अमेरिकी डॉलर के सामने क्यों धराशायी हुआ भारतीय रुपया? Samwaad
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अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये की लगातार गिरावट ने बाजार और आम लोगों—दोनों के मन में चिंता का एक हल्का-सा कंपन पैदा कर दिया है. पिछले शुक्रवार को रुपये में 98 पैसे की भारी गिरावट दर्ज हुई, जो पिछले तीन वर्षों में एक दिन की सबसे बड़ी गिरावट मानी जा रही है. आरबीआई के समय–समय पर किए गए दखल के बावजूद ऐसा क्यों हो रहा है—यही प्रश्न अब हर तरफ तैरता दिखाई देता है.
इस मुद्दे पर एबीपी लाइव पॉडकास्ट में दिल्ली विश्वविद्यालय के आर्यभट्ट कॉलेज की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. आस्था अहूजा ने राजेश कुमार से विस्तृत बातचीत की है. इसमें उन्होंने वैश्विक आर्थिक माहौल, डॉलर की मजबूती, विदेशी निवेश की बदलती धाराओं और कच्चे तेल की कीमतों जैसे कई कारकों पर प्रकाश डाला है, जो रुपये की इस गिरावट के पीछे काम कर रहे हैं. पूरी बातचीत सुनकर स्थिति की परतें और साफ़ समझ में आती हैं—मानो अर्थव्यवस्था की धड़कनों को बेहद करीब से सुना जा रहा हो.
























