Rajasthan: युवाओं को मौका देने का कांग्रेस का आईडिया राजस्थान के मंत्री को नहीं आया पसंद, अब कही ये बात
Rajasthan Congress News: राजस्थान में गहलोत और पायलट गुट के तैनात के बीच गहलोत के मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने पायलट के उस आइडिया को खारिज कर दिया है जिसमें युवाओं को मौका देने की बात कही गई थी.
Rajasthan Politics: राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) और सचिन पायलट (Sachin pilot) गुट के बीच तनातनी जारी है. सीएम अशोक गहलोत के मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने पार्टी में युवाओं को ज्यादा मौके देने के आइडिया को खारिज कर दिया है. सचिन पायलट ने चिंतन शिविर में युवाओं को अधिक से अधिक मौका देने की बात कही थी पायलट के इस आइडिया पर पार्टी आलाकमान ने आधिकारिक मुहर भी लगा दी है लेकिन राजस्थान में इसका विरोध भी शुरू हो गया है. राजस्थान की गहलोत सरकार में खाद्य और आपूर्ति मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने कहा "राजनीति में उम्र की जगह नहीं है. युवाओं को गलतफहमी नहीं होनी चाहिए."
सीनियरिटी, एक्सपीरियंस और उम्र बहुत कुछ सिखाता है
दरअसल, सोनिया गांधी ने कहा था कि पार्टी ने कांग्रेस के नेताओं को बहुत कुछ दिया है, अब उन्हें पार्टी के लिए सोचना होगा. संगठन के लिए काम करना होगा. इस पर खाचरियावास ने कहा "राजनीति में मेरी सोच अलग है. युवा लोगों को यह गलतफहमी नहीं होनी चाहिए कि हम ही फिट हैं और हम ही अच्छा काम कर सकते हैं. सीनियरिटी, एक्सपीरियंस और उम्र भी बहुत कुछ सिखाती है. इस देश में प्रधानमंत्री की कितनी उम्र है आप और हम जानते हैं. उम्र की बात करना अपनी कमजोरी को छिपाना है."
राजनीति है एक खुला मैदान
मंत्री खाचरियावास ने उम्रदराज नेताओं के टिकट काटने का खुलकर विरोध किया है. खाचरियावास ने कहा "राजनीति एक खुला मैदान है. कांग्रेस हो या बीजेपी, जो डिजर्व करेगा वो आएगा. जिसमें दम होगा वो धरती फाड़ कर आ जाएगा. दीवार तोड़कर आ जाएगा. आज अगर कांग्रेस या बीजेपी में कोई पावरफुल लीडर है. उसे इसलिए रोक दोगे कि वह किसी राजनीतिक परिवार से आता है तो कल दिक्कत खड़ी हो जाएगी."
उन्होंने कहा "राजनीति में डिजर्विंग और फिटनेस दो बातें महत्वपूर्ण हैं. जो पब्लिक में पॉपुलर हो. जिसे लोग पसंद करते हों. जो जनता के बीच खड़े होकर खून पसीना बहा सकता हो. काम कर सकता हो. उसको आगे आना चाहिए. जब पार्टियां जनता की पसंद को समझेंगी. उम्र को महत्व नहीं देकर ये महसूस करेंगी कि जनता में इस नेता की आवाज है. तो रिजल्ट मिलेगा. वरना हम जनता की आवाज नहीं समझेंगे तो रिजल्ट नहीं दे पाएंगे."
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