नया नौ दिन, पुराना सौ दिन – सांस्कृतिक राष्ट्रवाद और उपभोक्तावाद में से एक का करना होगा चुनाव
बिहार को जहरीली शराब या बाढ़ से भी नहीं, तो फर्क किस बात से पड़ता है?
अबके बरस बिहार में जब बाढ़ देर से आई, लेकिन खबरों से क्यों है दूरी बनाई
बिहार की बाढ़ प्राकृतिक कहर कम, नेताओं-नौकरशाहों की उदासीनता और अकर्मण्यता है अधिक
साइबर ठगीः बिहार में जनता को ही नहीं, व्यवस्था को भी है विकास की जरूरत
आपदा की तरह बरते बिहार सरकार सर्पदंश को, ओझा गुनियों को मिले प्रशिक्षण, तभी लगेगी लगाम