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Chhath 2023: कटिहार में छठ पर्व के मौके पर मुस्लिम समुदाय की महिलाएं बनाती हैं मिट्टी के चूल्हे, व्रतियों में रहती है खूब मांग
Chhath Puja 2023: कटिहार के बैगना स्थित नहर के पास रहने वाले मो. कासिम, उनकी पत्नी नूर जहान और साथ ही मो. रबनी खातून द्वारा बनाए गए चूल्हों की विशेष मांग रहती है. 20 सालों से यह परिवार
![Chhath 2023: कटिहार में छठ पर्व के मौके पर मुस्लिम समुदाय की महिलाएं बनाती हैं मिट्टी के चूल्हे, व्रतियों में रहती है खूब मांग Women of Muslim community make earthen stoves on the occasion of Chhath festival in Katihar ann Chhath 2023: कटिहार में छठ पर्व के मौके पर मुस्लिम समुदाय की महिलाएं बनाती हैं मिट्टी के चूल्हे, व्रतियों में रहती है खूब मांग](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2023/11/16/5472a818efa8890789928a67c6b467b01700136066106624_original.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
कटिहार: छठ के मौके पर सौहार्द का मिशाल खूद देखने को मिलता है. कटिहार में भी छठ पर्व (Chhath 2023) को लेकर एक मुस्लिम परिवार चर्चा में रहता है. छठ के खास विधान खरना में मिट्टी के चूल्हा में खाना बनाने की परंपरा रही है. शहर के बैगना स्थित नहर के पास रहने वाले मो. कासिम और उनकी पत्नी नूर जहान साथ ही मो. रबनी खातून द्वारा बनाए गए चूल्हों की विशेष मांग रहती है. दूर दराज से लोग यहां पहुंच कर श्रद्धा के साथ इस मिट्टी के चूल्हे का खरीदारी करते हैं. हर साल इसलिए यह लोग छठ पर्व के मौके पर एक महीने पहले से ही मिट्टी के चूल्हे बनाने की तैयारी शुरू कर देते हैं.
यह परिवार 20 सालों से बना रहा है मिट्टी के चूल्हे
मो. कासिम के द्वारा बनाए गए मिट्टी के चूल्हों की मांग इतनी रहती है कि बहुत पहले से चूल्हा बनाने का काम शुरू कर देते हैं. वैसे तो यह परिवार मुस्लिम है, लेकिन इन लोगों का छठ पर्व के प्रति इतनी श्रद्धा है कि यह लोग छठ व्रतियों के लिए सिर्फ छठ के अवसर पर चूल्हे बनाते हैं. छठ खत्म होने के बाद रबनी खातून दूसरों के घरों में काम करके अपना और अपने चार बच्चों का भरण पोषण करती हैं. वहीं, 6 साल पहले रबनी खातून के पति मरहूम मकदुल की मौत हो गई थी और मरहूम मकदुल द्वारा छठ के अवसर पर चूल्हे बनाकर बेचने की शुरुआत की गई थी. यह परिवार 20 सालों से छठ पर्व के अवसर पर मिट्टी की चूल्हे बनाकर बेचते आ रहा है. मरहूम के नहीं रहने के बाद अब इस का काम का जिम्मा रबनी खातून के ऊपर आ गया है.
इसमें धर्म की बंदिश कभी बाधा नहीं डाला है- रबनी खातून
आस्था के साथ हर साल छठ पर्व के अवसर पर मिट्टी के चूल्हे रबनी खातून बनाती हैं. वहीं, दूसरे परिवार के नूर जहां कहती हैं कि वे लोग भी छठ के मौके पर पूरे परिवार के साथ कई दिन पहले से ही मिट्टी के चूल्हे बनाने में जुट जाती हैं. इसमें धर्म की बंदिश कभी बाधा नहीं डाला है. जबकि चूल्हा खरीदने आए श्रद्धालु कहते हैं कि यही तो महापर्व छठ की खासियत है, जो एक साथ कई कुरीतियों को तोड़ते हुए एक सामाजिक सौहार्द का मजबूत संदेश भी देता है.
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