Rajasthan Political Crisis: अध्यक्ष चुनाव के नामांकन तक राजस्थान में बनी रहेगी यथास्थिति, सोनिया गांधी नाराज, गहलोत ने कहा- सॉरी | 10 बड़ी बातें
Rajasthan Congress: राजस्थान कांग्रेस में खड़े हुए संकट के बीच पार्टी हाईकमान ने तय किया कि अध्यक्ष चुनाव के नामांकन की आखिरी तारीख तक राज्य में यथास्थिति बरकरार रहेगी.
Rajasthan Congress Crisis: कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव के बीच राजस्थान में पार्टी की अंदरुनी कलह एक बार फिर से खुलकर सामने आ गई. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) और राज्य के पूर्व उप-मुंख्यमत्री सचिन पायलट (Sachin Pilot) के खेमे आमने-सामने हैं. पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) ने भी पूरे घटनाक्रम को लेकर नाराजगी व्यक्त की है और वे अशोक गहलोत के रुख से आहत हैं. हालांकि कांग्रेस के सूत्रों का कहना है कि अध्यक्ष चुनाव के नामांकन की आखिरी तारीख तक राजस्थान में यथास्थिति बरकरार रहेगी. जानिए इस पूरे घटनाक्रम से जुड़ी बड़ी बातें.
1. अजय माकन और मल्लिकार्जुन खड़गे ने सोमवार को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से दिल्ली में मुलाकात की और बीते दिन के घटनाक्रम के जानकारी दी. सोनिया गांधी ने दोनों नेताओं से लिखित रिपोर्ट मांगी है. अजय माकन ने कहा कि हम आज रात या कल तक सोनिया गांधी को रिपोर्ट दे देंगे. सोनिया गांधी ने माकन और खड़गे के साथ बैठक में नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि अशोक गहलोत ने ऐसा कैसे कर दिया, गहलोत से यह उम्मीद नहीं थी.
2. सोनिया गांधी को नेता चुनने के लिए अधिकृत करने वाले प्रस्ताव पर अशोक गहलोत तैयार थे. हालांकि, विधायकों की बगावत के बाद अशोक गहलोत ने कहा कि विधायक उनकी भी नहीं सुन रहे हैं. मल्लिकार्जुन खड़गे के सामने अशोक गहलोत ने आज खेद भी जताया है.
3. कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि, कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव के नामांकन की आखिरी तारीख यानी 30 सितंबर तक राजस्थान में यथास्थिति बरकरार रहेगी. उसके बाद कोई कार्रवाई जाएगी. अब कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव में अशोक गहलोत के नामांकन करने की संभावना भी कम है. कांग्रेस नेतृत्व 30 सितंबर के बाद आगे का फैसला करेगा. सूत्रों के मुताबिक, अशोक गहलोत के चेहरे पर पार्टी अगला चुनाव नहीं लड़ना चाहती. सूत्रों का कहना है कि गहलोत के पक्ष में ये गोलबंदी उनके पार्टी अध्यक्ष बनने की संभावना के कारण हुई है.
4. सोमवार को मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ भी सोनिया गांधी से मुलाकात करने पहुंचे. कमलनाथ के दिल्ली आने के बाद राजनीतिक गलियारों में ये अटकलें तेज हो गई कि कमलनाथ को कांग्रेस की कमान सौंपी जा सकती है. बैठक के बाद कमलनाथ ने कहा कि वह न तो नामांकन कर रहे हैं और न ही गहलोत से बात करने जा रहे हैं. उनकी कांग्रेस के अध्यक्ष पद में कोई रुचि नहीं है. वह केवल नवरात्र के लिए दिल्ली आए हैं.
5. दरअसल, अशोक गहलोत के कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव में उतरने के एलान के बाद राजस्थान में मुख्यमंत्री बदलने की अटकलें तेज हो गईं थी. इसी बीच रविवार को जयपुर में मुख्यमंत्री आवास पर विधायक दल की बैठक बुलाई गई. जिसके लिए पार्टी हाईकमान ने राजस्थान के प्रभारी अजय माकन और पर्यवेक्षक मल्लिकार्जुन खड़गे को जयपुर भेजा.
6. विधायक दल की बैठक से ठीक पहले गहलोत के करीबी मंत्री शांति धारीवाल के घर पर भी विधायकों की एक बैठक हुई. जिसके बाद गहलोत खेमे के कई विधायकों ने स्पीकर सीपी जोशी को सामूहिक इस्तीफा सौंप दिया. विधायकों की बगावत के बाद विधायक दल की बैठक रद्द कर दी गई और दोनों पर्यवेक्षक दिल्ली वापस लौट गए.
7. इस सियासी संकट पर अशोक गहलोत के करीबी और राज्य के कैबिनेट मंत्री शांति धारीवाल ने सोमवार को कहा कि गद्दारों को पुरस्कृत किया जाए, राजस्थान के विधायक ये बर्दाश्त नहीं करेंगे. ऐसे लोगों को सीएम बनाने के लिए एक जनरल सेक्रेटरी प्रचार खुद कर रहे हैं, विधायकों को गुस्सा होना पड़ा. नाराज विधायकों ने मुझसे उनकी बात सुनने को कहा. वे चाहते हैं कि 102 विधायकों में से कोई जो 2020 के राजनीतिक संकट के दौरान कांग्रेस के साथ खड़े रहे, उन्हें सीएम बनाया जाए.
8. शांति धारीवाल ने कहा कि 2020 में, जब राज्य में कांग्रेस मुश्किल में थी, हमारी अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा था कि सरकार को किसी भी कीमत पर बचाया जाए. राजस्थान में सीएम होने के बावजूद, विद्रोहियों ने दावा किया था कि सरकार गिर गई है. सत्र बुलाए जाने पर ही वे वापस आए, उन्हें अब सीएम बनाया जा रहा है.
9. उन्होंने कहा कि सीएम गहलोत ने हमेशा हाईकमान के निर्देशों का पालन किया है. हाईकमान ने (2020 में) उनसे गलत लोगों को समायोजित करने के लिए कहा था और उन्होंने वो स्वाकीर किया (सचिन पायलट को शामिल करने के लिए) जो पार्टी आलाकमान ने कहा. यह 100% मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को हटाने की साजिश थी और प्रभारी महासचिव इसका हिस्सा थे. मैं किसी और की बात नहीं कर रहा हूं, खड़गे पर कोई आरोप नहीं है बल्कि प्रभारी महासचिव पर है.
10. कांग्रेस विधायक दिव्या महिपाल मदेरणा ने कैबिनेट मंत्री शांति धारीवाल के बयान पर प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा कि मैं शांति धारीवाल के बयान की निंदा करती हूं. मैं पुष्टि करती हूं कि ऑब्जर्वर कांग्रेस (Congress) हाईकमान के नाम पर केवल एक लाइन प्रस्ताव पारित करते और उसके बाद प्रत्येक विधायक से एक-एक करके उनकी राय लेते और यही फिर आलाकमान को बताया जाता.
ये भी पढ़ें-
Watch: 'भारत जोड़ो यात्रा' को लेकर असम में भिड़े कांग्रेस के दो गुट, विधायक ने दी ये सफाई
ट्रेडिंग न्यूज
टॉप हेडलाइंस
and tablets