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Independence Day 2022: जब चंदौली में गांधी जी के 'करो या मरो' के नारे के बाद आजादी की लड़ाई में कूद पड़ी थी देश की जनता...
Chandauli News: मुंबई अधिवेशन के बाद करो या मरो का नारा निकला और इस आजादी की लड़ाई में चंदौली के रणबांकुरे भी आजादी की लड़ाई में कूद पड़े. वहीं 3 लोग सैयदराजा में और 3 लोग धानापुर में शहीद हो गए.
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Chandauli News: गांधी जी के मुम्बई में 9 अगस्त 1942 को अधिवेशन में देश की जनता से आह्वान करते हुए कहा कि अब समय आ गया है " करो या मरो " ये मुंबई अधिवेशन से पूरे देश मे एक नारा निकला और इस नारे से प्रभावित होकर आजादी की लड़ाई में बिना जान की परवाह किये चंदौली के रणबांकुरे भी आजादी की लड़ाई में कूद पड़े. ज्यादातर लोग तो घायल हुए वहीं 3 लोग सैयदराजा में और 3 लोग धानापुर में इस आजादी की लड़ाई में शहीद हो गए.
देश की जनता इस आजादी की लड़ाई में कूद पड़ी
आजादी की लड़ाई में चंदौली में शहीद स्मारक समिति सैयदराजा के अध्यक्ष मंगला सिंह उस समय शहीदों की गाथा बताते हुए रो पड़े और उन्होंने बिस्तार से चंदौली के रणबांकुरों की कहानी अपनी जुबानी बताते हुए कहा कि महात्मा गांधी के राष्ट्रीय आनदोलन में जब अंतिम अधिवेशन 9 अगस्त 1942 को मुंबई में हुआ जिसमें उन्होंने आह्वान किया कि करो या मरो तो सारे देश की जनता इस आजादी की लड़ाई में कूद पड़ी. उसी के दौरान जगह-जगह आंदोलन शुरू हुए और तमाम सरकारी कार्यालय पर तिरंगा फहराना कब्जा करने का आयोजन यहां के रणबांकुरों ने शुरू किया. उसी पक्ष में 16 अगस्त 1942 को धानापुर में श्री कांता प्रसाद विद्यार्थी की अगुवाई में तीन लोग धानापुर थाने पर झंडा फहराने के दौरान शहीद हुए और सैकड़ों लोग घायल हुए.
इसी के साथ 28 अगस्त 1942 को सैयदराजा में थाने पर ,रेलवे स्टेशन, पोस्ट ऑफिस पर तिरंगा फहराया जाने का निर्णय लिया गया था. दो-तीन जत्थे बनाए गए थे जो कि एक उत्तरी दिशा से था और दूसरा दक्षिण दिशा से था. उत्तरी दिशा से बौहहारी बाबा की कुटिया से स्वर्गीय जगत नारायण पांडे चंद्रिका शर्मा रामनरेश सिंह जोखन सिंह इत्यादि लोगों का जत्था था. दक्षिणी सिरे से पंडित चंद्रिका शर्मा देवनाथ दादा पराहु सिंह इत्यादि लोगों का जत्था था, दूसरा सैकड़ों लोगों की जनसंख्या थी वह थाने पर झंडा फहराने के लिए भीड़ आमादा थी.
शहीद स्मारक पर फहराया झंडा
रास्ते मे पंडित जगत नारायण दुबे को मना किया गया कि आप वहां मत जाइए अंग्रेज के सिपाही चारों ओर घेरा डाले हुए हैं, आपको हिलने नही देंगे तो उन्होंने कहा कि मुझे जान की परवाह नहीं है. हम पंडिताइन से कहके आइल हई की हम आजादी की लड़ाई लड़े जात हई आपन सिंदूर धो लिहा. यहां आते आते रामसुधार पाण्डेय को गोली लग गयी थी रेलवे क्रासिंग पर वह गिर पड़े पर इसी बीच लक्ष्मण शास्त्री ने नारा दिया पीछे मत हटना डटे रहना फिर सब लोग आगे बढ़ा है और शहीद स्मारक पर झंडा फहराया. इस शहीद स्मारक स्थल पर 15 अगस्त 28 अगस्त 26 जनवरी 2 अक्टूबर को राष्ट्रीय कार्यक्रम किए जाते हैं यहां की आम जनता को शहीदों की कुर्बानी के बारे में बताया जाता है.
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