Rajasthan News: पत्नी कमा रही है, यह तथ्य उसे भरण-पोषण का दावा करने से वंचित नहीं रख सकता- राजस्थान हाईकोर्ट
Rajasthan: पति के वकील ने कोर्ट में कहा कि पत्नी 85 हजार रुपए महीना कमा रही है और उसने अपनी मर्जी से तलाक लिया है इसलिए वह भरण-पोषण की राशि का दावा करने की हकदार नहीं है.
Rajasthan News: राजस्थान हाईकोर्ट ने गुरुवार को अपने एक फैसले में कहा कि पत्नी कमा रही है, केवल यह तथ्य उसे पति पर भरण-पोषण का दावा करने से वंचित नहीं करेगा. कोर्ट ने कहा कि किसी भी तरह के परित्याग के आरोप को आधार बनाकर पति को मासिक भरण-पोषण की राशि का दावा करने वाली पत्नी को अयोग्य घोषित करने के लिए सक्षम नहीं बनाया जा सकता है.
क्या था मामला
दरअसल पक्षकारों का विवाह 27 मई 2010 को बीकानेर में हुआ था. इसके बाद यह दंपति अमेरिका चला गया. दंपति के 21 मई 2011 को एक बेटा हुआ. संबंधों में कड़वाहट की वजह से 13 नवंबर 2013 में पति-पति एक दूसरे से अलग हो गए. इसके बाद पत्नी ने पति के खिलाफ सीआरपीसी की धारा 125 के तहत आवेदन दिया, जिसके बाद निचली अदालत ने पत्नी के लिए 50 हजार जबकि बेटे के लिए 20 हजार प्रतिमाह भरण-पोषण देने का निर्देश दिया.
पत्नी दे दी फैसले को चुनौती
इसके बाद पत्नी ने वर्तमान आपराधिक पुनरीक्षण याचिका दायर करते हुए उक्त आदेश को चुनौती दी और कहा कि पत्नी के भरण-पोषण की राशि ढाई लाख और बेटे के भरण पोषण की राशि एक लाख तीस हजार कर दी जाए. वहीं पति ने उक्त आदेश को रद्द करने की मांग की.
पत्नी को भरण-पोषण के अधिकार से वंचित नहीं रखा जा सकता
डॉ. जस्टिस पुष्पेंद्र सिंह भाटी ने याचिका का निपटारा करते हुए कहा कि तमाम रिकॉर्ड को देखने के बाद एवं पक्षकारों को सुनने के बाद कोर्ट का मानना है कि केवल यह तथ्य की पत्नी कमा रही है, उसे उसके भरण-पोषण के अधिकार से वंचित नहीं रखा जा सकता. कोर्ट ने कहा कि पति ने स्वंय 29 अप्रैल 2015 को तलाक ले लिया है और इस तथ्य में कोई विवाद नहीं है. इसलिए किसी भी तरह के परित्याग को आधार बनाकर पत्नी को भरण पोषण के अधिकार से वंचित नहीं रखा जा सकता है. हाई कोर्ट ने कहा कि पति प्रतिमाह लगभग 12 लाख रुपए कमा रहा है और पत्नी प्रतिमाह 85 हजार रुपए कमा रही है, इसलिए पति को अपनी आय का 1/12वां हिस्सा पत्नी को भरण-पोषण के तौर पर दिया जाना चाहिए. कोर्ट ने कहा कि पत्नी का भरण-पोषण की राशि को बढ़ाने का दावा उचित है. इस प्रकार राजस्थान हाईकोर्ट ने निचली अदालत के फैसले में संशोधन करते हुए पत्नी और बेटे को भरण-पोषण के तौर पर दी जाने वाली मासिक राशि को बढ़ाकर 75 हजार और 25 हजार रुपए कर दिया.
पति-पत्नी के वकील ने क्या दी दलील
पति के वकील ने कोर्ट में कहा था कि उसकी पत्नी 85 हजार रुपए महीने कमा रही है और हैदराबाद में रह रही है और अपने भरण पोषण में सक्षण है. जबकि उसने बेटे के भरण-पोषण का विरोध नहीं किया. उन्होंने कहा कि पत्नी ने अपनी मर्जी से पति का परित्या किया है इसलिए वह भरण-पोषण की हकदार नहीं है. वहीं पत्नी के वकील ने कहा कि जीविका का मतलब केवल जीवित रहना नहीं है. उन्होंने कहा कि हैदराबाद की जीवनशैली जहां पत्नी अपने बेटे के साथ रह रही है वह बहुत महंगी है और उसका बेटा हैदराबाद के एक अच्छे और प्रतिष्ठित स्कूल में पढ़ रहा है, जिसका खर्च बहुत अधिक है. उन्होंने कहा कि यदि पत्नी कुछ कमा भी रही है तो भी वह अपने पति से पर्याप्त भरण-पोषण के लिए दावा करने की हकदार है.
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