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104 साल के ऑस्ट्रेलियाई वैज्ञानिक ने अपनी मर्जी से कहा दुनिया को अलविदा
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![गुडॉल ने इस साल की शुरुआत में खुद से आत्महत्या करने की कोशिश की थी लेकिन वो नाकाम रहे. इसके बाद उन्होंने स्विस संगठन से मदद लेने का फैसला किया. उन्होंने कहा था, ‘‘अगर मैं ऐसा कर पाता तो यह सबके लिए ज्यादा आसान होता लेकिन बदकिस्मती से ऐसा नहीं हुआ.’’ आपको बता दें कि आत्महत्या में मदद करना अधिकतर देशों में गैरकानूनी है.](https://static.abplive.com/wp-content/uploads/sites/2/2018/05/11093752/AP_18128473605211.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
गुडॉल ने इस साल की शुरुआत में खुद से आत्महत्या करने की कोशिश की थी लेकिन वो नाकाम रहे. इसके बाद उन्होंने स्विस संगठन से मदद लेने का फैसला किया. उन्होंने कहा था, ‘‘अगर मैं ऐसा कर पाता तो यह सबके लिए ज्यादा आसान होता लेकिन बदकिस्मती से ऐसा नहीं हुआ.’’ आपको बता दें कि आत्महत्या में मदद करना अधिकतर देशों में गैरकानूनी है.
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![104 साल के इस बुजुर्ग वैज्ञानिक ने कहा था कि उन्हें उम्मीद है कि इस मामले में लोगों की व्यापक रुचि से ऑस्ट्रेलिया और दूसरे देश अपने कानून में बदलाव करने के लिए प्रेरित होंगे. उन्होंने कहा, ‘‘मुझे खुशी होती अगर मैं ऐसा ऑस्ट्रेलिया में ये कर पता और मुझे काफी अफसोस है कि जिंदगी खत्म करने के अधिकार से जुड़े कानूनों के मामले में ऑस्ट्रेलिया स्विट्जरलैंड से पीछे है.’’](https://static.abplive.com/wp-content/uploads/sites/2/2018/05/11093749/AP_18128473576543.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
104 साल के इस बुजुर्ग वैज्ञानिक ने कहा था कि उन्हें उम्मीद है कि इस मामले में लोगों की व्यापक रुचि से ऑस्ट्रेलिया और दूसरे देश अपने कानून में बदलाव करने के लिए प्रेरित होंगे. उन्होंने कहा, ‘‘मुझे खुशी होती अगर मैं ऐसा ऑस्ट्रेलिया में ये कर पता और मुझे काफी अफसोस है कि जिंदगी खत्म करने के अधिकार से जुड़े कानूनों के मामले में ऑस्ट्रेलिया स्विट्जरलैंड से पीछे है.’’
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![गुडॉल की ऑस्ट्रेलिया से स्विट्जरलैंड आने में मदद करने वाले संगठन ‘एक्जिट इंटरनेशनल’ के संस्थापक फिलिप नित्शके ने ट्विटर पर लिखा कि वैज्ञानिक ने ‘शांतिपूर्ण तरीके से अंतिम सांस ली.’ उन्होंने बताया कि लाइफ साइकल क्लीनिक में नेम्बुटल (इस तरह की आत्महत्या के लिए इस्तेमाल की जाने वाली दवा) के जरिये दिन में साढ़े दस बजे (अंतरराष्ट्रीय समयानुसार) वैज्ञानिक ने दम तोड़ा.](https://static.abplive.com/wp-content/uploads/sites/2/2018/05/11093747/AP_18127635473590.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
गुडॉल की ऑस्ट्रेलिया से स्विट्जरलैंड आने में मदद करने वाले संगठन ‘एक्जिट इंटरनेशनल’ के संस्थापक फिलिप नित्शके ने ट्विटर पर लिखा कि वैज्ञानिक ने ‘शांतिपूर्ण तरीके से अंतिम सांस ली.’ उन्होंने बताया कि लाइफ साइकल क्लीनिक में नेम्बुटल (इस तरह की आत्महत्या के लिए इस्तेमाल की जाने वाली दवा) के जरिये दिन में साढ़े दस बजे (अंतरराष्ट्रीय समयानुसार) वैज्ञानिक ने दम तोड़ा.
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![अपना जीवन खत्म करने के लिए स्विट्जरलैंड पहुंचे 104 साल के एक ऑस्ट्रेलियाई वैज्ञानिक ने एक फाउंडेशन की मदद से आत्महत्या के जरिए दुनिया को अलविदा कहा. उनकी मदद करने वाले फांउडेशन ने यह जानकारी दी. डेविड गुडॉल को अपने देश में आत्महत्या के लिए मदद मांगने से रोक दिया गया था. उन्हें एक ऐसी बीमारी थी जिसे ठीक नहीं किया जा सकता था और इसी वजह से उनका कहना था कि उनकी जिंदगी में अब कुछ ऐसा नहीं रहा जिसकी वजह से उन्हें जीने की लालसा हो वो मरना चाहते हैं.](https://static.abplive.com/wp-content/uploads/sites/2/2018/05/11093744/000_14P4W2.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
अपना जीवन खत्म करने के लिए स्विट्जरलैंड पहुंचे 104 साल के एक ऑस्ट्रेलियाई वैज्ञानिक ने एक फाउंडेशन की मदद से आत्महत्या के जरिए दुनिया को अलविदा कहा. उनकी मदद करने वाले फांउडेशन ने यह जानकारी दी. डेविड गुडॉल को अपने देश में आत्महत्या के लिए मदद मांगने से रोक दिया गया था. उन्हें एक ऐसी बीमारी थी जिसे ठीक नहीं किया जा सकता था और इसी वजह से उनका कहना था कि उनकी जिंदगी में अब कुछ ऐसा नहीं रहा जिसकी वजह से उन्हें जीने की लालसा हो वो मरना चाहते हैं.
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![पर्थ के एडिथ कोवन यूनिवर्सिटी के रिसर्च असोसियेट गुडॉल एक हफ्ते पहले ऑस्ट्रेलिया से रवाना हुए थे और परिवार से मिलने के लिए फ्रांस के बोर्दो में रुके थे. इसके बाद वो सोमवार को स्विटजरलैंड के बासेल पहुंचे. उन्होंने कहा था, ‘‘मैं अब और जीना नहीं चाहता. मैं खुश हूं कि मेरे पास कल इसे खत्म करने का मौका होगा और इसे संभव करने के लिए यहां के डॉक्टरों की सराहना करता हूं.’’](https://static.abplive.com/wp-content/uploads/sites/2/2018/05/11093740/000_14P4W1.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
पर्थ के एडिथ कोवन यूनिवर्सिटी के रिसर्च असोसियेट गुडॉल एक हफ्ते पहले ऑस्ट्रेलिया से रवाना हुए थे और परिवार से मिलने के लिए फ्रांस के बोर्दो में रुके थे. इसके बाद वो सोमवार को स्विटजरलैंड के बासेल पहुंचे. उन्होंने कहा था, ‘‘मैं अब और जीना नहीं चाहता. मैं खुश हूं कि मेरे पास कल इसे खत्म करने का मौका होगा और इसे संभव करने के लिए यहां के डॉक्टरों की सराहना करता हूं.’’
Published at : 11 May 2018 09:40 AM (IST)
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उमेश चतुर्वेदी, वरिष्ठ पत्रकारCommentator
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