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UTTAR PRADESH (80)
43
INDIA
36
NDA
01
OTH
MAHARASHTRA (48)
30
INDIA
17
NDA
01
OTH
WEST BENGAL (42)
29
TMC
12
BJP
01
INC
BIHAR (40)
30
NDA
09
INDIA
01
OTH
TAMIL NADU (39)
39
DMK+
00
AIADMK+
00
BJP+
00
NTK
KARNATAKA (28)
19
NDA
09
INC
00
OTH
MADHYA PRADESH (29)
29
BJP
00
INDIA
00
OTH
RAJASTHAN (25)
14
BJP
11
INDIA
00
OTH
DELHI (07)
07
NDA
00
INDIA
00
OTH
HARYANA (10)
05
INDIA
05
BJP
00
OTH
GUJARAT (26)
25
BJP
01
INDIA
00
OTH
(Source: ECI / CVoter)

In Photos: छत्तीसगढ़ के ये Tourist Places आपकी छुट्टियों को बना सकते हैं बेहद खास, देखें ये खूबसूरत तस्वीरें

इस बार आप अपने समर वेकेशन को बेहद खास बना सकते हैं. पर्यटक अप्रैल, मई और जून में पड़ने वाली गर्मी के दिनों में घूमने के लिए ठंडी जगह ढूंढते हैं. ऐसे में आप छत्तीसगढ़ आ सकते हैं.

इस बार आप अपने समर वेकेशन को बेहद खास बना सकते हैं. पर्यटक अप्रैल, मई और जून में पड़ने वाली गर्मी के दिनों में घूमने के लिए ठंडी जगह ढूंढते हैं. ऐसे में आप छत्तीसगढ़ आ सकते हैं.

छत्तीसगढ़ में यहां बिता सकते हैं गर्मी की छुट्टियां

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ऐसे में छत्तीसगढ़ में भी एक ऐसी जगह है जो मिनी कश्मीर के नाम से पूरे देश मे मशहूर है. शिमला, मनाली, कश्मीर के साथ ही देश के कुछ प्रसिद्ध जगहों के अलावा छत्तीसगढ़ के इस 'मिनी कश्मीर' में यहां गर्मी के दिनों में भी ठंड का एहसास होता है.
ऐसे में छत्तीसगढ़ में भी एक ऐसी जगह है जो मिनी कश्मीर के नाम से पूरे देश मे मशहूर है. शिमला, मनाली, कश्मीर के साथ ही देश के कुछ प्रसिद्ध जगहों के अलावा छत्तीसगढ़ के इस 'मिनी कश्मीर' में यहां गर्मी के दिनों में भी ठंड का एहसास होता है.
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हर साल बड़ी संख्या में यहां पर्यटक अपनी छुट्टियां मनाने के लिए यहां पहुंचते हैं.
हर साल बड़ी संख्या में यहां पर्यटक अपनी छुट्टियां मनाने के लिए यहां पहुंचते हैं.
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संभाग का बस्तर जिला छत्तीसगढ़ के अन्य जिलों के मुकाबले घने जंगलों से घिरा हुआ है खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में किसी तरह का कोई उद्योग,फैक्ट्री और पेड़ों की कटाई नहीं होने की वजह से इन क्षेत्रों में कमोबेश छत्तीसगढ़ के अन्य जिलों से काफी कम गर्मी पड़ती है, और यहां पर मौजूद पर्यटन स्थल भी घने जंगलों के बीच मौजूद होने से पूरे 12 महीनो यहां ठंड का एहसास होता है.
संभाग का बस्तर जिला छत्तीसगढ़ के अन्य जिलों के मुकाबले घने जंगलों से घिरा हुआ है खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में किसी तरह का कोई उद्योग,फैक्ट्री और पेड़ों की कटाई नहीं होने की वजह से इन क्षेत्रों में कमोबेश छत्तीसगढ़ के अन्य जिलों से काफी कम गर्मी पड़ती है, और यहां पर मौजूद पर्यटन स्थल भी घने जंगलों के बीच मौजूद होने से पूरे 12 महीनो यहां ठंड का एहसास होता है.
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यहां बने वुड के सरकारी रिजॉर्ट शिमला के रिसोर्ट से कम नहीं लगते, यही वजह है कि तीरथगढ़ में गर्मी के दिनों में भी ठंड का अहसास होता है. इसके अलावा बस्तानार में मौजूद मिचनार काफी प्रसिद्ध है, ये पर्यटन स्थल ऊंची जगह पर होने के चलते यहां बस्तर से घने जंगलों की खूबसूरती और वादियां काफी खूबसूरत दिखाई देती है.
यहां बने वुड के सरकारी रिजॉर्ट शिमला के रिसोर्ट से कम नहीं लगते, यही वजह है कि तीरथगढ़ में गर्मी के दिनों में भी ठंड का अहसास होता है. इसके अलावा बस्तानार में मौजूद मिचनार काफी प्रसिद्ध है, ये पर्यटन स्थल ऊंची जगह पर होने के चलते यहां बस्तर से घने जंगलों की खूबसूरती और वादियां काफी खूबसूरत दिखाई देती है.
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वहीं यहां पर्यटकों के ठहरने के लिए नाइट टैंट का भी इंतजाम किया गया है, शाम होते ही यहां ठंडी हवा चलने से पर्यटक इस जगह को फील करने के लिए बड़ी संख्या में आते हैं, इसके अलावा बस्तर जिले में ही मौजूद है कांगेर वैली का नेशनल पार्क यह पार्क पूरे घने जंगलों से घिरा हुआ है.
वहीं यहां पर्यटकों के ठहरने के लिए नाइट टैंट का भी इंतजाम किया गया है, शाम होते ही यहां ठंडी हवा चलने से पर्यटक इस जगह को फील करने के लिए बड़ी संख्या में आते हैं, इसके अलावा बस्तर जिले में ही मौजूद है कांगेर वैली का नेशनल पार्क यह पार्क पूरे घने जंगलों से घिरा हुआ है.
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इस नेशनल पार्क के अंदर मौजूद कांगेर वाटरफॉल का पानी 12 महीनों काफी ठंडा रहता है, जंगलों में बने रिसोर्ट और ट्राइबल होमस्टे और इस होमस्टे में बस्तर की संस्कृति, परंपरा, वेशभूषा और ट्रेडिशनल फूड मिलने से बस्तर पहुंचने वाले पर्यटकों की यह जगह पहली पसंद होती है. इसके अलावा हाल ही में यहां नेशनल पार्क के संचालक ने राफ्ट राइडिंग की भी शुरुआत की है. घने जंगलों के बीच मौजूद एक झील से होकर गुजरती है,और यहां का वातावरण भी काफी शांत रहता है, साथ ही शाम होते ही यहां ठंड लगने लगती है.
इस नेशनल पार्क के अंदर मौजूद कांगेर वाटरफॉल का पानी 12 महीनों काफी ठंडा रहता है, जंगलों में बने रिसोर्ट और ट्राइबल होमस्टे और इस होमस्टे में बस्तर की संस्कृति, परंपरा, वेशभूषा और ट्रेडिशनल फूड मिलने से बस्तर पहुंचने वाले पर्यटकों की यह जगह पहली पसंद होती है. इसके अलावा हाल ही में यहां नेशनल पार्क के संचालक ने राफ्ट राइडिंग की भी शुरुआत की है. घने जंगलों के बीच मौजूद एक झील से होकर गुजरती है,और यहां का वातावरण भी काफी शांत रहता है, साथ ही शाम होते ही यहां ठंड लगने लगती है.
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इसके अलावा दंतेवाड़ा का हांदावाड़ा वाटरफॉल जिसे बाहुबली का वाटरफॉल भी कहा जाता है यहां भी अब पर्यटकों के लिए नाइट कैम्प की शुरुआत की गई है, काफी ऊंचाई से गिरता  इस झरने का पानी काफी ठंडा होता है और यह वाटरफॉल भी घने जंगलों के बीच मौजूद हैं और आसपास जंगल झाड़ियों से बनी झोपड़ी हर्ट्स और इसके अलावा हरी-भरी वादियां काफी ठंडक महसूस कराती है.
इसके अलावा दंतेवाड़ा का हांदावाड़ा वाटरफॉल जिसे बाहुबली का वाटरफॉल भी कहा जाता है यहां भी अब पर्यटकों के लिए नाइट कैम्प की शुरुआत की गई है, काफी ऊंचाई से गिरता इस झरने का पानी काफी ठंडा होता है और यह वाटरफॉल भी घने जंगलों के बीच मौजूद हैं और आसपास जंगल झाड़ियों से बनी झोपड़ी हर्ट्स और इसके अलावा हरी-भरी वादियां काफी ठंडक महसूस कराती है.
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यही वजह है कि दंतेवाड़ा घूमने आने वाले पर्यटक हंदवाड़ा वाटरफॉल का जरूर लुफ्त उठाते हैं,  इसके अलावा बीजापुर में मौजूद नीलम सरई वाटरफॉल यह वाटरफॉल बस्तर संभाग के सबसे ऊंचे वाटरफॉल में शुमार है और यह भी घने जंगलों के बीच मौजूद है.
यही वजह है कि दंतेवाड़ा घूमने आने वाले पर्यटक हंदवाड़ा वाटरफॉल का जरूर लुफ्त उठाते हैं, इसके अलावा बीजापुर में मौजूद नीलम सरई वाटरफॉल यह वाटरफॉल बस्तर संभाग के सबसे ऊंचे वाटरफॉल में शुमार है और यह भी घने जंगलों के बीच मौजूद है.
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चारों तरफ पहाड़ियों के बीच घना जंगल और यहां से कल-कल बहता नीलम सरई वाटरफॉल का पानी पर्यटकों का मन मोह लेता है, हालांकि अभी यहां पर्यटकों के ठहरने की व्यवस्था नहीं की गई है, लेकिन प्रशासन के अधिकारियों का कहना है कि आने वाले दिनों में जरूर नीलम सरई वाटरफाल को भी पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाएगा.
चारों तरफ पहाड़ियों के बीच घना जंगल और यहां से कल-कल बहता नीलम सरई वाटरफॉल का पानी पर्यटकों का मन मोह लेता है, हालांकि अभी यहां पर्यटकों के ठहरने की व्यवस्था नहीं की गई है, लेकिन प्रशासन के अधिकारियों का कहना है कि आने वाले दिनों में जरूर नीलम सरई वाटरफाल को भी पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाएगा.
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इसके अलावा कोंडागांव जिले के केशकाल में मौजूद टाटामारी पर्यटन स्थल भी छत्तीसगढ़ में काफी प्रसिद्ध है, टाटामारी पर्यटन स्थल साल के 12 महीने पर्यटकों से गुलजार रहता है. हिल स्टेशन होने की वजह से यहां पर्यटक खासकर गर्मी के मौसम में ज्यादा पहुंचते हैं. जिला प्रशासन द्वारा बनाए गए सरकारी रिसॉर्ट वुड के कॉटेज और आसपास की हरी-भरी वादियां यहां के पर्यटकों को खूब भाती है, यही वजह है कि टाटामारी पर्यटन स्थल को हाल ही में 5 करोड़ रुपये खर्च कर विकसित किया गया है.
इसके अलावा कोंडागांव जिले के केशकाल में मौजूद टाटामारी पर्यटन स्थल भी छत्तीसगढ़ में काफी प्रसिद्ध है, टाटामारी पर्यटन स्थल साल के 12 महीने पर्यटकों से गुलजार रहता है. हिल स्टेशन होने की वजह से यहां पर्यटक खासकर गर्मी के मौसम में ज्यादा पहुंचते हैं. जिला प्रशासन द्वारा बनाए गए सरकारी रिसॉर्ट वुड के कॉटेज और आसपास की हरी-भरी वादियां यहां के पर्यटकों को खूब भाती है, यही वजह है कि टाटामारी पर्यटन स्थल को हाल ही में 5 करोड़ रुपये खर्च कर विकसित किया गया है.
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गर्मी की छुट्टियों में पर्यटकों के लिए एडवंचर्स की भी शुरुआत की गई है. वहीं दंतेवाड़ा जिले का ढोलकाल काफी प्रसिद्ध है. ढोलकाल की खासियत ये है कि यहां पहाड़ की सबसे ऊंची चोटी पर तेरहवीं शताब्दी का भगवान गणेश का मूर्ति स्थापित है, घने जंगलों के बीच होकर ऊंची पहाड़ियां में चढ़कर पर्यटक यहां भगवान के दर्शन करते हैं.
गर्मी की छुट्टियों में पर्यटकों के लिए एडवंचर्स की भी शुरुआत की गई है. वहीं दंतेवाड़ा जिले का ढोलकाल काफी प्रसिद्ध है. ढोलकाल की खासियत ये है कि यहां पहाड़ की सबसे ऊंची चोटी पर तेरहवीं शताब्दी का भगवान गणेश का मूर्ति स्थापित है, घने जंगलों के बीच होकर ऊंची पहाड़ियां में चढ़कर पर्यटक यहां भगवान के दर्शन करते हैं.
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आसपास हरी-भरी वादियां होने की वजह से इसके नीचे अब नाइट कैंपिंग की भी शुरुआत की गई है, जहां पर्यटकों को पूरी तरह से ट्रेडिशनल फूड परोसा जाता है.
आसपास हरी-भरी वादियां होने की वजह से इसके नीचे अब नाइट कैंपिंग की भी शुरुआत की गई है, जहां पर्यटकों को पूरी तरह से ट्रेडिशनल फूड परोसा जाता है.
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साथ ही सुबह, दोपहर हो या शाम यहां ऊंची जगह होने की वजह से ठंडी हवा चलती है, इस वजह से गर्मी की छुट्टियों में बड़ी संख्या में पर्यटक ढोलकाल के पर्वत में भी घूमने आते हैं.
साथ ही सुबह, दोपहर हो या शाम यहां ऊंची जगह होने की वजह से ठंडी हवा चलती है, इस वजह से गर्मी की छुट्टियों में बड़ी संख्या में पर्यटक ढोलकाल के पर्वत में भी घूमने आते हैं.
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इसके अलावा बस्तर जिले का चित्रकोट वाटरफॉल भी पर्यटकों की पहली पसंद रहती है. देश में मिनी नियाग्रा के नाम से मशहूर इस चित्रकोट वाटरफॉल में हमेशा पर्यटकों की मौजूदगी रहती है, करीब 95 फीट ऊंचाई से गिरता वाटरफॉल का पानी यहां पहुचने वाले पर्यटकों को  गर्मी के दिनों में ठंड का एहसास दिलाता है.
इसके अलावा बस्तर जिले का चित्रकोट वाटरफॉल भी पर्यटकों की पहली पसंद रहती है. देश में मिनी नियाग्रा के नाम से मशहूर इस चित्रकोट वाटरफॉल में हमेशा पर्यटकों की मौजूदगी रहती है, करीब 95 फीट ऊंचाई से गिरता वाटरफॉल का पानी यहां पहुचने वाले पर्यटकों को गर्मी के दिनों में ठंड का एहसास दिलाता है.
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यही नहीं घने जंगलों के बीच बने एक से बढ़कर एक वुड कॉटेज ,सरकारी रिसॉर्ट और आसपास की हरी-भरी वादियां पर्यटकों को काफी लुभाती है, इसके अलावा सुकमा जिले में मौजूद शबरी  नदी के पास झील पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया गया है. घने जंगलों के बीच कॉटेज बनाए गए हैं जहां बड़ी संख्या में पर्यटक पहुंचते हैं. घने जंगलों के बीच मौजूद शबरी नदी के बीच पर पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया गया है और यहां पर्यटक बोटिंग करने के साथ बड़े नॉका विहार का आनंद लेते हैं, इन मुख्य पर्यटन स्थल के अलावा चित्रधारा,  मेंदरी घूमर , तामढ़घूमर, तीर्था बारसूर और कांकेर के पर्यटन स्थलों में 12 महीनों पर्यटकों की भीड़ होती है.
यही नहीं घने जंगलों के बीच बने एक से बढ़कर एक वुड कॉटेज ,सरकारी रिसॉर्ट और आसपास की हरी-भरी वादियां पर्यटकों को काफी लुभाती है, इसके अलावा सुकमा जिले में मौजूद शबरी नदी के पास झील पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया गया है. घने जंगलों के बीच कॉटेज बनाए गए हैं जहां बड़ी संख्या में पर्यटक पहुंचते हैं. घने जंगलों के बीच मौजूद शबरी नदी के बीच पर पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया गया है और यहां पर्यटक बोटिंग करने के साथ बड़े नॉका विहार का आनंद लेते हैं, इन मुख्य पर्यटन स्थल के अलावा चित्रधारा, मेंदरी घूमर , तामढ़घूमर, तीर्था बारसूर और कांकेर के पर्यटन स्थलों में 12 महीनों पर्यटकों की भीड़ होती है.

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