By: ABP News Bureau | Updated at : 04 Oct 2016 05:10 PM (IST)
लखनऊ: टीम अखिलेश अब समाजवादी पार्टी ऑफिस नहीं जाएगी. पार्टी में मचे घमासान की बात अब बहुत बढ़ गयी है. मामला तो जैसे आर या फिर पर जैसा हो गया है. मुलायम के घर का झगड़ा अब सड़क पर है. चाचा और भतीजे की अनबन से समाजवादी पार्टी दो खेमों में बंट गई है. लखनऊ से लेकर गांव-गांव तक पार्टी के कार्यकर्ता अब या तो अखिलेशवादी हैं या फिर शिवपालवादी. समाजवादी तो अब कोई रहा ही नहीं.
अपना टिकट नहीं बचा पाए मेरठ के अतुल प्रधान
एक-दूसरे के टिकट काटने और बांटने का खेल भी तेज हो गया है. शिवपाल यादव की पहली ही लिस्ट में अखिलेश यादव के कई लोगों के विकेट गिर गए. मेरठ के अतुल प्रधान तक अपना टिकट नहीं बचा पाए. वे पार्टी के छात्र सभा के अध्यक्ष रह चुके है. उन्हें बीजेपी विधायक संगीत सोम के खिलाफ मैदान में उतारा गया था. बचाने की तो छोड़िये. अखिलेश को अतुल के टिकट कटने का पता तब चला जब सब जान चुके थे.
"सब साथ रहेंगे और हिम्मत नहीं हारेंगे"
अखिलेश यादव भी अब आगे बढ़ जाने के मूड में है. हाल में ही अपने घर पर उन्होंने अपने समर्थकों की मीटिंग बुलाई. तय हुआ "सब साथ रहेंगे और हिम्मत नहीं हारेंगे." टीम अखिलेश के लोग अब समाजवादी पार्टी के ऑफिस नहीं जाएंगे. उनके लिए एक नया ठिकाना बन गया है. समाजवादी पार्टी ऑफिस के पीछे जनेश्वर मिश्रा ट्रस्ट का दफ्तर टीम अखिलेश का नया पता होगा. पार्टी के एक बड़े नेता ने बताया अगले हफ्ते अखिलेश इसका उदघाटन करेंगे. इसके बाद से उनके समर्थक नेताओं का यही अड्डा होगा.
दो साल पहले बनाया था जनेश्वर मिश्रा ट्रस्ट
यूपी का मुख्यमंत्री बनने के बाद अखिलेश यादव ने दो साल पहले जनेश्वर मिश्रा ट्रस्ट बनाया था. वे खुद इसके अध्यक्ष बने और अपने करीबी नेता राजेंद्र चौधरी को उपाध्यक्ष बनाया. सुनील यादव, नईमुल हसन और सांसद धर्मेंद्र यादव जैसे टीम अखिलेश के नेता इस ट्रस्ट के सदस्य बनाये गए. बीच में कुछ ऐसे लोग भी ट्रस्ट से बाहर किये गए, जिन पर अखिलेश यादव का भरोसा नहीं रहा. भगवती सिंह और नारद राय जैसे नेताओं को ट्रस्ट से हटा दिया गया. अखिलेश के समर्थक कुछ और नेताओं को भी ट्रस्ट में लाया जा रहा है. इसी जगह चुनाव के लिए अखिलेश यादव का नया वार रूम बनेगा.
नेताओं और कार्यकर्ताओं की लिस्ट
खबरों के मुताबिक उनके ही करीबी लोग इसके कर्ताधर्ता होंगे. हर विधान सभा क्षेत्र से नेताओं और कार्यकर्ताओं की एक लिस्ट बनाई जा रही है. जो अखिलेश के इशारे पर काम करेंगे. आपको बता दें कि शिवपाल यादव ने अखिलेश यादव के समर्थक सात नेताओं के समाजवादी पार्टी में जाने पर रोक लगा दी है. पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष बनते ही शिवपाल ने इन सबको बाहर कर दिया था. इनमे से चार तो पार्टी के एमएलसी है. लेकिन काम काज के सिलसिले में इनका पार्टी दफ्तर आना जाना लगा रहा.
अपने नेता की 'ब्रांडिंग' पर मंथन कर रही है टीम अखिलेश
शिवपाल को पता चला तो उन्होंने इनके ऑफिस जाने पर बैन लगा दिया. बस यहीं से 'अलग इंतजाम' पर काम शुरू हो गया. पार्टी के प्रवक्ता रहे राजेन्द्र चौधरी को फिलहाल इन सब काम के लिए हेड बना दिया गया है. अगले चुनाव के लिए टीम अखिलेश इन दिनों अपने नेता की 'ब्रांडिंग' पर मंथन कर रही है. ऑडियो, वीडियो, फिल्म, रेडियो से लेकर होर्डिंग और बैनर तक पर काम चल रहा है. एक हेल्पलाईन बनाने की भी योजना है. जिसके जरिये कोई भी कार्यकर्ता अखिलेश यादव तक अपनी बात पहुंचा सकता है.
अखिलेश के खेमे में है MLC एसआरएस यादव
अखिलेश यादव ने 3 अक्टूबर से रथयात्रा पर जाने का एलान किया था. लेकिन घर के झगडे ने उन्हें रोक दिया. लेकिन अब फिर से तैयारी शुरू हो गयी है. नवरात्रि के शुभ मुहूर्त में अखिलेश के जनेश्वर मिश्रा ट्रस्ट ऑफिस के उदघाटन के बाद काम तेज हो जाएगा. खबर है कि समाजवादी पार्टी ऑफिस का काम काज देखने वाले कई लोग पाला बदलने का मन बना चुके है. ऑफिस इन्चार्ज का काम देख रहे एमएलसी एसआरएस यादव अब अखिलेश के खेमे में है.
लकीर के 'लक्ष्मण रेखा' को लांघने का इंतजार
टीम अखिलेश की तैयारी अपने नेता की छवि के सहारे आगे बढ़ने की है. लेकिन इस तैयारी में वे शिवपाल यादव की समाजवादी पार्टी से कोई नाता नहीं रखना चाहते समाजवादी पार्टी अब तक डेढ़ सौ से अधिक उम्मीदवारों का टिकट फाइनल कर चुकी है. लेकिन अखिलेश यादव उन्ही नेताओं के लिए 'मन' से वोट मांगेंगे जो उनके 'अपने' है. समाजवादी पार्टी में एक लकीर तो खींच चुकी है. सबको पता है कौन इधर है और कौन उधर. बस इन्तजार है लकीर के 'लक्ष्मण रेखा' को लांघने की.
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