हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड की जल्द ही आसमान छूने की तैयारी, अगले दो साल में बढ़ेगा उत्पादन कई गुणा
एचएएल जीई एयरोस्पेस के साथ मिलकर फाइटर जेट के इंजन बनाने के डील में भी लगी है तो फ्रेंच कंपनी सफ्रान के साथ मिलकर नवंबर 2023 से हेलिकॉप्टर के इंजन के प्रारूप और विकास के काम में लगने वाली है.

भारत की एयरक्राफ्ट बनानेवाली कंपनी एचएएल यानी हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड फिर से सुर्खियों में है. इस बार पूरी तरह सकारात्मक कारणों से. भारतीय वायुसेना की घोषणा ने उसको अपनी रफ्तार बढ़ाने पर मजबूर कर दिया है. दरअसल, भारतीय वायुसेना ने अपनी अगली योजना के बारे में बताया है कि वह और अधिक फाइटर जेट्स और लाइट कॉम्बैट हेलिकॉप्टर (एलसीए) खरीदना चाहती है, साथ ही वह सुखोई-30 को भी अद्यतन बनाना चाहती है, अपग्रेड करना चाहती है. यह बिलियन डॉलर का कान्ट्रैक्ट है.
एचएएल की झोली अभी है भरी
सरकार का जोर मेक इन इंडिया पर है तो जाहिर तौर पर अभी एचएएल के पास बहुत सारा काम है. वह जीई एयरोस्पेस के साथ मिलकर फाइटर जेट के इंजन बनाने के डील में भी लगी है, जो छह महीने से साल भर में पूरी होने वाली है, तो फ्रेंच कंपनी सफ्रान के साथ मिलकर नवंबर 2023 यानी अगले ही महीने से हेलिकॉप्टर के इंजन के प्रारूप और विकास के काम में लगने वाली है. एक मीडिया हाउस को दिए गए साक्षात्कार में कंपनी के प्रमुख अनंतकृष्णन ने जानकारी दी थी कि अभी उनका लक्ष्य उनके नासिक वाले केंद्रों से 24 एयरक्राफ्ट बना कर देने का है, जो कि अगले साल के अंत तक हो जाएगा. वह इस लक्ष्य को पार करने के बाद सालाना 30 एयरक्राफ्ट बनाने के उद्देश्य से काम करेंगे. 24 विमानों का लक्ष्य इसलिए भी एचएएल के लिए जरूरी है कि एक आम धारणा बनायी गयी है कि एचएएल बहुत अधिक संख्या में उत्पादन करने में सक्षम नहीं है.
राफेल डील के समय एचएएल को लेकर मचा हंगामा भी हमें याद रखना चाहिए और 2018 में खुद तत्कालीन रक्षामंत्री ने इसकी क्षमता को कम बताया था, उस पर सवालिया निशान लगाया था. हालांकि, एचएएल ने पिछले कुछ वर्षों में जिस तरह से डिलीवरी दी है, उसको देखते हुए यह आशंका निर्मूल हो जानी चाहिए. एचएएल के पास काबिलियत भी है और सलाहियत भी. फिलहाल एचएएल अपने तमाम ग्राहकों के लिए संख्या बल के हिसाब से उत्पादन को बढ़ाने पर जोर दे रहा है. एचएएल की खूबियों को देखकर ही उसके पास अंतरराष्ट्रीय ग्राहकों की एक लंबी कतार लगी हुई है. दो दर्जन से अधिक देशों को एचएएल विमान से जुड़ी साजो-सामग्री निर्यात करती है. एचएएल के ग्राहकों में एयरबस इंडस्ट्रीज फ्रांस, बोईंग यूएसए, कोस्ट गार्ड मारीशस, इल्टा, इजराइल एयरक्राफ्ट इंडस्ट्रीज, जर्मनी, रूस, फ्रांस, रॉलस रायस और इंग्लैंड अमेरिका इत्यादि शामिल हैं.
एचएएल का इतिहास जानिए
23 दिसंबर 1940 को वालचन्द हीराचन्द ने चार करोड़ रुपए की शुरूआती पूंजी के साथ मैसूर की तत्कालीन सरकार के सहयोग से एक ऐसी कंपनी की नींव डाली, जिसके पीछे सोच यह थी कि देश में ही एयरक्राफ्ट बनने लगें. एक साल बाद ही यानी 1941 में भारत सरकार ने एक तिहाई शेयर खरीद लिया. उसके एक साल बाद 1942 में पूरा प्रबंधन तत्कालीन ब्रिटिश सरकार ने अपने हाथ में ले लिया. यहां याद दिलाना जरूरी है कि उस वक्त द्वितीय विश्वयुद्ध भी चल रहा था. इसके बाद ब्रिटिश सरका ने अमेरिका की इंटर कॉन्टीनेंटल एयरक्राफ्ट कंपनी का भी सहयोग लिया और कंपनी हॉक फाइटर और बॉम्बर एयरक्राफ्ट बनाने के काम में लग गयी. आजादी के बाद जनवरी 1951 में रक्षा मंत्रालय के अधीन कर दिया गया. कंपनी ने करीब डेढ़ सौ ट्रेनर एयरक्राफ्ट बनाकर एयरफोर्स को सप्लाई किए और फिर टू सीटर पुष्पक, कृषक, जेट फाइटर मारुत और जेट ट्रेनर किरन नामक एयरक्राफ्ट बनाए. जून 1964 में सरकार ने हिंदुस्तान एयरक्राफ्ट लिमिटेड को एयरोनॉटिक्स इंडिया लिमिटेड के साथ मिला दिया और हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड का जन्म हुआ. 1 अक्टूबर 1964 को हुए विलय के बाद इसे हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड का नाम और प्लेन की डिजाइनिंग, विनिर्माण, मरम्मत और एयरक्राफ्ट, हेलीकॉप्टर के इंजन की मरम्मत करने का काम मिला.
भारतीय वायुसेना को दिए कई यादगार
अभी फिल्म अभिनेत्री कंगना राणावत की फिल्म आ रही है-तेजस. एचएएल ने इसी नाम का पहला स्वदेशी सुपरसॉनिक विमान बनया है. इसका एक परीक्षण गोवा में हुआ था, जिसमें तेजस ने 1350 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से उड़ान भरी थी. यह विमान भारतीय वायुसेना की शान है. इसके अलावा एचएएल ने ध्रुव नामक बहुद्देशीय हेलिकॉप्टर भी भारतीय एयरफोर्स को दिया है. इसी का एक उन्नत और विकसित संस्करण रुद्र है. इसकी कार्यक्षमता का प्रमाण यही है कि इजरायल जैसा तकनीकी तौर पर विकसित देश भी इसको भारत से खरीदता है. एचएएल की जबरदस्त कार्यक्षमता का ही उदाहरण है कि इसने वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए 26,500 करोड़ रुपए का राजस्व दर्ज किया है, जो अब तक का सबसे अधिक राजस्व है.
पिछले वित्तीय वर्ष के लिए यह ₹24,620 करोड़ था. यहां याद दिलाना जरूरी है कि कोरोना महामारी की वजह से लगभग दो वर्ष कंपनी को काफी कुछ उत्पादन बंद रखना पड़ा था, लेकिन इन सबसे उबरकर कंपनी ने पिछले वर्ष की तुलना में वर्ष के दौरान 8% की राजस्व वृद्धि दर्ज की जो ऐतिहासिक है. मार्च 2023 के अंत में कंपनी की ऑर्डर बुक लगभग ₹82,000 करोड़ थी और साल भर में 26,000 करोड़ के नए कांट्रैक्ट कंपनी को मिला, जिसमें 70 HTT-40, 6 Do-228 विमान और PSLV लॉन्च वाहनों के कॉन्ट्रैक्ट शामिल थे. साथ ही, मरम्मत और अन्य मद में लगभग 16,600 करोड़ रुपये एचएएल ने कमाए. कंपनी दुनिया चुनिंदा बड़ी एरोस्पेस कंपनी बन चुकी है और अब यह अपने पर और भी अधिक फैला रही है.
यह एयरक्राफ्ट की डिजाइनिंग, डेवलपमेंट, हेलिकॉप्टर, एरो इंजन का विनिर्माण, मरम्मत इत्यादि के कामों से जुड़ी है और पूरे भारत में इसके 20 उत्पादन ईकाई और 11 रिसर्च डिजाइन सेंटर हैं. पूरी दुनिया में यह दर्जनों देशों में अपने प्रोडक्ट और सेवाओं का निर्यात करती है. एक शानदान भविष्य एचएचल का इंतजार कर रहा है और इसीलिए इसके शेयर भी बाजार में कमाल कर रहे हैं.
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Source: IOCL






















