Chhattisgarh: कांग्रेस ने की थी जातिगत जनगणना की पैरवी, 15 सवर्ण उम्मीदवारों में से 13 हारे
Chhattisgarh Result 2023: क्या जाति आधारित जनगणना कराए जाने के वादे से कांग्रेस को छत्तीसगढ़ में नुकसान हुआ है? राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि इससे कांग्रेस से सवर्ण वोटर छिटक गए.
Chhattisgarh Election Result 2023: छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में कांग्रेस द्वारा जातिगत जनगणना (Caste based Census) की जोरदार पैरवी के बीच पार्टी द्वारा उतारे गए सभी आठ ब्राह्मण उम्मीदवारों को हार का सामना करना पड़ा. ब्राह्मण समुदाय समेत ऊंची जातियों के 15 कांग्रेस (Congress) उम्मीदवारों में से 13 चुनाव हार गए, जबकि अल्पसंख्यक समाज के सभी तीन पार्टी उम्मीदवारों को भी हार का सामना करना पड़ा. जबकि बीजेपी ने ऊंची जातियों के 18 उम्मीदवार मैदान में उतारे थे और जिनमें से 16 विजयी हुए.
चुनाव विशेषज्ञों के अनुसार, छत्तीसगढ़ में जातिगत जनगणना और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को लुभाने की कांग्रेस की कोशिश ने ऊंची जातियों के साथ-साथ अनुसूचित जनजाति श्रेणी के उम्मीदवारों की संभावनाओं को प्रभावित किया है. उन्होंने कहा कि संभवतः अधिकतर मतदाताओं को भूपेश बघेल के नेतृत्व वाली सरकार की ओबीसी समर्थक राजनीति रास नहीं आई.
इन सवर्ण नेताओं को मिली हार
कांग्रेस ने इस बार आठ ब्रह्मणों समेत उच्च जाति के 15 प्रत्याशियों को टिकट दिया था. उच्च जाति वर्ग के केवल दो कांग्रेस उम्मीदवार - राघवेंद्र सिंह और अटल श्रीवास्तव चुनाव जीतने में कामयाब रहे. जबकि पिछली कांग्रेस सरकार के उपमुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव, मंत्री रवींद्र चौबे, मंत्री जय सिंह अग्रवाल, वरिष्ठ विधायक अमितेश शुक्ला और अरुण वोरा समेत 13 स्वर्ण उम्मीदवारों को पराजय का सामना करना पड़ा.
ये दो नेता रहे विजयी
राघवेंद्र सिंह ने अकलतारा सीट (जांजगीर-चांपा जिला) से अपने 'चाचा' और मौजूदा बीजेपी विधायक सौरभ सिंह को 22,758 वोट के अंतर से हराया है. इसी तरह, अटल श्रीवास्तव ने कोटा सीट पर बीजेपी के प्रबल प्रताप जूदेव को 7957 वोट के अंतर से हराया. कोटा में जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) की मौजूदा विधायक रेनू जोगी 8884 वोट हासिल कर तीसरे स्थान पर रहीं.
इन ब्राह्मण प्रत्याशियों को मिली हार
कांग्रेस के टिकट पर मैदान में उतरे जिन आठ ब्राह्मण प्रत्याशियों को हार का सामना करना पड़ा उनमें रवींद्र चौबे (साजा), अमितेश शुक्ला (राजिम), महंत रामसुंदर दास (रायपुर शहर दक्षिण), विकास उपाध्याय (रायपुर शहर पश्चिम), अरुण वोरा (दुर्ग शहर), पंकज शर्मा (रायपुर ग्रामीण), शैलेश पांडे (बिलासपुर) और शैलेश नितिन त्रिवेदी (बलौदाबाजार) शामिल हैं. कांग्रेस ने अल्पसंख्यक समुदाय से तीन उम्मीदवारों- निवर्तमान मंत्री मोहम्मद अकबर (कवर्धा) और मौजूदा विधायक कुलदीप जुनेजा (रायपुर शहर उत्तर) और आशीष छाबडा (बेमेतरा) को मैदान में उतारा था और इन सभी को चुनाव में हार का सामना करना पड़ा.
उधर, बीजेपी ने ऊंची जातियों के 18 उम्मीदवार मैदान में उतारे थे और उनमें से 16 विजयी हुए. इन 18 में से सात ब्राह्मण थे, जिनमें से पांच ने चुनाव जीता है. बीजेपी से ऊंची जातियों के दो उम्मीदवार शिवरतन शर्मा (भाटापारा) और प्रेमप्रकाश पांडे (भिलाई नगर) चुनाव हार गए हैं.
चुनाव विश्लेषक आर कृष्ण दास ने कहा कि कांग्रेस ने ओबीसी आबादी को लुभाने के लिए जातिगत जनगणना समेत कई वादे किए हैं, जिससे ऊंची जातियों के मतदाताओं का ध्यान भटक गया. उनके अनुसार सवर्ण उन सीटों पर अच्छी संख्या में हैं, जहां कांग्रेस ने ऊंची जाति के उम्मीदवारों को मैदान में उतारा था. उन्होंने कहा कि बीजेपी के हिंदुत्व कार्ड ने भी उसके पक्ष में काम किया.
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