By: शिवेंद्र कुमार सिंह, वरिष्ठ खेल पत्रकार | Updated at : 30 Jul 2016 02:56 PM (IST)
नई दिल्लीः इससे पहले क्रिकेट में फिक्सिंग की खबरें सुनी थी. फुटबॉल में भी कभी कभार ऐसी खबरें तब तक आ चुकी थीं. लेकिन 2012 लंदन ओलंपिक्स में जब बैडमिंटन और बॉक्सिंग में फिक्सिंग की खबरें आईं तो यकीन ही नहीं हुआ. दिमाग में रह रहकर एक ही बात घूम रही थी. ओलंपिक के बारे में तो कहा जाता है कि जिस तरह सूरज की रोशनी के आगे चांद तारों की चमक फीकी पड़ जाती है, उसी तरह ओलंपिक खेलों के आगे दुनिया के बाकी सभी खेल आयोजनों की चमक फीकी पड़ जाती है.
जिन खेलों को फास्टर, हायर और स्ट्रॉन्गर के उद्देश्य के साथ खेला जाता हो, जिन खेलों को अमेरिका, अफ्रीका, यूरोप, ऑस्ट्रेलिया और एशिया में खेलों का सबसे बड़ा महाकुंभ माना जाता हो, वहां फिक्सिंग...ये सुनना और उसके बाद की सोच में तीन भाव थे, आश्चर्य, दुख और अफसोस.
2012 लंदन ओलंपिक्स में जिन दो खेलों में फिक्सिंग की खबरें आई थीं- वो थे बैडमिंटन और बॉक्सिंग. भारतीय दल के लिए ये खबर इसलिए भी बहुत बड़ी थी क्योंकि इन दोनों खेलों में फिक्सिंग के चलते भारतीय खिलाड़ियों को बड़ा नुकसान हुआ था. तमाम फैसले भारतीय एथलीटों के खिलाफ गए थे. बॉक्सिंग में भारतीय बॉक्सरों के साथ गलत फैसले हुए थे. भारतीय दल की तरफ से उन फैसलों को लेकर शिकायत भी की गई, लेकिन उन शिकायतों का कोई असर नहीं हुआ. पहलवानी में भी अमित कुमार की हार को लेकर महाबली सतपाल नाराज थे. उनका कहना था कि इस तरह के फैसलों को देखकर लगता है कि रेफरी पैसे लेकर फैसले दे रहे हैं. अगर निष्पक्ष फैसले हुए होते तो 2012 में भारतीय एथलीटों के मेडल की संख्या निश्चित तौर पर ज्यादा होती.

इससे पहले बैडमिंटन में फिक्सिंग की खबरें आई थीं. मुझे अच्छी तरह याद है कि उसका बड़ा नुकसान भारतीय महिला जोड़ी ज्वाला गुट्टा और अश्विनी पोनप्पा को हुआ था. दोनों की आंखे आंसुओं से भरी हुई थीं. अश्विनी पोनप्पा तो अपने घरवालों के गले लगकर फूट फूट कर रोई थीं. हम लोगों ने बड़ी मुश्लिक से दोनों को इंटरव्यू के लिए तैयार किया.
आप भी सुनिए दोनों की नाराजगी
दरअसल हुआ ये था कि चीन, दक्षिण कोरिया और इंडोनेशिया के खिलाड़ियों पर यह आरोप लगा था कि उन्होंने जानबूझकर अपने मैच गंवा दिए. जान-बूझकर मैच गंवाने के पीछे सीधी सोच यह थी कि अगले राउंड में उन्हें मजबूत टीम से ना भिड़ना पड़े. इन मैचों के दौरान दर्शकों ने खिलाड़ियों को जमकर हूट भी किया था, लेकिन बात जब फिक्सिंग की निकल कर आई तो हर किसी को झटका लगा. बाद में बैडमिंटन वर्ल्ड फेडरेशन ने इन तीनों टीमों की आठ खिलाड़ियों को डिसक्वालीफाई तक कर दिया. जाहिर है मैच की रिकॉर्डिंग देखने के बाद खिलाड़ियों पर जानबूझकर हारने के आरोप साबित होने के बाद ही ये फैसला लिया गया था. इस पूरे घटनाक्रम में इस बात की उम्मीद थी कि ज्वाला और अश्विनी को भी एक मौका मिलेगा, लेकिन तमाम नियमों की दुहाई देकर उन्हें कोर्ट में उतरने का मौका नहीं दिया गया. दरअसल बैडमिंटन में भारतीय महिला खिलाड़ी ज्वाला गुट्टा और अश्विनी पोनप्पा ने तीन में से दो मैच जीते थे. ऐसे में उन्हें अगले राउंड के लिए क्वालीफाई करना चाहिए था. लेकिन, उसी ग्रुप में जापान की टीम ने अपना मैच जानबूझकर गंवा दिया जिससे उसे अगले राउंड में चीन का सामना ना करना पड़े.
भारतीय बैडमिंटन संघ ने इसकी शिकायत दर्ज कराई. लेकिन, बैडमिंटन वर्ल्ड फेडरेशन ने भारत की शिकायत को खारिज कर दिया. बैडमिंटन वर्ल्ड फेडरेशन को जापान के मैच में ऐसी कोई वजह नहीं दिखाई दी, जिससे यह साबित होता हो कि उनके खिलाड़ियों ने जानबूझकर मैच गंवाया. ये अलग बात है कि उस रोज स्टेडियम में बैठे तमाम दर्शकों में से किसी से भी पूछ लिया जाता तो वो सीधे सीधे कहता कि जापान ने जानबूझतर मैच हारा. खैर, इसका नतीजा यह हुआ कि दो मैच जीतने के बाद भी भारतीय जोड़ी को ओलंपिक से बाहर होना पड़ा था.

बैडमिंटन के अलावा फिक्सिंग का साया बॉक्सिंग रिंग पर भी पहुंचा था. मुझे याद है कि बीबीसी ने अपनी एक रिपोर्ट में दो ऐसे नतीजों को कटघरे में खड़ा किया था, जिसमें अजरबैजान के बॉक्सर खेल रहे थे. अजरबैजान के एक बॉक्सर के नतीजे को जापान की शिकायत के बाद बदला गया था. एक और बॉक्सर के साथ ऐसा ही हुआ था. बीबीसी की रिपोर्ट में कहा गया था कि इन दोनों मुकाबलों के नतीजे पहले से ही फिक्स थे. हालांकि बॉक्सिंग की अंतर्राष्ट्रीय संस्था इंटरनेशनल बॉक्सिंग एसोसिशन (आइबा) ने ऐसी किसी भी फिक्सिंग से इंकार किया था.
बॉक्सिंग में तो हालात और भी बदतर थे. सुमित सांगवान, देवेंद्रों सिंह, विकास कृष्ण, मनोज कुमार रैफरी के गलत फैसलों का शिकार हुए थे. विकास कृष्ण को तो शुरू में विजेता घोषित किया गया था. लेकिन बाद में अमेरिका की अपील के बाद उन्हें हारा हुआ करार दे दिया गया. सुमित सांगवान के बाउट के लिए बाकयदा पांच सौ अमेरिकी डॉलर देकर भारतीय दल ने अपील भी दर्ज कराई थी, लेकिन अपील खारिज कर दी गई. सुमित के बाद भारत के कई बॉक्सर मेडल के दावेदार थे. भारतीय दल ने सुमित के मामले को ज्यादा हवा ना देकर आगे की तैयारियों में जुटना ज्यादा बेहतर समझा. लेकिन अगला झटका लगा विकास कृष्ण को. विकास ओलंपिक में भारत के इकलौते सीडेड बॉक्सर थे, लेकिन उन्हें अपील के बाद हारा हुआ करार दिया गया था. विकास का मामला खेलों की कानूनी अदालत तक भी पहुंचा, लेकिन कैस ने भारतीय अपील को बहस के लिए स्वीकार तक नहीं किया. देवेंद्रो और मनोज के फैसलों को भी सवालों के कटघरे में खड़ा किया गया. लेकिन, तब तक भारतीय खेमे को यह समझ आ गया था कि अपील करने का कोई फायदा नहीं है. इन सारी बातों का नुकसान ये हुआ कि भारतीय पुरूष बॉक्सिंग दल को बिना मेडल के वापस लौटना पड़ा. बॉक्सिंग के खेल में प्वाइंट सिस्टम भी इतना पेचीदा है कि उसे समझना इतना आसान नहीं होता.

आईबा के नए स्कोरिंग सिस्टम में किसी बाउट के दौरान सभी पांच जज प्वाइंट देते हैं. हर जज अपनी अपनी जगह पर बैठा बाउट को देखता है और अपनी सोच समझ के मुताबिक मुक्केबाज के मुक्कों पर प्वाइंट देता है. प्वाइंट हर राउंड के बाद दिए जाते हैं. ऐसे में कई बार दर्शकों के लिए ये समझना मुश्किल हो जाता है कि मुक्केबाज को किस पंच के लिए प्वाइंट मिले हैं. यही वजह है कि बॉक्सिंग के बाउट को देखने के बाद कई बार चौंकाने वाले नतीजे सामने आते हैं. लोग जिसे विजेता समझ रहे होते हैं, दरअसल उसे हारा हुआ बताया जाता है. अब जब बॉक्सिंग में फिक्सिंग की बात होती है तो ऐसे तमाम बाउट्स दिमाग में घूमने लगते हैं. उम्मीद है कि इन चार सालों में इंटरनेशनल ओलंपिक कमेटी ने इन परेशानियों का इलाज ढूंढ निकाला होगा.
(अगली कड़ी में पढ़िए सुशील कुमार, योगेश्वर और मैरीकॉम के मेडल की कहानी. उसके बाद 2016 ओलंपिक पर खास सीरीज की शुरूआत करेंगे)
(रियो ओलंपिक का काउंटडाउन शुरू हो चुका है. 5 अगस्त से शुरू होने वाले रियो ओलंपिक्स में 200 से ज्यादा देश हिस्सा लेंगे. 10 हजार से ज्यादा एथलीट मेडल के लिए पसीना बहाएंगे. खेलों की दुनिया के इस महाकुंभ पर ABP NEWS की वेबसाइटwww.abpnews.in पर आपके लिए खास कवरेज होगी. ABP NEWS के लिए पिछले दो ओलंपिक (2008 बीजिंग और 2012 लंदन ओलंपिक्स) कवर करने वाले वरिष्ठ खेल संवाददाता शिवेंद्र कुमार सिंह हर रोज कुछ दिलचस्प किस्से कहानियों और रिपोर्ट्स के साथ आपसे जुड़ेंगे.)
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