8 समझौतों पर मुहर, रक्षा सहयोग और समुद्री सुरक्षा पर जोर... चीन के बढ़ते प्रभाव के बीच खास है PM मोदी का मॉरिशस दौरा
साल 1965 में मॉरीशस को आजाद करने के बाद ब्रिटेन ने हिंद महासागर में मौजूद चागोस द्वीपसमूह को मॉरीशस से अलग कर दिया था.

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का मॉरिशस दौरा बेहद खास रहा. इस दौरे में दोनों देशों ने अपने संबंधों का विस्तार करते हुए इसे ‘विस्तारित रणनीतिक साझेदारी’ के स्तर तक पहुंचाया. इसके साथ ही, व्यापार और समुद्रिक सुरक्षा समेत कई क्षेत्रों में आपसी सहयोग बढ़ाने के लिए 8 अहम समझौतों पर मुहर लगी.
‘ग्लोबल साउथ’ के विकास के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एक महत्वाकांक्षी दृष्टिकोण का एलान किया. इस हस्ताक्षरित समझौतों में सीमा पार लेन-देन के लिए राष्ट्रीय मुद्राओं के उपयोग को बढ़ावा देना के साथ ही समुद्री डाटा साझा करना, मनीलांड्रिंग से निपटने में संयुक्त कार्य और एमएसएमई क्षेत्र में सहयोग बढ़ाना शामिल है. पीएम मोदी ने पोर्ट लुइस की अपनी दो दिवसीय यात्रा के दूसरे और अंतिम दिन मुख्य अतिथि के तौर पर मॉरीशस के राष्ट्रीय दिवस समारोह का हिस्सा बने.
मॉरीशस के अपने समकक्ष नवीनचंद्र रामगुलाम के साथ बातचीत में पीएम मोदी ने ‘ग्लोबल साउथ’ के लिए भारत के नए दृष्टिकोण रखा और इसे ‘‘महासागर’’ या ‘‘क्षेत्रों में सुरक्षा और विकास के लिए पारस्परिक एवं समग्र उन्नति (म्यूचुअल एंड होलिस्टिक एडवांस्मेंट फॉर सिक्योरिटी एंड ग्रोथ एक्रॉस रीजन्स) नाम दिया.
पीएम मोदी का अहम दौरा
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि एक स्वतंत्र, मुक्त, सुरक्षित और संरक्षित हिंद महासागर भारत और मॉरीशस की साझा प्राथमिकता है. उन्होंने और रामगुलाम ने इस बात पर सहमति जताई कि रक्षा सहयोग एवं समुद्री सुरक्षा दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है.
यह नीतिगत दृष्टिकोण हिंद महासागर में अपने प्रभाव का विस्तार करने के चीन के अथक प्रयासों की पृष्ठभूमि में आया है. पीएम मोदी ने मीडियाी से बात करते हुए कहा कि मॉरीशस के विशेष आर्थिक क्षेत्र की सुरक्षा में पूर्ण सहयोग देने के लिए प्रतिबद्ध हैं.
दोनों देशों के बीच रणनीतिक सहयोग पर बात करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि मॉरीशस को उसके तटरक्षक बल की जरूरतों को पूरा करने में हरसंभव मदद मुहैया कराई जाएगी. इसके साथ ही, भारत की तरफ से मॉरिशस में एक पुलिस अकादमी और राष्ट्रीय समुद्री सूचना साझाकरण केंद्र की स्थापना में मदद की जाएगी. उन्होंने आगे कहा कि श्वेत नौवहन, नीली अर्थव्यवस्था और जल विज्ञान पर सहयोग को मजबूत किया जाएगा.
गौरतलब है कि साल 1965 में मॉरीशस को आजाद करने के बाद ब्रिटेन ने हिंद महासागर में मौजूद चागोस द्वीपसमूह को मॉरीशस से अलग कर दिया था. हालांकि, मॉरीशस आज भी इस द्वीप पर अपना अधिकार जताता है. भारत हिंद महासागर में चागोस द्वीपसमूह पर ब्रिटेन के साथ पारस्परिक रूप से लाभकारी समझौते तक पहुंचने के मॉरीशस के प्रयासों का समर्थन करता रहा है.
पिछले साल यानी 2024 के अक्टूबर में ब्रिटेन ने एक ऐतिहासिक समझौते के तहत आधी सदी से अधिक समय के बाद चागोस द्वीपसमूह की संप्रभुता मॉरीशस को सौंपने के अपने फैसले का एलान किया था. मॉरीशस के पूर्व पीएम प्रविंद जगन्नाथ के कार्यकाल के दौरान हुए इस समझौते के तहत ब्रिटेन चागोस द्वीपसमूह पर अपनी संप्रभुता का त्याग कर देगा, लेकिन सबसे बड़े द्वीप डिएगो गार्सिया पर ब्रिटेन-अमेरिका सैन्य एयरबेस को लेकर 99 साल का पट्टा बनाए रखेगा.
हालांकि, मॉरिशस के प्रधानमंत्री रामगुलाम के नेतृत्व वाली मॉरीशस की नयी सरकार ने चागोस द्वीपसमूह पर ब्रिटेन के साथ बातचीत फिर से शुरू करने की मांग की. साथ ही, समझौते पर फिर से विचार करने की मांग की.
Source: IOCL
























