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In Pics: यूपी की सियासत में है मुलायम सिंह यादव के परिवार का दबदबा, तस्वीरों में देखें कौन-कौन हैं राजनीति में

मुलायम सिहं यादव परिवार

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दिल्ली की सत्ता पर काबिज होने का रास्ता देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश से होकर गुजरता है. ये बात अक्सर कही जाती है. बहरहाल एक बार फिर यूपी में 2022 में विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं. इसी के साथ सभी राजनीति पार्टियां भी पूरे जोश के साथ चुनाव की तैयारी में जुट चुकी हैं. वहीं बात करें समाजवादी पार्टी की तो उत्तर प्रदेश की सियासत में मुलायम सिंह यादव और उनके  का काफी दबदबा माना जाता है. यूं कहिए कि  सियासत की उम्र बढ़ने के साथ ही प्रदेश की राजनीति में भी मुलायम सिंह के परिवार का दखल बढ़ता जा रहा है.  मुलायम सिंह के परिवार से बेटे ही नहीं उनके भाई-भतीजे भी राजनीति में सक्रियता हैं. चलिए आज हम आपको मुलायम सिंह यादव के परिवार से मुलाकात कराते हैं.
दिल्ली की सत्ता पर काबिज होने का रास्ता देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश से होकर गुजरता है. ये बात अक्सर कही जाती है. बहरहाल एक बार फिर यूपी में 2022 में विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं. इसी के साथ सभी राजनीति पार्टियां भी पूरे जोश के साथ चुनाव की तैयारी में जुट चुकी हैं. वहीं बात करें समाजवादी पार्टी की तो उत्तर प्रदेश की सियासत में मुलायम सिंह यादव और उनके का काफी दबदबा माना जाता है. यूं कहिए कि सियासत की उम्र बढ़ने के साथ ही प्रदेश की राजनीति में भी मुलायम सिंह के परिवार का दखल बढ़ता जा रहा है. मुलायम सिंह के परिवार से बेटे ही नहीं उनके भाई-भतीजे भी राजनीति में सक्रियता हैं. चलिए आज हम आपको मुलायम सिंह यादव के परिवार से मुलाकात कराते हैं.
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सबसे पहले बात करते हैं मुलायम सिंह यादव की. मुलायम सिंह यादव की पैदाइश यूपी के इटावा के सैफई गांव की है. 1967 में उन्होंने पहली बार विधायक का कार्यभार संभाला था. इसके बाद वह 7 बार विधायक रहे. महज 28 वर्ष की उम्र में वह प्रदेश के जसवंत नगर सीट से सबसे कम उम्र के विधायक बने. तीन बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री की कुर्सी पर काबिज होने के आलावा मुलायम सिंह 1996 से 1998 तक केंद्र सरकार में रक्षामंत्री के पद पर भी रहे हैं.
सबसे पहले बात करते हैं मुलायम सिंह यादव की. मुलायम सिंह यादव की पैदाइश यूपी के इटावा के सैफई गांव की है. 1967 में उन्होंने पहली बार विधायक का कार्यभार संभाला था. इसके बाद वह 7 बार विधायक रहे. महज 28 वर्ष की उम्र में वह प्रदेश के जसवंत नगर सीट से सबसे कम उम्र के विधायक बने. तीन बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री की कुर्सी पर काबिज होने के आलावा मुलायम सिंह 1996 से 1998 तक केंद्र सरकार में रक्षामंत्री के पद पर भी रहे हैं.
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सियासत की साइकिल के पहिये सवार मुलायम सिंह यादव का उनके  छोटे भाई  शिवपाल सिंह यादव ने लक्ष्मण बनकर पूरा साथ दिया और  राजनीति में उनकी जड़े मजबूत करने में अहम भूमिका निभाई . शिवपाल सिंह ने मुलायम सिंह यादव के लिए पर्चे ही नहीं बांटे बल्कि उनका बूथ मजबूत करने में भी अहम योगदान दिया.  शिवपाल ने काफी मेहनत की जिसका फल भी उन्हें जल्द ही मिला. मुलायम सिंह के प्रदेश की राजनीति में मजबूत होते ही शिवपाल ने भी अपनी राजनीतिक पारी को-ऑपरेटिव से शुरू कर दी. उन्होंने को-ऑपरेटिव के जरिए हर जिले में समाजवादी पार्टी की पकड़ मजबूत कर दी. जल्द ही वो समय भी आया जब शिवपाल यूपी सहकारी ग्राम विकास बैंक लिमिटेड के अध्यक्ष बन गए थे. वहीं जह मुलायम सिंह ने राष्ट्रीय राजनीति में एंट्री की तो उन्होंने जसवंत नगर की अपनी सीट छोटे भाई शिवपाल की खातिर छोड़ दी. रिकॉर्ड है कि 1966 से लेकर अब तक वह इस सीट से जीते ही हैं.
सियासत की साइकिल के पहिये सवार मुलायम सिंह यादव का उनके छोटे भाई शिवपाल सिंह यादव ने लक्ष्मण बनकर पूरा साथ दिया और राजनीति में उनकी जड़े मजबूत करने में अहम भूमिका निभाई . शिवपाल सिंह ने मुलायम सिंह यादव के लिए पर्चे ही नहीं बांटे बल्कि उनका बूथ मजबूत करने में भी अहम योगदान दिया. शिवपाल ने काफी मेहनत की जिसका फल भी उन्हें जल्द ही मिला. मुलायम सिंह के प्रदेश की राजनीति में मजबूत होते ही शिवपाल ने भी अपनी राजनीतिक पारी को-ऑपरेटिव से शुरू कर दी. उन्होंने को-ऑपरेटिव के जरिए हर जिले में समाजवादी पार्टी की पकड़ मजबूत कर दी. जल्द ही वो समय भी आया जब शिवपाल यूपी सहकारी ग्राम विकास बैंक लिमिटेड के अध्यक्ष बन गए थे. वहीं जह मुलायम सिंह ने राष्ट्रीय राजनीति में एंट्री की तो उन्होंने जसवंत नगर की अपनी सीट छोटे भाई शिवपाल की खातिर छोड़ दी. रिकॉर्ड है कि 1966 से लेकर अब तक वह इस सीट से जीते ही हैं.
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मुलायम सिहं के चचेरे भाई रामगोपाल यादव भी राजनीति में ही हैं. हालांकि वह दिल्ली की राजनीति में अपना दमखम दिखा रहे हैं. रामगोपाल यादव 1992 में राज्यसभा के सांसद बने थे और वह आज भी राज्यसभा में सांसद हैं.
मुलायम सिहं के चचेरे भाई रामगोपाल यादव भी राजनीति में ही हैं. हालांकि वह दिल्ली की राजनीति में अपना दमखम दिखा रहे हैं. रामगोपाल यादव 1992 में राज्यसभा के सांसद बने थे और वह आज भी राज्यसभा में सांसद हैं.
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मुलायम सिंह यादव के बेटे और समाजवादी पार्टी के सुप्रीमो अखिलेश यादव भी राजनीति में हैं. अखिलेश ने धौलपुर के सैनिक स्कूल से अपनी पढ़ाई की और फिर वह हायर एजुकेशन के लिए मैसूर के इंजीनियरिंग कॉलेज में चले गए. कॉलेज की पढाई पूरी करने के बाद उन्होंने आस्ट्रेलिया के सिडनी जाकर एनवायरमेंट इंजीनियरिंग की पढ़ाई की. 1998 में अखिलेश आस्ट्रेलिया से पढ़ाई पूरी करने के बाद भारत लौटे और फिर पिता के नक्शे कदमों पर चलते हुए उन्होंने भी राजनीति को ही चुना. अखिलेश की सियासत में एंट्री हुई तो मुलायम सिंह ने बेटे की खातिर अपनी कन्नोज की सीट छोड़ दी. और फिर अखिलेश चुनावी मैदान में अपनी किस्मत आजमाने उतर गए. साल 2000 में हुए उपचुना में उन्हें जीत हासिल हुए. इसके बाद प्रदेश में हुए 2012 के विधानसभा चुनाव में उन्हें जीत हासिल हुई और वे उत्तर प्रदेश की सत्ता पर बतौर मुख्यमंत्री काबिज हुए. इसी के साथ मुलायम सिंह के कुनबे का एक और सदस्य सियासत के फलक का जगमगाता सितारा बन गया.
मुलायम सिंह यादव के बेटे और समाजवादी पार्टी के सुप्रीमो अखिलेश यादव भी राजनीति में हैं. अखिलेश ने धौलपुर के सैनिक स्कूल से अपनी पढ़ाई की और फिर वह हायर एजुकेशन के लिए मैसूर के इंजीनियरिंग कॉलेज में चले गए. कॉलेज की पढाई पूरी करने के बाद उन्होंने आस्ट्रेलिया के सिडनी जाकर एनवायरमेंट इंजीनियरिंग की पढ़ाई की. 1998 में अखिलेश आस्ट्रेलिया से पढ़ाई पूरी करने के बाद भारत लौटे और फिर पिता के नक्शे कदमों पर चलते हुए उन्होंने भी राजनीति को ही चुना. अखिलेश की सियासत में एंट्री हुई तो मुलायम सिंह ने बेटे की खातिर अपनी कन्नोज की सीट छोड़ दी. और फिर अखिलेश चुनावी मैदान में अपनी किस्मत आजमाने उतर गए. साल 2000 में हुए उपचुना में उन्हें जीत हासिल हुए. इसके बाद प्रदेश में हुए 2012 के विधानसभा चुनाव में उन्हें जीत हासिल हुई और वे उत्तर प्रदेश की सत्ता पर बतौर मुख्यमंत्री काबिज हुए. इसी के साथ मुलायम सिंह के कुनबे का एक और सदस्य सियासत के फलक का जगमगाता सितारा बन गया.
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मुलायम सिंह यादव के परिवार से बेटा, भाई-भतीजे ही नहीं बहू भी सियासत की माहिर खिलाड़ी बन गई है. दरअसल हम बात कर रहे हैं मुलायम सिंह की बहू और अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव की. डिंपल की राजनीति की फील्ड में एंट्री साल 2009 में हुई थी. उस साल आम चुनावों में अखिलेश ने फिरोजाबाद  और कन्नोज सीट से चुनाव लड़ा था और किस्मत ने अखिलेश का साथ दिया था, उन्हें जीत हासिल हुई थी. इसके बाद अखिलेश ने फिरोजाबाद की सीट छोड़ दी और यहां उनकी धर्मपत्नी डिंपल यादव पहुंच गई. इस तरह से मुलायम सिंह फैमिली का एक और मेंबर राजनीति में एंट्री कर गया. हालांकि ससुर और पति की सियासी पारी जितनी सफल ही  डिंपल यादव की उतनी ही असफल रही. फिरोबाद सीट से डिंपल यादव ने 2009 में चुनाव लड़ा था लेकिन उन्हें कांग्रेस के राज बब्बर से करारी शिकस्त मिली थी.
मुलायम सिंह यादव के परिवार से बेटा, भाई-भतीजे ही नहीं बहू भी सियासत की माहिर खिलाड़ी बन गई है. दरअसल हम बात कर रहे हैं मुलायम सिंह की बहू और अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव की. डिंपल की राजनीति की फील्ड में एंट्री साल 2009 में हुई थी. उस साल आम चुनावों में अखिलेश ने फिरोजाबाद और कन्नोज सीट से चुनाव लड़ा था और किस्मत ने अखिलेश का साथ दिया था, उन्हें जीत हासिल हुई थी. इसके बाद अखिलेश ने फिरोजाबाद की सीट छोड़ दी और यहां उनकी धर्मपत्नी डिंपल यादव पहुंच गई. इस तरह से मुलायम सिंह फैमिली का एक और मेंबर राजनीति में एंट्री कर गया. हालांकि ससुर और पति की सियासी पारी जितनी सफल ही डिंपल यादव की उतनी ही असफल रही. फिरोबाद सीट से डिंपल यादव ने 2009 में चुनाव लड़ा था लेकिन उन्हें कांग्रेस के राज बब्बर से करारी शिकस्त मिली थी.

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