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2014 में राहुल गांधी के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी थीं प्रियंका, अब खुद दे रही हैं जोरदार दस्तक

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जनता से कनेक्ट करने में प्रियंका अपने भाई राहुल से बेहतर मानी जाती हैं. पहली बार लोगों ने उनका लोहा 1999 में माना. जहां उनके चाचा जैसे अरूण नेहरू बीजेपी से चुनाव लड़ रहे थे. जबकि गांधी परिवार के क़रीबी कैप्टन सतीश शर्मा कांग्रेस के उम्मीदवार थे. अमेठी में मां का चुनाव प्रचार छोड़ कर वे सीधे रायबरेली पहुंच गईं. उन्होंने भाषण शुरू किया “ यहां से बीजेपी के जो उम्मीदवार हैं उन्होंने मेरे परिवार की पीठ में छुरा घोंपा है. आपने ऐसे ग़द्दार आदमी को रायबरेली में घुसने कैसे दिया’ उनका इतना कहते ही सन्नाटा छा गया.प्रियंका के इस बयान ने रायबरेली का चुनावी माहौल बदल दिया. कैप्टन जीत गए. photo- Getty Images
जनता से कनेक्ट करने में प्रियंका अपने भाई राहुल से बेहतर मानी जाती हैं. पहली बार लोगों ने उनका लोहा 1999 में माना. जहां उनके चाचा जैसे अरूण नेहरू बीजेपी से चुनाव लड़ रहे थे. जबकि गांधी परिवार के क़रीबी कैप्टन सतीश शर्मा कांग्रेस के उम्मीदवार थे. अमेठी में मां का चुनाव प्रचार छोड़ कर वे सीधे रायबरेली पहुंच गईं. उन्होंने भाषण शुरू किया “ यहां से बीजेपी के जो उम्मीदवार हैं उन्होंने मेरे परिवार की पीठ में छुरा घोंपा है. आपने ऐसे ग़द्दार आदमी को रायबरेली में घुसने कैसे दिया’ उनका इतना कहते ही सन्नाटा छा गया.प्रियंका के इस बयान ने रायबरेली का चुनावी माहौल बदल दिया. कैप्टन जीत गए. photo- Getty Images
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रायबरेली और अमेठी की पब्लिक तो उन्हें ख़ूब समझती है. उनके चुनाव प्रचार के अंदाज को जानती है. प्रियंका को आपने फूलों की माला गले में पहने हुए कई बार भाषण देते देखा और सुना होगा. जो भी उन्हें माला पहना देता है, ले उसे गले में डाले रहती हैं. वो भी घंटों तक. अपनी दादी इंदिरा गांधी की तरह ही वे साड़ी पहन कर रायबरेली और अमेठी का दौरा करती हैं. यूपी से बाहर जींस शर्ट पहनने वाली प्रियंका राजनीति में प्रतीकों को बख़ूबी जानती हैं. photo- Getty Images
रायबरेली और अमेठी की पब्लिक तो उन्हें ख़ूब समझती है. उनके चुनाव प्रचार के अंदाज को जानती है. प्रियंका को आपने फूलों की माला गले में पहने हुए कई बार भाषण देते देखा और सुना होगा. जो भी उन्हें माला पहना देता है, ले उसे गले में डाले रहती हैं. वो भी घंटों तक. अपनी दादी इंदिरा गांधी की तरह ही वे साड़ी पहन कर रायबरेली और अमेठी का दौरा करती हैं. यूपी से बाहर जींस शर्ट पहनने वाली प्रियंका राजनीति में प्रतीकों को बख़ूबी जानती हैं. photo- Getty Images
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बात 2014 की है जब राहुल गांधी अमेठी में नॉमिनेशन फाइल करने पहुंचे थे. 12 अप्रैल 2014 को उस वक्त दल बल के साथ राहुल ने रोड शो भी किया था. इन सबके बीच जो उनके कंधे से कंधा मिलाकर चलने वाली और उनकी सबसे बड़ी ताकत बनकर उभरी थीं वो और कोई नहीं बल्कि प्रियंका गांधी थीं. खुली गाड़ी में भाई राहुल के साथ बहन प्रियंका लोगों का अभिवादन स्वीकार करते हुए आगे बढ़ रही थीं. ऐसा लग रहा था प्रियंका ही राहुल की गार्डियन हैं और ये सच भी तो था. चुनाव प्रचार से लेकर बूथ मैनेजमेंट तक सब प्रियंका ने संभाला था. photo- Getty Images
बात 2014 की है जब राहुल गांधी अमेठी में नॉमिनेशन फाइल करने पहुंचे थे. 12 अप्रैल 2014 को उस वक्त दल बल के साथ राहुल ने रोड शो भी किया था. इन सबके बीच जो उनके कंधे से कंधा मिलाकर चलने वाली और उनकी सबसे बड़ी ताकत बनकर उभरी थीं वो और कोई नहीं बल्कि प्रियंका गांधी थीं. खुली गाड़ी में भाई राहुल के साथ बहन प्रियंका लोगों का अभिवादन स्वीकार करते हुए आगे बढ़ रही थीं. ऐसा लग रहा था प्रियंका ही राहुल की गार्डियन हैं और ये सच भी तो था. चुनाव प्रचार से लेकर बूथ मैनेजमेंट तक सब प्रियंका ने संभाला था. photo- Getty Images
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2017 में जब विधानसभा चुनाव हो रहे थे. तब प्रियंका के सक्रिय राजनीति में कदम रखने की मांग और बढ़ गई थी. तब कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के बीच चुनावी गठबंधन था. कांग्रेस के रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने भी ऐसा ही सुझाव दिया था. लेकिन परिवार के लोग तैयार नहीं हुए और बात वहीं की वहीं रह गईं. photo- Getty Images
2017 में जब विधानसभा चुनाव हो रहे थे. तब प्रियंका के सक्रिय राजनीति में कदम रखने की मांग और बढ़ गई थी. तब कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के बीच चुनावी गठबंधन था. कांग्रेस के रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने भी ऐसा ही सुझाव दिया था. लेकिन परिवार के लोग तैयार नहीं हुए और बात वहीं की वहीं रह गईं. photo- Getty Images
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उत्तर-प्रदेश की राजनीति में प्रियंका गांधी की एंट्री कांग्रेस के लिए सियासत की चौसर पर तुरूप का पत्ता चलने जैसी है. लेकिन लंबे वक्त से हाशिये पर पड़ी कांग्रेस को क्या प्रियंका गांधी के चेहरे का जादू जीवन दे पायेगा. यह फिलहाल चुनावी नतीजों के गर्त में है. मगर सपा-बसपा गठबंधन और कांग्रेस की ओर से प्रियंका गांधी की सियासी आमद ने बीजेपी के खेमे में बैचेनी जरूर बढ़ा दी है. photo- Getty Images
उत्तर-प्रदेश की राजनीति में प्रियंका गांधी की एंट्री कांग्रेस के लिए सियासत की चौसर पर तुरूप का पत्ता चलने जैसी है. लेकिन लंबे वक्त से हाशिये पर पड़ी कांग्रेस को क्या प्रियंका गांधी के चेहरे का जादू जीवन दे पायेगा. यह फिलहाल चुनावी नतीजों के गर्त में है. मगर सपा-बसपा गठबंधन और कांग्रेस की ओर से प्रियंका गांधी की सियासी आमद ने बीजेपी के खेमे में बैचेनी जरूर बढ़ा दी है. photo- Getty Images
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अमेठी में लोग राहुल गांधी को भइया बोलते थे और जब प्रियंका उनके साथ होती थीं तब उन्हें भी 'भइया जी' कहा जाता था. अब भी उन्हें वहां इसी नाम से पुकारा जाता है. 2014 के बाद से प्रियंका की सक्रियता थोड़ी बढ़ी थी और 2016 में उनके बच्चे भी मामा के क्षेत्र में नजर आए थे. photo- Getty Images
अमेठी में लोग राहुल गांधी को भइया बोलते थे और जब प्रियंका उनके साथ होती थीं तब उन्हें भी 'भइया जी' कहा जाता था. अब भी उन्हें वहां इसी नाम से पुकारा जाता है. 2014 के बाद से प्रियंका की सक्रियता थोड़ी बढ़ी थी और 2016 में उनके बच्चे भी मामा के क्षेत्र में नजर आए थे. photo- Getty Images
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माना जाता रहा है कि प्रियंका कांग्रेस का सबसे बड़ा ट्रंप कार्ड हैं और उनके आने से कांग्रेस में नई जान पड़ जाएगी. वैसे अभी तक प्रियंका परदे के पीछे रह कर कांग्रेस के लिए रणनीति बनाती रही हैं. माना जाता है कि राहुल और सोनिया उनसे सलाह भी लेते हैं. photo- Getty Images
माना जाता रहा है कि प्रियंका कांग्रेस का सबसे बड़ा ट्रंप कार्ड हैं और उनके आने से कांग्रेस में नई जान पड़ जाएगी. वैसे अभी तक प्रियंका परदे के पीछे रह कर कांग्रेस के लिए रणनीति बनाती रही हैं. माना जाता है कि राहुल और सोनिया उनसे सलाह भी लेते हैं. photo- Getty Images
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लोगों के बीच किसी मंझे हुए नेता की तरह प्रियंका लोगों से मिल रही थीं. अब प्रियंका गांधी की राजनीति में एंट्री हो गई है. उन्हें कांग्रेस महासचिव का पद दिया गया है और पूर्वी उत्तर प्रदेश का प्रभारी बनाया गया है. प्रियंका गांधी अभी तक अमेठी और रायबरेली में राहुल गांधी और सोनिया गांधी का प्रचार करती रही हैं. photo- Getty Images
लोगों के बीच किसी मंझे हुए नेता की तरह प्रियंका लोगों से मिल रही थीं. अब प्रियंका गांधी की राजनीति में एंट्री हो गई है. उन्हें कांग्रेस महासचिव का पद दिया गया है और पूर्वी उत्तर प्रदेश का प्रभारी बनाया गया है. प्रियंका गांधी अभी तक अमेठी और रायबरेली में राहुल गांधी और सोनिया गांधी का प्रचार करती रही हैं. photo- Getty Images
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