Kanker Encounter: कांकेर मुठभेड़ के बाद पसरा सन्नाटा, सुरक्षाबलों ने 29 नक्सलियों को उतारा था मौत के घाट
Kanker Encounter: कांकेर में मुठभेड़ वाली जगह के नजदीक के गांवों में ज्यादातर स्थानीय आदिवासी महिलाएं देखी गईं. मंगलवार की दोपहर पहाड़ी पर क्या हुआ, यह पूछने पर वह कुछ भी बोलने से हिचक रही थीं.
Chhattisgarh Encounter News: छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित कांकेर जिले के हिदुर और कल्पर गांवों के जंगल में सुरक्षा बलों तथा नक्सलियों के बीच मंगलवार को मुठभेड़ के बाद अब सन्नाटा पसरा हुआ है. घटना के बाद ग्रामीण अपनी दिनचर्या में व्यस्त हैं, लेकिन अनजान लोगों को देखकर कुछ भी बोलने से हिचक रहे हैं. नक्सल प्रभावित जिले के छोटे बेठिया थाना क्षेत्र के अंतर्गत हिदुर और कल्पर गांवों के करीब जंगल में मंगलवार को सुरक्षा बलों ने चार घंटे तक चली मुठभेड़ में 29 नक्सलियों को मार गिराया था.
वहीं अब गांवों के करीब बांस की झाड़ियों से घिरी पहाड़ियों पर सन्नाटा पसरा हुआ है, लेकिन यहां पेड़ों पर खून के धब्बे और गोलियों के निशान इस बात को बयां कर रहे हैं कि मुठभेड़ कितना भीषण था. मुठभेड़ वाली जगह के नजदीक के गांवों में ज्यादातर स्थानीय आदिवासी महिलाएं देखी गईं. वह अपने रोजमर्रा के कामों में व्यस्त दिखीं, लेकिन मंगलवार की दोपहर पहाड़ी पर क्या हुआ, यह पूछने पर वह कुछ भी बोलने से हिचक रही थीं.
#WATCH | Chhattisgarh: Pakhanjur Station House Officer Laxman Kewat who was one of the officers leading the security forces in the Kanker encounter says, " There were so many challenges...when we went to the hardcore areas, crackers and bombs started exploding...we coordinated… pic.twitter.com/5rXeAAjz08
— ANI (@ANI) April 17, 2024
स्थानीय निवासी ने क्या कहा?
इस बीच खुद को क्षेत्र के अकामेटा गांव का निवासी बताने वाले लिंगाराम ने बताया कि उनका चचेरा भाई और सक्रिय नक्सली सुक्कू मुठभेड़ में मारा गया. लिंगाराम ने बताया कि वह घटना के बारे में नहीं जानते थे और बुधवार को उन्हें इसकी जानकारी मिली. उन्होंने कल्पर गांव में मीडिया से कहा कि सुक्कू बचपन से ही प्रतिबंधित भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी माओवादी (भाकपा-माओवादी) संगठन में शामिल हो गया था. लिंगाराम के मुताबिक परिवार के सदस्यों ने उसे संगठन को छोड़ने के लिए मनाने की कोशिश की थी, लेकिन वह नहीं माना.
लिंगाराम ने बताया कि परिवार के सदस्यों ने अभी तक उसके शव पर दावा करने के लिए पुलिस से संपर्क नहीं किया है. मुठभेड़ स्थल तक पहुंचने वाला कच्चा रास्ता कई जगह खुदा हुआ दिखा. यहां लोकसभा चुनाव के बहिष्कार के संदेश वाले नक्सलियों के पोस्टर लगे हुए थे. नक्सलियों की उत्तर बस्तर डिवीजन कमेटी का गढ़ माने जाने वाले इस क्षेत्र में प्रवेश करने के लिए कोटरी नदी को पार करना पड़ता है, जो गर्मियों में सूख जाती है. स्थानीय प्रशासन यहां लंबे समय से पुल बनाने की कोशिश कर रहा है, लेकिन ग्रामीणों के विरोध के कारण सफलता नहीं मिल पा रही है.
मुठभेड़ स्थल बेचाघाट से करीब 15 किलोमीटर दूर कांकेर, नारायणपुर (छत्तीसगढ़) और गढ़चिरौली (महाराष्ट्र) जिले के त्रिकोण पर स्थित है. ग्रामीण आयतू ने बताया कि उसने दोपहर में गोलियों की आवाज सुनी थी, जो कल्पर गांव से सटी एक पहाड़ी से आ रही थी. आयतू ने इससे आगे कुछ भी कहने से इनकार कर दिया. पहाड़ी पर चढ़ने पर कई स्थानों पर खून के धब्बे और पेड़ों पर गोलियों के निशान देखे जा सकते हैं. खाली सिरिंज और बोतलें इलाके में एक सूखे नाले के किनारे बिखरी हुई दिखीं. एक स्ट्रेचर भी पड़ा हुआ था, जिसका इस्तेमाल सुरक्षाकर्मी अपने घायल सहकर्मियों को ले जाने के लिए करते हैं.
15 महिलाओं समेत 29 नक्सलियों के शव बरामद
पुलिस के अनुसार लगभग 200 की संख्या में जिला रिजर्व गार्ड (डीआरजी) और सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के जवानों ने 15 अप्रैल की देर शाम विभिन्न स्थानों से नक्सल विरोधी अभियान शुरू किया था. वह मेहरा गांव में एकत्र हुए थे. उन्होंने बताया कि सुरक्षा बलों ने खैरीपदर गांव में कोटरी नदी पार की और फिर अन्य गांवों से होते हुए उस पहाड़ी को घेर लिया, जहां माओवादियों के सीनियर कैडरों की आवाजाही की सूचना मिली थी.
पुलिस ने बताया कि दोनों पक्षों के बीच मुठभेड़ मंगलवार दोपहर करीब 12.30 बजे शुरू हुई और लगभग चार घंटे तक चली. गोलीबारी बंद होने के बाद घटनास्थल से 15 महिलाओं समेत 29 नक्सलियों के शव बरामद किए गए. गोलीबारी में तीन सुरक्षाकर्मी भी घायल हुए हैं. पिछले तीन दशक से अधिक समय से माओवाद की समस्या से जूझ रहे छत्तीसगढ़ में यह पहली बार है, जब सुरक्षाबलों ने मुठभेड़ में इतनी बड़ी संख्या में नक्सलियों को मार गिराया है.
इस साल अभी तक 79 नक्सली मारे गए
साल 2024 की शुरुआत के बाद से बस्तर क्षेत्र में सुरक्षा बलों के साथ अलग-अलग मुठभेड़ में 79 नक्सली मारे गए हैं. पुलिस अधिकारियों ने बताया कि मंगलवार को सुरक्षा बलों ने मौके से भारी मात्रा में हथियार बरामद किये. उपमुख्यमंत्री और राज्य का गृह विभाग भी संभाल रहे विजय शर्मा ने मुठभेड़ को ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ करार देते हुए बड़ी सफलता बताया और कहा कि इसका श्रेय सुरक्षाबलों के बहादुर जवानों को जाता है.
कांकेर मुठभेड़ में सुरक्षा बलों का नेतृत्व करने वाले अधिकारियों में से एक ने कहा कि बहुत सारी चुनौतियां थीं. जब हम नक्सलियों के इलाकों में गए, तो पटाखे और बम फूटने लगे. हमने अच्छे से समन्वय किया और ऑपरेशन को अंजाम दिया. हमें जानकारी थी कि पिछली बार की तरह, वे सुरक्षा टीम पर हमला करने और चुनाव प्रक्रिया में बाधा डालने की योजना बना रहे थे, इसे ध्यान में रखते हुए, हमने ऑपरेशन की योजना बनाई और हम सफल रहे.