Rajasthan: उदयपुर के 80% शारीरिक दिव्यांग ने खारदुंगला दर्रे को पार कर बनाया विश्व रिकॉर्ड, लद्दाख के राज्यपाल किया सम्मानित
Rajasthan News: उदयपुर के डॉ अरविंदर सिंह ने 80% शारीरिक दिव्यांगता होने के बावजूद सबसे खतरनाक लेह लद्दाख के खारदुंगला दर्रे को पार कर विश्व रिकॉर्ड बनाया है.
Khardungla Pass of Ladakh: देशभर में कई दिव्यांग है, जिसमें से कोई अपनी दिव्यांगता से परेशान होकर जिंदगी हार जाते हैं, लेकिन कई ऐसे होते हैं जो ऐसा कुछ कर जाते हैं जिससे वह दुनिया में नाम कमा जाते हैं. ऐसा ही उदाहरण एक उदयपुर में हुआ है. उदयपुर के एक दिव्यांग जो 80% विकलांग है, उन्होंने लेह - लद्दाख के खतरनाक खारदुंगला दर्रे को पार के लिया है. इन्होंने इसे पार करते ही विश्व रिकॉर्ड अपने नाम किया है. यहीं नहीं लद्दाख के राज्यपाल ने उन्हें सम्मानित करते हुए प्रमाण पत्र सौंपा है. जिन दिव्यांग की बात कर रहे हैं वह है उदयपुर के डॉ अरविंदर सिंह जानते हैं किन चुनौतियों का उन्होंने सामना किया.
डॉ अरविंदर सिंह ने बताया कि खारदुंगला काफी खतरनाक ट्रेक हैं. यहां एक तरफ पहाड़ी तो दूसरी तरफ गहरी खाई है. यहीं नहीं अभी तो हिमालय में बारिश से काफी परेशानियां आ रही है. लैंड स्लाइडिंग की घटनाएं हो रही है. मैंने इस दर्रे को स्क्वाड बाइक से पूरा किया. ऐसी स्थितियों में काफी ध्यान से चलाना पड़ा. क्योंकि ऑक्सीजन की कमी के कारण ध्यान रखना पड़ता था कि कही चक्कर आकार बैलेंस ना बिगड़ जाए. फिर भी लेह से खारदुंगला का यह 42 किलोमीटर का ट्रैक पूरा कर लिया है.
ट्वीट कर दी बधाई
इस साहसी और चुनौतीपूर्ण प्रयास से उन्होंने ऐसा करने वाले पहले और एकमात्र शारीरिक रूप से 80 प्रतिशत दिव्यांग व्यक्ति के रूप में वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, लंदन में अपना नाम दर्ज कराया. दुनिया के सबसे ऊंचे मोटरेबल शिखर में शामिल इस चुनौतीपूर्ण कार्य करने पर लद्दाख के राज्यपाल डॉ. बी.डी. मिश्रा ने डॉ. सिंह को इस ऐतिहासिक उपलब्धि के लिए विश्व रिकॉर्ड का प्रमाण पत्र प्रदान किया और ट्वीट कर बधाई भी दी.
अन्य भी रिकॉर्ड है इनके नाम
यह यह पहली बार नहीं है जब डॉ. सिंह ने विश्व स्तर पर अपनी श्रेष्ठता साबित की है. पिछले वर्ष डा. सिंह ने एकेडमिक एक्सीलेंस का अनूठा विश्व रिकॉर्ड बनाया था. उन्होंने 123 डिग्रियां, डिप्लोमा और सर्टिफिकेट हासिल करने का गौरव प्राप्त है. इसके अलावा, भारत के सबसे प्रतिष्ठित प्रबंधन संस्थानों में से एक भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआईएम) में टॉप करने वाले एकमात्र डॉक्टर के रूप में जाना जाता है. साथ ही पैरा वर्ग में पिस्टल शूटिंग में राज्य का स्वर्ण पदक भी जीत चुके हैं.
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