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Ganesh Chaturthi 2023: छत्तीसगढ़ के मूर्तिकार ने चॉक से बनाई भगवान गणेश की अनोखी प्रतिमा, जानिए- इस मूर्ति की खासियत
Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ के मूर्तिकार ने इस बार पेंसिल-इरेज़र-शार्पनर से निर्मित एक 8 फीट की गणेश भगवान की मूर्ति बनाई है. गणेश जी की इस खास मूर्ति को बनाने में 400 पेंसिल, 1500 चॉक, 200 शार्पनर लगे.
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Ganpati Sthapana 2023: 19 सितंबर से पूरे भारत में गणेश उत्सव की धूम देखने को मिलेगी. घरों से लेकर गली मोहल्ले और शहर में भगवान गणेश विराजमान होंगे. पूरे भारत में यह उत्सव बड़े धूमधाम से मनाया जाता है. इस बार खास बात यह है कि ज्यादातर लोग मिट्टी की गणेश प्रतिमा बना रहे हैं. उन्हीं में से छत्तीसगढ़ के एक ऐसे मूर्तिकार हैं जो इस बार भगवान गणेश की 8 फिट की मूर्ति का निर्माण पेंसिल, चाक, शॉपनर और धूप-अगरबत्ती से कर रहे हैं, जो अब पूरे प्रदेश में चर्चा का विषय बना हुआ है.
इस बार मूर्तिकार मिट्टी से मूर्ति बनाने में ले रहे हैं रुचि
19 सितंबर से पूरे देश मे गणेश उत्सव की शुरुआत हो रही है. शहर के विभिन्न पंडालों व घरों में भगवान गणपति की प्रतिमा स्थापित की जाएगी. इस बार एक खास बात यह भी देखने को मिल रही हैं कि, गणेश प्रतिमा बनाने वाले मूर्तिकार ज्यादातर मिट्टी से बनी गणेश प्रतिमाओं को आकार दे रहे हैं. इस बार मूर्तिकार प्लास्टर आफ पेरिस (पीओपी) से प्रतिमा बनाने में बिलकुल भी रुचि नहीं ले रहे हैं, जोकि इस बार के गणेश उत्सव के लिए सबसे अच्छी बात है.
क्योंकि मिट्टी से बनी प्रतिमाएं पानी में आसानी से घुल जाती हैं और प्लास्टर आफ पेरिस की तरह नदी व पानी को दूषित नहीं करती हैं. एक तरह से मिट्टी की प्रतिमा पूरी तरह से ईको फ्रेंडली होती है.
जानिए मिट्टी से बने मूर्ति की खासियत और पौराणिक मान्यताएं
मिट्टी से बनी प्रतिमा की पूजा को श्रेष्ठ बताया गया है. मिट्टी से बनी प्रतिमा में पंच तत्व समाए हुए रहते हैं. मिट्टी यानी पृथ्वी, जल, वायु, अग्नि और आकाश इन पांचों तत्वों से ही हमारा शरीर बनता है और इन पंच तत्वों से मिलकर ही मिट्टी की गणेश प्रतिमा बनती है. इसलिए मिट्टी की प्रतिमा श्रेष्ठ मानी जाती है. मूर्तिकार सुजीत सूत्रधर ने बताया है कि, वे 45 साल से गणेश की मूर्ति बना रहे हैं. ईको फ्रेंडली गणेश की मूर्ति ही बनाते हैं.
पीओपी (प्लास्टर ऑफ पेरिस) और फाइबर की मूर्तियां नहीं बनाई जाती है. सिर्फ मिट्टी के ही गणेश भगवान बनाए जाते हैं जो घुलनशील होते हैं. पानी में विसर्जन के समय घुल जाते हैं जिससे पानी भी प्रदूषित नहीं होता है. इसमें चार प्रकार की मिट्टी का उपयोग किया जाता हैं. जैसे लाल मिट्टी, गंगा मिट्टी, एठन मिट्टी, दोमट मिट्टी इन सबको मिलकर ही गणेश जी बनाए जाते हैं. वहीं इसमें पैरा, लकड़ी, सुतली का भी उपयोग किया जाता है.
पेंसिल, चाक और शॉपनर से बन रही भगवान गणेश की मूर्ति
मूर्तिकार सुजीत सूत्रधर हर साल गणेश जी की अनोखी मुर्तियां बनाते हैं और इस बार भी उन्होंने पेंसिल, रबर, शॉपनर, कटर से निर्मित एक 8 फिट की मूर्ति बनाई है. इन खास गणेश जी को बनाने में 400 पेंसिल, डेढ़ हजार चाक, 200 शॉपनर लगे हैं. वहीं एक धूप अगरबत्ती से निर्मित गणेश जी की मूर्ति भी तैयार की जा रही है. इसमें खास बात यह है कि इसमें पूजा में उपयोग करने वाले धूप अगरबत्ती से इसे बनाया जा रहा है.
इस मूर्ति में 7000 धूप, अगरबत्ती, बंधन, धागा से बनाया जा रहा है. एक गणेश जी को बनाने में एक हफ्ते का समय लगता है और यहां सैकड़ों गणेश जी की मूर्ति बनाई जा रही है. इसकी तैयारी 6 माह पहले से शुरू की जाती है. वहीं इन खास मूर्तियों को बनाने के लिए कलकत्ता से 16 कारीगर आते हैं.
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