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छत्तीसगढ़ में लागू हुई क्रांतिकारी 'चार चिन्हारी योजना' – बदलने लगी है गांवों की सूरत
छत्तीसगढ़ में इन दिनों गांधी के ग्राम स्वराज के सपने को जमीन पर उतारने की कोशिश की जा रही है. इसी कोशिश के तहत वहां पर महत्वाकांक्षी "चार चिन्हारी योजना" शुरू की गई है. इस योजना के तहत वहां पर नरवा, गरुवा, घुरवा और बाड़ी का निर्माण हो रहा है. नरवा का अर्थ नालियां और बरसाती नदियां होता है. गरुवा का अर्थ गौवंश यानी मवेशी है. घुरवा मतलब घर का वो हिस्सा जहां पर गोबर या अन्य जैविक कूड़ा जमा किया जाता है और बाड़ी मतलब मकान के करीब का वो खेत वहां पर सब्जियां उगायी जाती हैं. भूपेश बघेल सरकार ने इन चारो को जोड़ कर एक व्यापक योजना शुरू की है. इसका नाम रखा है "चार चिन्हारी योजना" यानी नरवा, गरुवा, घुरवा और बाड़ी योजना. इसके तहत गांव-गांव में गौठान का निर्माण किया जा रहा है. शुरुआती लक्ष्य के मुताबिक प्रदेश में 1908 गौठान और 1560 चारागाह बनाये जा रहे हैं. यहां गांव के मवेशी रखे जा रहे हैं. गौठान में जैविक खाद और जैविक कीटनाशक तैयार हो रहा है. यहां सब्जियां, फूल और फलदार पौधे भी लगाए गए हैं. वर्मी कंपोस्ट खाद भी बनाया जा रहा है. यही नहीं इनके प्रबंधन के लिए समितियां बनाई गई है और उन्हें आर्थिक मदद मुहैया कराई जा रही है. जहां भी संभव हुआ है वहां इसकी जिम्मेदारी महिला स्व सहायता समूहों को दी गई है. भूपेश बघेल सरकार का ये एक इंटीग्रेटेड प्लान है. गौठनों के पास मछली पालन और मुर्गी पालन की योजना भी बनाई गई है. मतलब परोक्ष के साथ प्रत्यक्ष रोजगार का सृजन भी हो रहा है. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की कोशिश है कि छत्तीसगढ़ के गांवों को पूरी तरह स्वावलंबी बना दिया जाए और इसका असर भी नजर आने लगा है. गांव बदल रहे हैं. बेहतर हो रहे हैं.
(डिस्क्लेमर: ये ABPLive Brand Studio की प्रस्तुति है. कार्यक्रम में बताई गयी जानकारियाँ, विचार और अनुभव कार्यक्रम में शामिल लोगों के निजी विचार हैं, इससे एबीपी न्यूज़ नेट्वर्क का कोई लेना देना नहीं है.)
(डिस्क्लेमर: ये ABPLive Brand Studio की प्रस्तुति है. कार्यक्रम में बताई गयी जानकारियाँ, विचार और अनुभव कार्यक्रम में शामिल लोगों के निजी विचार हैं, इससे एबीपी न्यूज़ नेट्वर्क का कोई लेना देना नहीं है.)
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