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Sirohi: इस मेले में जुटेगी करीब तीन लाख लोगों की भीड़, लेकिन पुलिस की होगी NO ENTRY!

(सिरोही जिले का वार्षिक मेला)

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आपने देश भर में देखा होगा किसी भी तरह के धार्मिक कार्यक्रम या शोभायात्रा के दौरान पुलिस प्रशासन व्यवस्थाओं में जुट जाता है. आज हम आपको एक ऐसे समाज और एक ऐसे मेले के आयोजन के बारे में बता रहे हैं जहां पर मीणा समाज के लोग ही पूरी जिम्मेदारी उठा कर लॉ एंड ऑर्डर को मेंटेन करते हैं. वे सख्त अनुशासन के साथ बिना किसी विवाद के इस आयोजन को शांतिपूर्ण तरीके से पूरा करते हैं. राजस्थान के सिरोही जिले की अरावली की पहाड़ियों से घिरे और सीकुड़ी नदी के किनारे रंग-बिरंगे कैंप लगे हैं. चारों और चहल-पहल नजर आ रही है. यहां करीब 3 लाख लोगों की भीड़ इकट्ठा होती है. जो तीन दिन तक यहां पर मौजूद रहती है. इस क्षेत्र में भीड़-भाड़ पूरे तीन दिन रहेगी.
आपने देश भर में देखा होगा किसी भी तरह के धार्मिक कार्यक्रम या शोभायात्रा के दौरान पुलिस प्रशासन व्यवस्थाओं में जुट जाता है. आज हम आपको एक ऐसे समाज और एक ऐसे मेले के आयोजन के बारे में बता रहे हैं जहां पर मीणा समाज के लोग ही पूरी जिम्मेदारी उठा कर लॉ एंड ऑर्डर को मेंटेन करते हैं. वे सख्त अनुशासन के साथ बिना किसी विवाद के इस आयोजन को शांतिपूर्ण तरीके से पूरा करते हैं. राजस्थान के सिरोही जिले की अरावली की पहाड़ियों से घिरे और सीकुड़ी नदी के किनारे रंग-बिरंगे कैंप लगे हैं. चारों और चहल-पहल नजर आ रही है. यहां करीब 3 लाख लोगों की भीड़ इकट्ठा होती है. जो तीन दिन तक यहां पर मौजूद रहती है. इस क्षेत्र में भीड़-भाड़ पूरे तीन दिन रहेगी.
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इतनी बड़ी संख्या में लोगों के जुटने के बाद भी यहां पुलिस विभाग नदारद रहती है. यहां की पूरी व्यवस्था पंचों के जिम्मे होती है. यहां पर खाकी वालों को इस मेले में एंट्री नहीं दी जाती है. मीणा समाज के लोगों का मानना है कि यहां मां गंगा साक्षात दर्शन देती है. इसके बारे में और जानने के लिए हम आपको सिरोही जिले मुख्यालय से करीब 35 किलोमीटर दूर ले चलते हैं. अरावली की पहाड़ियों से घिरे और उसके बीच बसे चोटिला गांव स्थित गौतम ऋषि महादेव मंदिर का वार्षिक मेला बुधवार से शुरू हो गया है. मीणा समाज के लोग इस मेले में युवक-युवतियों के रिश्ते करते हैं. श्रद्धालुओं का मानना है कि स्वयं मां गंगा का अवतरण होता है. एक निश्चित समय पर निश्चित जगह मां गंगा की धारा छूटती है. खास बात यह है कि यहां की व्यवस्था मीणा समाज ही देखता है. पुलिस को वर्दी में एंट्री नहीं होती है. इस मेले का इतिहास है कि यहां आज तक एक भी विवाद नहीं हुआ है. शांतिपूर्ण तरीके से लाखों लोगों के इस मेले का आयोजन अपने आप में एक मिसाल है.
इतनी बड़ी संख्या में लोगों के जुटने के बाद भी यहां पुलिस विभाग नदारद रहती है. यहां की पूरी व्यवस्था पंचों के जिम्मे होती है. यहां पर खाकी वालों को इस मेले में एंट्री नहीं दी जाती है. मीणा समाज के लोगों का मानना है कि यहां मां गंगा साक्षात दर्शन देती है. इसके बारे में और जानने के लिए हम आपको सिरोही जिले मुख्यालय से करीब 35 किलोमीटर दूर ले चलते हैं. अरावली की पहाड़ियों से घिरे और उसके बीच बसे चोटिला गांव स्थित गौतम ऋषि महादेव मंदिर का वार्षिक मेला बुधवार से शुरू हो गया है. मीणा समाज के लोग इस मेले में युवक-युवतियों के रिश्ते करते हैं. श्रद्धालुओं का मानना है कि स्वयं मां गंगा का अवतरण होता है. एक निश्चित समय पर निश्चित जगह मां गंगा की धारा छूटती है. खास बात यह है कि यहां की व्यवस्था मीणा समाज ही देखता है. पुलिस को वर्दी में एंट्री नहीं होती है. इस मेले का इतिहास है कि यहां आज तक एक भी विवाद नहीं हुआ है. शांतिपूर्ण तरीके से लाखों लोगों के इस मेले का आयोजन अपने आप में एक मिसाल है.
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यहां 500 से ज्यादा कार्यकर्ता व्यवस्था संभालते हैं. मेले में व्यवस्थाएं समाज के ग्यारह परगनों के पंचों की होती है. यहां तीन किमी से ज्यादा क्षेत्रफल में मेला लगता है. मेले में आने वाले लोग दो राते और तीन दिन अपने परिवार के साथ यहीं रहते हैं. यहां बड़े ओहदे का व्यक्ति भी समाज की जाजम पर पंचों के साथ ही बैठता है. मेले में हथियार लेकर आने, शराब पीने, औरण भूमि से हरे पेड़ काटने, वीडियो शूटिंग और फोटोग्राफी पर प्रतिबंध है. महिला-पुरुष मुंह पर कपड़ा बांधकर नहीं घूम सकते. यहां लोग बेटा-बेटी के रिश्ते तय करते हैं. मन मुटाव भी दूर होते हैं. यह परंपरा मेले की स्थापना से चली आ रही है.
यहां 500 से ज्यादा कार्यकर्ता व्यवस्था संभालते हैं. मेले में व्यवस्थाएं समाज के ग्यारह परगनों के पंचों की होती है. यहां तीन किमी से ज्यादा क्षेत्रफल में मेला लगता है. मेले में आने वाले लोग दो राते और तीन दिन अपने परिवार के साथ यहीं रहते हैं. यहां बड़े ओहदे का व्यक्ति भी समाज की जाजम पर पंचों के साथ ही बैठता है. मेले में हथियार लेकर आने, शराब पीने, औरण भूमि से हरे पेड़ काटने, वीडियो शूटिंग और फोटोग्राफी पर प्रतिबंध है. महिला-पुरुष मुंह पर कपड़ा बांधकर नहीं घूम सकते. यहां लोग बेटा-बेटी के रिश्ते तय करते हैं. मन मुटाव भी दूर होते हैं. यह परंपरा मेले की स्थापना से चली आ रही है.
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गौतम ऋषि महादेव मंदिर के वार्षिक मेले में मां गंगा अवतरण साल भर सुखी रहने वाली सिकुड़ी नदी में होता है. जो किसी आश्चर्य से कम भी नहीं है. मेले में इस वर्ष 14 अप्रैल को सुबह 8:40 पर गंगा मैया का अवतरण हुआ है. साल भर सुखी रहने वाली सिकुड़ी नदी में 14 अप्रैल को कोई भी व्यक्ति अगर 1 फुट से भी कम गहराई तक बजरी हटाता है तो उसे गंगा मैया के दर्शन हो जाते हैं. मां गंगा का अवतरण जिले के पांच जगहों पर होता है. 
गौतम ऋषि महादेव मंदिर के वार्षिक मेले में मां गंगा अवतरण साल भर सुखी रहने वाली सिकुड़ी नदी में होता है. जो किसी आश्चर्य से कम भी नहीं है. मेले में इस वर्ष 14 अप्रैल को सुबह 8:40 पर गंगा मैया का अवतरण हुआ है. साल भर सुखी रहने वाली सिकुड़ी नदी में 14 अप्रैल को कोई भी व्यक्ति अगर 1 फुट से भी कम गहराई तक बजरी हटाता है तो उसे गंगा मैया के दर्शन हो जाते हैं. मां गंगा का अवतरण जिले के पांच जगहों पर होता है. 
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यहां होता है मां गंगा का अवतरण. अर्बुदांचल की पहाड़ियों पर स्थित पिश्वानिया महादेव में 8:25 पर अवतरण, सारणेश्वरजी महादेव मंदिर में 8:30 पर अवतरण, अंबेश्वर महादेव मंदिर में 8:35 पर अवतरण, गौतम ऋषि मेले में 8:40 पर निर्धारित समय अवतरण, सिरोही जिला मुख्यालय से 35 किलोमीटर दूर निर्धारित स्थान पर होता है. मां गंगा के अवतरण के बाद सभी तरह के धार्मिक आयोजन की शुरुआत की जाती है.
यहां होता है मां गंगा का अवतरण. अर्बुदांचल की पहाड़ियों पर स्थित पिश्वानिया महादेव में 8:25 पर अवतरण, सारणेश्वरजी महादेव मंदिर में 8:30 पर अवतरण, अंबेश्वर महादेव मंदिर में 8:35 पर अवतरण, गौतम ऋषि मेले में 8:40 पर निर्धारित समय अवतरण, सिरोही जिला मुख्यालय से 35 किलोमीटर दूर निर्धारित स्थान पर होता है. मां गंगा के अवतरण के बाद सभी तरह के धार्मिक आयोजन की शुरुआत की जाती है.
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राजस्थान के सिरोही जिले की अरावली की पहाड़ियों से घिरे और सीकुड़ी नदी के किनारे रंग-बिरंगे कैंप लगे हैं चारो और चहल-पहल नजर आ रही है. यहां करीब 3 लाख लोगों की भीड़ इकट्ठा होती है जो तीन दिन तक यहां पर मौजूद रहती है.
राजस्थान के सिरोही जिले की अरावली की पहाड़ियों से घिरे और सीकुड़ी नदी के किनारे रंग-बिरंगे कैंप लगे हैं चारो और चहल-पहल नजर आ रही है. यहां करीब 3 लाख लोगों की भीड़ इकट्ठा होती है जो तीन दिन तक यहां पर मौजूद रहती है.

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