Jhiram Ghati Incident: कहीं राज ही न रह जाए देश के सबसे बड़े नक्सली हमले का सच! नौ साल बाद भी जांच अधूरी
Jagdalpur News: झीरम घाटी नक्सली हमले के 9 साल पूरे हो गए हैं. आज भी इसको लेकर सच्चाई सभी के सामने नहीं आई है. इसकी जांच को लेकर सीएम बघेल ने बीजेपी पर जमकर निशाना साधा है.
Jhiram Ghati Incident: देश के सबसे बड़े नक्सली हमलों में से एक झीरम घाटी नक्सली हमले के 9 साल पूरे हो गए हैं. आज मुख्यमंत्री ने जगदलपुर में इस घटना की बरसी मनाते हुए शहीदों को श्रद्धांजलि दी और लाल बाग मैदान में बने झीरम घाटी शहीद स्मारक का लोकार्पण किया. इस दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि घटना के 9 साल बीत चुके हैं. हमने इन 9 सालो में पूरी कोशिश की कि इस घटना का सही तथ्य सामने आ सके. इसके लिए सरकार ने एसआईटी टीम का गठन किया, लेकिन बीजेपी के लोग इस जांच में अड़ंगा डाल रहे हैं.
जांच को लेकर बीजेपी पर साधा निशाना
चूंकि यह हमला एक राजनीतिक षड्यंत्र था और इसके उजागर के लिए सत्ता में आने के बाद कांग्रेस ने अनेक कोशिश भी की लेकिन केंद्र में बैठी बीजेपी और प्रदेश के बीजेपी नेताओं ने इस जांच में रोक लगा दी. मुख्यमंत्री ने कहा कि एनआईए की जांच भी संतोषप्रद नहीं है. राज्य सरकार ने एक एसआईटी टीम को तैयार कर इस पूरे घटना की जांच करना चाही. जिसके बाद इस जांच के लिए केंद्र सरकार ने भी हामी भरी. लेकिन प्रदेश के बीजेपी नेताओं ने एसआईटी जांच के खिलाफ स्टे लगा दिया.
नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक पर साधा निशाना
वहीं विधानसभा नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक भी एसआईटी जांच को आगे नहीं बढ़ाया जाए इसके लिए इस जांच में अड़ंगा लगा रहे हैं. जिस वजह से इस घटना में शहीद लोगों को अब तक न्याय नहीं मिल पाया है. मुख्यमंत्री ने कहा कि बीजेपी के षड्यंत्र के ही वजह से इतनी बड़ी घटना हुई है, क्योंकि घटना के दिन तत्कालीन बीजेपी सरकार ने इतने बड़े काफिले को कोई सुरक्षा नहीं दी.
वहीं जब प्रदेश में सत्ता परिवर्तन हुआ और कांग्रेस सरकार ने इस मामले की जांच के लिए तत्परता दिखाई तब-तब बीजेपी इस जांच को रोकने की पूरी कोशिश कर रही है. जिस वजह से जांच अब तक आगे नहीं बढ़ पाया है.
मामले में जांच जारी है
दरअसल इस बड़ी घटना की जांच के लिए SIT टीम का गठन किया गया है. एनआईए और एक आयोग का भी गठन किया गया. पिछले 9 सालों से जहां एनआईए की जांच रेंग रही है वहीं एक और न्यायिक जांच आयोग ने 70 से अधिक लोगों के बयान दर्ज किए हैं, लेकिन अब तक इसका राज नहीं खुला है. इधर मई 2020 में राज्य सरकार द्वारा एसआईटी तो बना दी गई लेकिन अब तक उसके हाथ केस डायरी ही नहीं लगी है.
एसआईटी की ऐसे अटकी जांच
इधर घटना की 8वीं बरसी पर यानी पिछले साल दरभा थाने में एफआईआर दर्ज करने के बाद से इस एक साल में एसआईटी ने काम करने की कोशिश जरूर की. इस मामले से जुड़े 10 से अधिक लोगों का बयान भी दर्ज किया लेकिन इसके बाद हाईकोर्ट से स्टे के बाद एसआईटी की जांच अटक गई और मामला कोर्ट में चला गया.
जिसके बाद से फिर से बीजेपी-कांग्रेस में टकराव की स्थिति बन गई है. सवाल खड़े होने लगे हैं कि कहीं केंद्र और राज्य के बीच टकराव की वजह से झीरम हमले का सच एक राज बनकर ही ना रह जाए. आज भी शहीदों के परिजन न्याय की उम्मीद लगा बैठे हैं.
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