एक्सप्लोरर

बिहार में भूमिहार अचानक से सबसे ज्यादा चर्चा में क्यों हैं? हर पार्टी की बढ़ गई है दिलचस्पी

अगले महीने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह बिहार के दौरे पर जा रहे हैं. कार्यक्रम स्वामी सहजानंद सरस्वती की जयंती का है. लेकिन माना ये जा रहा है कि इस कार्यक्रम के बहाने नाराज चल रहे भूमिहार वोटरों को मनाने की कोशिश की जा रही है. आखिर बिहार की राजनीति में महज 5 फीसदी की आबादी वाला भूमिहार समाज अचानक से सबसे ज्यादा चर्चा में क्यों है?

पिछले साल सरस्वती पूजा का मौका था और पटना में उस रात एक हॉस्टल से जेडीयू अध्यक्ष ललन सिंह पूजा समारोह में शामिल होकर निकल रहे थे. हॉस्टल के बाहर रात के अंधेरे में नारे लगे, 'बिहार का सीएम कैसा हो...ललन सिंह जैसा हो'. ये महज एक इत्तफाक हो सकता है कि जेडीयू अध्यक्ष बनने के बाद उनके समर्थकों ने ये नारा बुलंद किया . लेकिन ये इत्तेफाक बिल्कुल नहीं हो सकता कि कैसे इसी के बाद बिहार की राजनीति में भूमिहार वोटर अचानक से आक्रामक हो गये. असल में ये वो नारा था जिसने भूमिहार वोटरों को उसकी शक्ति का एहसास दिलाने में मददगार साबित हुआ.

भूमिहार वोटरों पर सबकी नज़र

साल भर का वक्त बीता है और बिहार की राजनीति में काफी कुछ बदलाव हो चुका है. इस बदलाव की राजनीति में भूमिहार वोटर सबके केंद्र में हैं. ललन सिंह को जब जेडीयू ने पार्टी का अध्यक्ष बनाया उस वक्त नीतीश कुमार बीजेपी के साथ थे. ये वो वक्त था जब बिहार बीजेपी की राजनीति में भूमिहार नेता हाशिये पर चले गये थे . सियासत की नजाकत को भांपते हुए तेजस्वी यादव ने ए टू जेड का नारा दिया और भूमिहार वोटरों पर डोरे डालने की शुरुआत की.

बोचहां उपचुनाव में हार से बदले समीकरण

2022 की शुरुआत में ही बोचहां विधानसभा का उपचुनाव हुआ और भूमिहारों की नाराजगी ने बीजेपी उम्मीदवार बेबी कुमारी को बुरी तरह से हरा दिया. ये वो चुनाव था जिसमें बीजेपी के 50 से ज्यादा विधायक और तत्कालीन मंत्री, दर्जन भर सांसद और केंद्रीय मंत्री बोचहां के गांवों में घूम-घूमकर नुक्कड़ सभाएं कर रहे थे. हर विधायक और मंत्री के पास एक पंचायत की जिम्मेदारी थी. राष्ट्रीय मीडिया की नजरें बोचहां के उपचुनाव पर थी. नतीजे आए तो बीजेपी बुरी तरह से हार गई. सुशील मोदी जैसे नेताओं ने बयान दिया कि भूमिहारों को लेकर पार्टी को फिर से सोचने की जरूरत है. ये बिहार की राजनीति में भूमिहारों के प्रासंगिक होने और एकजुट होकर ताकत दिखाने का पहला उदाहरण था. वैसे इस मूड को बिहार का मूड नहीं माना जा सकता लेकिन प्रयोग के तौर बोचहां बिहार की राजनीति में बदलाव के लिए स्थापित हो चुका था.

तेजस्वी यादव की भी है नज़र

इसी दौरान बिहार विधान परिषद के स्थानीय प्राधिकार का चुनाव हुआ. तेजस्वी यादव ने 5 सीटों पर भूमिहार उम्मीदवार उतार दिये. आरजेडी से तीन भूमिहारों की जीत हुई तो बीजेपी-जेडीयू गठबंधन की गांठ हिल गई. बिहार की राजनीति में भूमिहारों को बीजेपी का आधार वोट माना जाता रहा है. लेकिन तेजस्वी यादव के इस प्रयोग ने उनके पिता लालू यादव के दिये कथित 'भूरा बाल साफ करो' वाले नारे को भुला दिया.

नाराज भूमिहार वोटरों को मनाने की कोशिश

अगस्त 2022 आते-आते बीजेपी और जेडीयू के रास्ते अलग हो गए. नीतीश कुमार ने तेजस्वी से हाथ मिलाया तो तेजस्वी यादव ने आरजेडी कोटे से भूमिहार जाति के एमएलसी कार्तिक कुमार को मंत्री बनाया. (हालांकि बाद में उन्हें इस्तीफा देना पड़ा). बीजेपी को लग गया कि जिस आधार वोट के दम पर उसकी पार्टी बिहार में स्थापित हुई है उससे ज्यादा दिन की दूरी भारी पड़ सकती है. लिहाजा पार्टी ने स्पीकर रहे भूमिहार जाति के विजय सिन्हा को नेता विपक्ष की कुर्सी दे दी. मोकामा में उपचुनाव हुआ तो जेडीयू से तोड़कर भूमिहार जाति के नेता की पत्नी को बीजेपी ने अपना उम्मीदवार बनाया. हालांकि बीजेपी मोकामा का चुनाव हार गई. लेकिन संदेश ये गया कि बीजेपी भूल सुधार में जुटी हुई है. बीते साल के अंत में कुढ़नी में विधानसभा का उपचुनाव हुआ. बीजेपी से दावेदारी भूमिहार नेता शशि रंजन की थी, लेकिन टिकट वैश्य उम्मीदवार केदार गुप्ता को मिला. एक स्थानीय भूमिहार नेता निलाभ कुमार वीआईपी के उम्मीदवार बने तो सभी दलों के पसीने छूट गये. भूमिहार वोट बैंक में टूट की आशंका बढ़ गई. लेकिन बीजेपी ने किसी तरह से मामले को संभाला और फिर भूमिहारों की एकजुटता ने बीजेपी को जीत दिलाई. इसके बाद कांग्रेस ने राज्यसभा सांसद अखिलेश सिंह को अपनी पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष बनाया. इस उम्मीद के साथ कि बीजेपी से अगर भूमिहार नाराज होते हैं तो सीधा फायदा कांग्रेस को होगा. वैसे भी बीजेपी से पहले भूमिहार परंपरागत रूप से कांग्रेस के ही वोटर रहे हैं.

भूमिहार नेताओं में सबकी बढ़ रही है दिलचस्पी

बीते साल भूमिहारों में जो आक्रोश दिखा उसी का नतीजा रहा कि सभी दलों ने भूमिहार नेताओं में दिलचस्पी दिखाई. अब बीजेपी फिर से पुरानी बातों को भुलाकर नई शुरुआत की तैयारी में है. इसी कड़ी में 22 फरवरी को गृह मंत्री अमित शाह स्वामी सहजानंद सरस्वती जयंती समारोह में शामिल होने पटना पहुंचने वाले हैं. देश के बड़े स्वतंत्रता सेनानी और किसान आंदोलन के जनक स्वामी सहजानंद सरस्वती का जन्म यूपी के गाजीपुर में हुआ था लेकिन बिहार उनकी कर्मभूमि रही. इस समारोह के बहाने भूमिहारों को संदेश देने की कोशिश है. राज्यसभा सांसद विवेक ठाकुर इस कार्यक्रम के कर्ता-धर्ता हैं.

चर्चा तो यहां तक है कि केंद्रीय कैबिनेट में फेरबदल होता है तो उसके जरिये भी भूमिहारों को मनाने की कोशिश हो सकती है. उधर जेडीयू में ललन सिंह को लेकर भी दबी जुबान चर्चा हो रही है. सामने 2024 का चुनाव है और ये नहीं भूलना चाहिए कि जो भूमिहार बीजेपी का परंपरागत वोटर रहा है उस भूमिहार जाति के वोटर पटना, वैशाली, मुजफ्फरपुर, मोतिहारी, जहानाबाद, बेगूसराय, नवादा, सीतामढ़ी, आरा में जीत-हार की ताकत रखते हैं. इन सीटों पर पहले भूमिहार जाति के उम्मीदवार लड़ते और जीतते रहे हैं. ऐसे में 2024 के चुनाव में बीजेपी हो या कांग्रेस, जेडीयू या आरजेडी इन सीटों पर तो कम से कम भूमिहारों के मूड के हिसाब से ही फैसला लेगी.

नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज़ ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

View More

ओपिनियन

Sponsored Links by Taboola
25°C
New Delhi
Rain: 100mm
Humidity: 97%
Wind: WNW 47km/h

टॉप हेडलाइंस

नितिन नबीन को BJP का अध्यक्ष क्यों नहीं बनाया गया? वर्किंग प्रेसिडेंट बनाए जाने के प्लान का डिकोड
नितिन नबीन को BJP का अध्यक्ष क्यों नहीं बनाया गया? वर्किंग प्रेसिडेंट बनाए जाने के प्लान का डिकोड
अमरिंदर सिंह के बाद अब पत्नी परनीत कौर बोलीं, 'बीजेपी में शामिल होने का फैसला...'
अमरिंदर सिंह की पत्नी परनीत कौर बोलीं, 'बीजेपी में शामिल होने का फैसला सोच समझकर लिया गया था'
Rahul Gandhi-Prashant Kishor Meeting: क्या कांग्रेस में शामिल होंगे प्रशांत किशोर? राहुल गांधी के साथ दिल्ली में हुई मीटिंग, प्रियंका भी थीं मौजूद
क्या कांग्रेस में शामिल होंगे प्रशांत किशोर? राहुल गांधी के साथ दिल्ली में हुई मीटिंग, प्रियंका भी थीं मौजूद
Top 5 Reality Shows On OTT: 'बिग बॉस 19' और 'केबीसी 17' को पछाड़ नंबर 1 बना ये शो, देखें टॉप 5 की लिस्ट
'बिग बॉस 19' और 'केबीसी 17' को पछाड़ नंबर 1 बना ये शो, देखें टॉप 5 की लिस्ट
ABP Premium

वीडियोज

Crime News: यमुनानगर में सिर कटी लाश की गुत्थी सुलझी, आरोपी बिलाल गिरफ्तार | Haryana
दिलजले आशिक की खौफनाक दस्तक
'नबीन' अध्यक्ष.. बंगाल है लक्ष्य? | Nitin Nabin |  BJP | PM Modi | Janhit With Chitra
Vodafone Idea में तूफानी तेजी! AGR Moratorium की खबर से शेयर 52-Week High पर| Paisa Live
क्या Delhi छोड़कर ही सांसें सुरक्षित हैं? Pollution से परेशान राजधानी | Bharat Ki Baat With Pratima

पर्सनल कार्नर

टॉप आर्टिकल्स
टॉप रील्स
नितिन नबीन को BJP का अध्यक्ष क्यों नहीं बनाया गया? वर्किंग प्रेसिडेंट बनाए जाने के प्लान का डिकोड
नितिन नबीन को BJP का अध्यक्ष क्यों नहीं बनाया गया? वर्किंग प्रेसिडेंट बनाए जाने के प्लान का डिकोड
अमरिंदर सिंह के बाद अब पत्नी परनीत कौर बोलीं, 'बीजेपी में शामिल होने का फैसला...'
अमरिंदर सिंह की पत्नी परनीत कौर बोलीं, 'बीजेपी में शामिल होने का फैसला सोच समझकर लिया गया था'
Rahul Gandhi-Prashant Kishor Meeting: क्या कांग्रेस में शामिल होंगे प्रशांत किशोर? राहुल गांधी के साथ दिल्ली में हुई मीटिंग, प्रियंका भी थीं मौजूद
क्या कांग्रेस में शामिल होंगे प्रशांत किशोर? राहुल गांधी के साथ दिल्ली में हुई मीटिंग, प्रियंका भी थीं मौजूद
Top 5 Reality Shows On OTT: 'बिग बॉस 19' और 'केबीसी 17' को पछाड़ नंबर 1 बना ये शो, देखें टॉप 5 की लिस्ट
'बिग बॉस 19' और 'केबीसी 17' को पछाड़ नंबर 1 बना ये शो, देखें टॉप 5 की लिस्ट
वर्ल्ड चैंपियन क्रिकेटर को होगी जेल! करोड़ों के घोटाले में अरेस्ट वारंट जारी; जानें क्या है मामला
वर्ल्ड चैंपियन क्रिकेटर को होगी जेल! करोड़ों के घोटाले में अरेस्ट वारंट जारी; जानें क्या है मामला
Shashi Tharoor on MNREGA: 'महात्मा की विरासत का अपमान न करें', मनरेगा का नाम बदलने पर शशि थरूर का पहला रिएक्शन
'महात्मा की विरासत का अपमान न करें', मनरेगा का नाम बदलने पर शशि थरूर का पहला रिएक्शन
Video: बगैर हेलमेट घूमता है ये शख्स, पुलिस चाहकर भी नहीं काट पाती चालान, वीडियो देख समझ आएगी सच्चाई
बगैर हेलमेट घूमता है ये शख्स, पुलिस चाहकर भी नहीं काट पाती चालान, वीडियो देख समझ आएगी सच्चाई
Most Expensive Fruit: यह है‌ दुनिया का सबसे महंगा फल, जानें क्या है इसकी आसमान छूती कीमत की वजह
यह है‌ दुनिया का सबसे महंगा फल, जानें क्या है इसकी आसमान छूती कीमत की वजह
Embed widget