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पीएम मोदी या राहुल गांधी, जातीय-जनगणना से किसकी चमकेगी राजनीति? | Uncut
जाति आधारित जनगणना का मुद्दा एक बार फिर से सिर उठा रहा है. चाहे वो बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार हों या फिर अपना दल की अनुप्रिया पटेल या फिर मोदी सरकार में शामिल रामदास आठवले, सभी लोग जाति आधारित जनगणना की मांग कर रहे हैं. इसके पीछे उनका तर्क है कि अगर आंकड़े सामने आ जाते हैं तो फिर नीतियां बनाने में मदद मिलेगी. हालांकि सरकार का तर्क है कि 1951 में ही तय हुआ था कि ऐसी जनगणना नहीं होगी, लेकिन मंडल कमीशन के लागू होने के बाद नई नीतियों को बनाने, उन्हें लागू करने और नए सिरे से उन्हें परिभाषित करने में मदद मिलेगी. इसके अलावा जाति आधारित जनगणना के पीछे और भी बड़े-बड़े तर्क हैं, जिनके बारे में विस्तार से बता रहे हैं कार्यकारी संपादक विजय विद्रोही.
विद्रोही विजय
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