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सीएम योगी के चाबुक से ही सरकारी बाबू बनेंगे ईमानदार?
जीएल मीणा पर आरोप है कि होमगार्ड्स की ड्यूटी में गड़बड़ी की बात पता चलने के बावजूद उन्होने दोषियों पर कोई कार्रवाई नहीं की.. और एक जिले से होते हुए ये घोटाला कई और जिलों तक पहुंच गया... भ्रष्टाचार के खिलाफ योगी सरकार के डायरेक्ट एक्शन की इस मुहिम में वन विभाग के भी दो अफसरों पर कार्रवाई करते हुए... प्रमुख सचिव वन कल्पना अवस्थी और प्रधान मुख्य वन संरक्षक पवन कुमार को पद से हटा दिया..
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तीन दशक पहले देश के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने दीमक बनकर देश के आर्थिक और सामाजिक ताने-बाने को बर्बाद कर रहे भ्रष्टाचार की समस्या की मिसाल देते हुए कहा था कि सरकार अगर विकास के लिए एक रुपया देती है तो जनता तक सिर्फ 10 पैसा ही पहुंच पाता है... और बाकी के 90 पैसे सरकारी तंत्र में ऊपर से लेकर नीचे तक बैठे हुए अफसर और कर्मचारी हजम कर जाते हैं और यूपी में पिछले ढाई सालों से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भ्रष्टाचार के इसी दीमक को मिटाने में अपनी सबसे ज्यादा ऊर्जा लगाई है। इसके लिए मुख्यमंत्री ने पूरे शासन तंत्र को संक्रमित करने वाले भ्रष्ट अधिकारियों और कर्मचारियों पर सीधी कार्रवाई शुरु कर दी है... जिसकी सबसे ताजातरीन मिसाल है होमगार्ड विभाग.. जिसमें सामने आए बड़े घोटाले के बाद सरकार ने होमगार्ड विभाग के डीजी जीएल मीणा को विभाग से हटा दिया है...
जीएल मीणा पर आरोप है कि होमगार्ड्स की ड्यूटी में गड़बड़ी की बात पता चलने के बावजूद उन्होने दोषियों पर कोई कार्रवाई नहीं की.. और एक जिले से होते हुए ये घोटाला कई और जिलों तक पहुंच गया... भ्रष्टाचार के खिलाफ योगी सरकार के डायरेक्ट एक्शन की इस मुहिम में वन विभाग के भी दो अफसरों पर कार्रवाई करते हुए... प्रमुख सचिव वन कल्पना अवस्थी और प्रधान मुख्य वन संरक्षक पवन कुमार को पद से हटा दिया.. दोनों अफसरों पर सोनभद्र में जेपी ग्रुप को नियमों की अनदेखी कर जमीन आवंटित करने का आरोप है... लेकिन ये भ्रष्टतंत्र हर सरकार में इतना फला-फूला है कि इसका एक बार में सफाया करना असंभव सा दिखता है... उत्तर प्रदेश के हर विभाग से भ्रष्टाचार की जड़ें उखाड़ने में लगी योगी सरकार ने अबतक करीब एक हजार से ज्यादा अफसरों और कर्मचारियों को या तो रिटायर कर दिया है या फिर उन्हे विभाग से हटा चुके है... और अभी योगी सरकार का करीब आधा कार्यकाल बाकी है ऐसे में भ्रष्ट अफसरों पर कार्रवाई का आंकड़ा आने वाले दिनों में और भी बढ़ना तय हैं..
हालांकि लोकतंत्र में विपक्ष भी होता है...और विपक्ष की अपनी भूमिका होती है...भ्रष्टाचार के खिलाफ योगी सरकार की मुहिम को विपक्ष कठघरे में खड़ा कर रहा है.. जो आज विपक्ष में हैं कल वो सत्ता में भी रह चुका है...ऐसे में सवाल तो सीधा विपक्ष प भी उठता है...दरअसल सत्ता और करप्ट सिस्टम की इसी जुगलबंदी को समझने के लिए आज हम चर्चा कर रहे हैं..क्योंकि योगी सरकार ने इस जुगलबंदी पर भी चोट की है...भ्रष्टाचार के खात्मे के लिए अफसरों पर नकेल के साथ ही कई नेता भी कठघरे में हैं।
हमारा सवाल है कि क्या सीएम योगी के सख्त एक्शन से अफसरशाही में वाकई बदलाव आएगा... क्या सीएम की सख्त कार्रवाई के चाबुक से ही सरकारी बाबू ईमानदार बन जाएंगे... और बड़ा सवाल ये भी है कि क्या दागी अफसरों को पद से हटा देना भर काफी है..क्या उनसे भ्रष्टाचार कर लूटी गई रकम की वसूली नहीं होनी चाहिए।
भ्रष्ट अफसरों के खिलाफ अब तक मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जो कार्रवाई की है, उससे भ्रष्टाचार को लेकर सरकार की सख्त नीति साफ है, लेकिन सिर्फ अफसरों और कर्मचारियों को पद से हटा देने या उन्हे रिटायर कर देना भर ही भ्रष्टाचार का समाधान नहीं हो सकता। कार्रवाई की जरूरत उनपर भी है जो इस भ्रष्ट तंत्र का पोषण करते हैं। जिसमें भ्रष्ट राजनीति भी है जिसकी शह पर शासन की कमजोर कड़ियों का लाभ उठाकर अफसरशाही भ्रष्टाचार को बढ़ावा देती है।
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