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Gopalganj News: मैट्रिक-इंटर की परीक्षा का फॉर्म भरने में 54 स्कूलों में हुआ फर्जीवाड़ा, प्रिंसिपल पर हो सकती है कार्रवाई
डीइओ राजकुमार शर्मा ने कहा कि सभी प्रधानाध्यापकों से स्पष्टीकरण के साथ ही पंजीकृत छात्र-छात्राओं की सूची, परीक्षा आवेदन पत्र भरे गए छात्र-छात्राओं की सूची तलब की गयी है. जांच के बाद कार्रवाई होगी.
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गोपालगंज: साल 2022 में होने वाले बिहार बोर्ड की मैट्रिक और इंटर की परीक्षा से पहले गोपालगंज के 54 स्कूलों में परीक्षार्थियों के फॉर्म भरने में फर्जीवाड़े का मामला सामने आया है. परीक्षार्थियों के रजिस्ट्रेशन और परीक्षा फॉर्म में उनका और उनके माता-पिता का पूरा नाम बदला हुआ पाया गया है. इधर, बिहार विद्यालय परीक्षा समिति (BSEB) ने इस तरह का फर्जीवाड़ा पाए जाने के बाद सख्त कदम उठाते हुए सभी स्कूलों से पंजीयन (सूचीकरण) और बोर्ड की वेबसाइट पर भरा गया परीक्षा आवेदन फॉर्म मांगा है. साथ ही इन सभी स्कूलों के प्रधानाध्यापकों से जिला शिक्षा पदाधिकारी राजकुमार शर्मा द्वारा स्पष्टीकरण भी मांगा गया है.
बढ़ सकती हैं परीक्षार्थियों की मुश्किलें
इनमें गोपालगंज के 44 माध्यमिक विद्यालय और 10 प्लस-टू स्कूल और इंटर कॉलेज शामिल हैं. शिक्षा विभाग के अधिकारियों की पड़ताल में पाया गया कि जिन छात्र-छात्राओं का पंजीयन फॉर्म बोर्ड की वेबसाइट पर भरा गया, उनका परीक्षा फॉर्म नहीं भरा गया.
पंजीकृत छात्रों के परीक्षा फॉर्म में परीक्षार्थी के साथ-साथ उनके माता-पिता का पूरा नाम बदला हुआ है, जो नियम के विरुद्ध है. फर्जीवाड़ा सामने आने के बाद बोर्ड की ओर से इन स्कूलों के प्रधानाध्यापकों पर कार्रवाई शुरू कर दी गई है. वहीं, परीक्षार्थियों की मुश्किलें भी बढ़ सकती हैं. बोर्ड उनका पंजीकरण भी रद्द कर सकता है.
बिहार बोर्ड का क्या है नियम?
बिहार विद्यालय परीक्षा समिति द्वारा पंजीकृत (सूचीकरण) और परीक्षा आवेदन फॉर्म भरने के लिए विस्तृत विज्ञापन जारी किया जाता है. इसके मुताबिक परीक्षार्थी के नाम और उसके माता-पिता के नाम में किसी भी रूप में पूर्ण परिवर्तन नहीं किया जा सकता है. आंशिक परिवर्तन किया जा सकता है, जिसका अर्थ है कि नाम लिखने में अगर स्पेलिंग की गलती है, तो उसे सुधारा जा सकता है. पूर्ण पहचान जैसे विद्यार्थी का नाम या उसके माता-पिता का नाम किसी भी हाल में पूरी तरह बदला नहीं जा सकता. अगर पूर्ण पहचान बदली जाती है, तो परीक्षार्थी का सूचीकरण रद्द कर दिया जाता है.
जानें कैसे हुआ फर्जीवाड़ा
सूत्रों की मानें तो सरकारी विद्यालयों ने पंजीकरण (सूचीकरण) के समय जानबूझकर अधूरे और अस्पष्ट नामों से रजिस्ट्रेशन कराया. जैसे माता-पिता का नाम 'एक्स, वाई, जेड' लिख दिया जाना और जब फॉर्म भरने की बारी आयी तो मनमाने ढंग से फॉर्म भरा गया. सूचीकरण में दर्ज परीक्षार्थी के नाम और उसके माता-पिता का नाम तथा परीक्षा आवेदन में दर्ज परीक्षार्थी के नाम और उसके माता-पिता के नाम में अंतर पाया गया. बिहार विद्यालय परीक्षा समिति ने जब जांच कराई तो यह फर्जीवाड़ा सामने आया.
ऐसे में बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के परीक्षा नियंत्रक ने पत्र जारी कर जिला शिक्षा पदाधिकारी से संबंधित विद्यालयों के प्रधानाध्यापकों से सूचीकरण और परीक्षा आवेदन पत्र, जो उन्होंने बिहार बोर्ड की वेबसाइट पर ऑनलाइन भरा है, उसकी हार्ड कॉपी मांगी और स्पष्टीकरण मांगने का आदेश दिया. इसके बाद जिला शिक्षा पदाधिकारी राजकुमार शर्मा ने पत्र जारी कर 54 विद्यालयों के प्रधानाध्यापकों से स्पष्टीकरण मांगा है. अधिकारियों के मुताबिक प्रथम दृष्टया निजी लाभ के उद्देश्य से जानबूझ कर मनमाने ढंग से अनियमितता बरती गई है. उचित जवाब नहीं मिलने पर अनुशासनिक कार्रवाई भी हो सकती है.
मांगा गया है स्पष्टीकरण- डीईओ
डीईओ राजकुमार शर्मा ने कहा कि सभी प्रधानाध्यापकों से स्पष्टीकरण के साथ ही पंजीकृत छात्र-छात्राओं की सूची, परीक्षा आवेदन पत्र भरे गए छात्र-छात्राओं की सूची तलब की गयी है. डीईओ ने कहा कि अवलोकन के लिए अचूक रूप से एक नवंबर तक सभी दस्तावेजों को जमा किया जाए, ताकि सत्यापन कर परीक्षा समिति को शिक्षा विभाग द्वारा भेजा जा सके. डीईओ कार्यालय से बजाप्ते चिट्ठी जारी की गयी है, जिसमें कहा गया है कि स्पष्टीकरण एवं साक्ष्य उपलब्ध नहीं कराने की स्थिति में प्रधानाध्यापकों के विरुद्ध अनुशासनिक कार्रवाई की जायेगी.
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