वाली सड़कों पर इकट्ठा हुए हजारों निहत्थे छात्रों और कार्यकर्ताओं पर चीनी सेना ने भीषण बल प्रयोग किया था. सेना ने उस आंदोलन को कुचलने के लिए सड़कों पर टैंक उतार दिए थे और उस सैन्य कार्रवाई में अनेकों लोग मारे गए थे. चीन के सरकारी आंकड़ों के अनुसार तब 200 लोग मारे गए और लगभग 7 हजार घायल हुए थे.
हालांकि चीन के इस झूठे आंकड़े की पोल वहां मौजूद

ब्रिटेन के एक पत्रकार ने ये दावा करते हुए पोल खोल दी थी कि इस नरसंहार में 10 हजार से अधिक लोग मारे गए. लोकतंत्र की बहाली के लिए प्रदर्शन करनेवाले छात्रों के खिलाफ चीनी सेना ने जिस दमनकारी हिंसक नीति का प्रयोग किया था, पूरे विश्व में आज भी उसकी आलोचना होती है.इसलिये कि वह एक तानाशाह की सनक के क्रूर चेहरे का सबसे बड़ा सबूत था,जो इतिहास के एक स्याह पन्ने पर आज भी दर्ज है.

हालांकि उस विरोध प्रदर्शन की शुरुआत तो अप्रैल 1989 में चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के पूर्व महासचिव और उदार सुधारवादी नेता  हू याओबांग की मौत के बाद ही हो चुकी थी. हू चीन के रुढ़िवादियों और सरकार की आर्थिक और राजनीतिक नीति के विरोध में थे और हारने के कारण उन्हें पद से हटा दिया गया था. छात्रों ने उन्हीं की याद में एक मार्च आयोजित किया था,जिसने एक बड़े आंदोलन का रुप ले लिया था.देश के इतिहास में ऐसे अभूतपूर्व प्रदर्शन को देखकर लोगों को ये उम्मीद जगी थी कि चीन में अब लोकतंत्र की एक नई सुबह होगी. तानाशाही में यकीन रखने वाली हर सरकार का बर्ताव बेहद क्रूर होता है,जो अपने खिलाफ़ उठने वाली हर आवाज़ को दबाने के लिए पूरे देश को बर्बादी के रास्ते पर ले जाती है.

इसलिये सवाल तो अब  कॉमरेड शी जिनपिंग से पूछा  जाना चाहिए कि क्या वे भी इतिहास दोहराने में ही यकीन रखते हैं?

नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें-
दुनिया के सबसे बड़े तानाशाह का साथ आखिर क्यों चाहता है चीन?

और देखें

ओपिनियन

Advertisement
Advertisement
25°C
New Delhi
Rain: 100mm
Humidity: 97%
Wind: WNW 47km/h
Advertisement

टॉप हेडलाइंस

Lok Sabha Elections: थम गया छठे चरण का चुनाव प्रचार, मेनका, संबित पात्रा और धर्मेंद्र प्रधान की साख का अब 25 मई को होगा इम्तिहान
थम गया छठे चरण का चुनाव प्रचार, मेनका, संबित पात्रा और धर्मेंद्र प्रधान की साख का अब 25 मई को होगा इम्तिहान
राजस्थान में लू लगने से पांच लोगों की मौत, बाड़मेर में तापमान 48.8 डिग्री पर पहुंचा, कई जिलों में रेड अलर्ट
राजस्थान में लू लगने से पांच लोगों की मौत, बाड़मेर में तापमान 48.8 डिग्री पर पहुंचा, कई जिलों में रेड अलर्ट
Lok Sabha Elections 2024: सुबह हनुमान मंदिर गए तो शाम को इफ्तार देना होगा... जानें प्रधानमंत्री मोदी ने क्यों कही ये बात
सुबह हनुमान मंदिर गए तो शाम को इफ्तार देना होगा... जानें प्रधानमंत्री मोदी ने क्यों कही ये बात
70 साल की उम्र में बुजुर्ग ने की शादी, अब लुटेरी दुल्हन जेवरात लेकर हुई फरार
70 साल की उम्र में बुजुर्ग ने की शादी, अब लुटेरी दुल्हन जेवरात लेकर हुई फरार
for smartphones
and tablets

वीडियोज

Loksabha Election 2024: चुनाव से पहले कोहराम..जल रहा नंदीग्राम | Mamata Banerjee |  West BengalLoksabha Election 2024: बुजुर्ग मां-बाप...केजरीवाल..और कैमरा ! Delhi Police | PM Modi | KejriwalLoksabha Election 2024: सबसे बड़ा रण...कौन जीतेगा आजमगढ़ ? Dinesh Lal Nirahua | Dharmendra YadavAAP और कांग्रेस साथ, इंडिया गठबंधन को वोट की बरसात या फिर बीजेपी को 7 में 7? KBP Full

पर्सनल कार्नर

टॉप आर्टिकल्स
टॉप रील्स
Lok Sabha Elections: थम गया छठे चरण का चुनाव प्रचार, मेनका, संबित पात्रा और धर्मेंद्र प्रधान की साख का अब 25 मई को होगा इम्तिहान
थम गया छठे चरण का चुनाव प्रचार, मेनका, संबित पात्रा और धर्मेंद्र प्रधान की साख का अब 25 मई को होगा इम्तिहान
राजस्थान में लू लगने से पांच लोगों की मौत, बाड़मेर में तापमान 48.8 डिग्री पर पहुंचा, कई जिलों में रेड अलर्ट
राजस्थान में लू लगने से पांच लोगों की मौत, बाड़मेर में तापमान 48.8 डिग्री पर पहुंचा, कई जिलों में रेड अलर्ट
Lok Sabha Elections 2024: सुबह हनुमान मंदिर गए तो शाम को इफ्तार देना होगा... जानें प्रधानमंत्री मोदी ने क्यों कही ये बात
सुबह हनुमान मंदिर गए तो शाम को इफ्तार देना होगा... जानें प्रधानमंत्री मोदी ने क्यों कही ये बात
70 साल की उम्र में बुजुर्ग ने की शादी, अब लुटेरी दुल्हन जेवरात लेकर हुई फरार
70 साल की उम्र में बुजुर्ग ने की शादी, अब लुटेरी दुल्हन जेवरात लेकर हुई फरार
'भाई जी! सब ठीक हो गया, लेकिन...', CM सुखविंदर सिंह सुक्खू ने सुनाया विधायकों की क्रॉस वोटिंग का किस्सा
'भाई जी! सब ठीक हो गया, लेकिन...', CM सुखविंदर सिंह सुक्खू ने सुनाया विधायकों की क्रॉस वोटिंग का किस्सा
The Family Man 3 OTT Updates: 'फैमिली मैन 3' में नहीं नजर आएगा ये दमदार एक्टर, खुद किया इसपर बड़ा खुलासा
'फैमिली मैन 3' में नहीं नजर आएगा ये दमदार एक्टर, खुद किया इसपर बड़ा खुलासा
Cancer: कैंसर से जुड़ी बातों को मरीज को कभी नहीं बताते हैं डॉक्टर, जानें क्यों?
कैंसर से जुड़ी बातों को मरीज को कभी नहीं बताते हैं डॉक्टर, जानें क्यों?
कांग्रेस नेता कन्हैया कुमार के पुराने इंटरव्यू का भ्रामक दावे के साथ क्लिप्ड वीडियो किया जा रहा वायरल
कांग्रेस नेता कन्हैया कुमार के पुराने इंटरव्यू का भ्रामक दावे के साथ क्लिप्ड वीडियो किया जा रहा वायरल
Embed widget