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Ajmer Tourism: राजस्थान के अजमेर जाएं तो इन जगहों पर जाना ना भूलें, होगा अमेजिंग एक्सपीरियंस

राजस्थान में अरावली की सुरम्य पहाड़ियों के बीच बसा अजमेर पर्यटकों को काफी पसंद है. यहां सात समंदर पार से सैलानी घूमने और छुट्टियां बिताने आते हैं. यहां सभी जाति-धर्म के प्रमुख धर्मस्थल हैं.

राजस्थान में अरावली की सुरम्य पहाड़ियों के बीच बसा अजमेर पर्यटकों को काफी पसंद है. यहां सात समंदर पार से सैलानी घूमने और छुट्टियां बिताने आते हैं. यहां सभी जाति-धर्म के प्रमुख धर्मस्थल हैं.

(अजमेर पर्यटन स्थल)

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अजमेर शरीफ दरगाह: अजमेर में गरीब नवाज ख्वाजा मोईनुद्दीन हसन चिश्ती की विश्व विख्यात दरगाह है. देश-दुनिया से सभी धर्मों के लोग यहां आते हैं. हज यात्रा के बाद मुस्लिम कौम के लिए यह पवित्र तीर्थ है. यहां हर साल आयोजित होने वाले उर्स मेले में लाखों जायरीन दरगाह आते हैं. दरगाह शरीफ में निजाम गेट, औलिया मस्जिद, दरगाह श्राइन, बुलंद दरवाजा, जामा मस्जिद, महफिलखाना और अन्य बनावट में वास्तुकला की अद्भुत झलक देखने को मिलती है.
अजमेर शरीफ दरगाह: अजमेर में गरीब नवाज ख्वाजा मोईनुद्दीन हसन चिश्ती की विश्व विख्यात दरगाह है. देश-दुनिया से सभी धर्मों के लोग यहां आते हैं. हज यात्रा के बाद मुस्लिम कौम के लिए यह पवित्र तीर्थ है. यहां हर साल आयोजित होने वाले उर्स मेले में लाखों जायरीन दरगाह आते हैं. दरगाह शरीफ में निजाम गेट, औलिया मस्जिद, दरगाह श्राइन, बुलंद दरवाजा, जामा मस्जिद, महफिलखाना और अन्य बनावट में वास्तुकला की अद्भुत झलक देखने को मिलती है.
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जगतपिता ब्रह्मा मंदिर: अजमेर शहर के निकट 52 घाटों से सजी पवित्र पुष्कर सरोवर झील और जगतपिता ब्रह्मा का मंदिर पूरे विश्व में प्रसिद्ध है. पुष्कर को तीर्थों का राजा कहा जाता है. यहां संगमरमर से बना ब्रह्मा मंदिर चांदी के सिक्कों से जड़ा हुआ है. गर्भगृह में भगवान ब्रह्मा की चतुर्मुखी प्रतिमा स्थापित है. इसी मंदिर में सूर्य भगवान की संगमरमर मूर्ति भी है जो एक प्रहरी की तरह खड़ी है. शाम के वक्त यहां सैकड़ों मंदिरों की घंटियां और फूलों की महक मन को महका देती है.
जगतपिता ब्रह्मा मंदिर: अजमेर शहर के निकट 52 घाटों से सजी पवित्र पुष्कर सरोवर झील और जगतपिता ब्रह्मा का मंदिर पूरे विश्व में प्रसिद्ध है. पुष्कर को तीर्थों का राजा कहा जाता है. यहां संगमरमर से बना ब्रह्मा मंदिर चांदी के सिक्कों से जड़ा हुआ है. गर्भगृह में भगवान ब्रह्मा की चतुर्मुखी प्रतिमा स्थापित है. इसी मंदिर में सूर्य भगवान की संगमरमर मूर्ति भी है जो एक प्रहरी की तरह खड़ी है. शाम के वक्त यहां सैकड़ों मंदिरों की घंटियां और फूलों की महक मन को महका देती है.
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गुरुद्वारा सिंह सभा: सिख समुदाय के प्रथम गुरु नानक देव 1509 में तीर्थराज पुष्कर आए थे. उस वक्त वे जिस स्थान पर रुके, उसे गुरुद्वारा सिंह सभा कहा जाता है. गुरुनानक देव जी ने पुष्कर सरोवर में डुबकी भी लगाई थी. संगमरमर के पत्थर से निर्मित गुरुद्वारा पुष्कर में प्रवेश करते ही दिखाई देता है. 23 अक्टूबर 2005 को इसका जीर्णोद्धार किया था, तब पंजाब और देश के विभिन्न हिस्सों से सिख समुदाय के धर्मगुरु और श्रद्धालुओं ने यहां कार सेवा की थी.
गुरुद्वारा सिंह सभा: सिख समुदाय के प्रथम गुरु नानक देव 1509 में तीर्थराज पुष्कर आए थे. उस वक्त वे जिस स्थान पर रुके, उसे गुरुद्वारा सिंह सभा कहा जाता है. गुरुनानक देव जी ने पुष्कर सरोवर में डुबकी भी लगाई थी. संगमरमर के पत्थर से निर्मित गुरुद्वारा पुष्कर में प्रवेश करते ही दिखाई देता है. 23 अक्टूबर 2005 को इसका जीर्णोद्धार किया था, तब पंजाब और देश के विभिन्न हिस्सों से सिख समुदाय के धर्मगुरु और श्रद्धालुओं ने यहां कार सेवा की थी.
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तारागढ़ किला: तारागढ़ फोर्ट का निर्माण वर्ष 1354 में किया गया था. यह किला वास्तुकला का एक शानदार और उत्कृष्ट उदाहरण पेश करता है. तारागढ़ किले को अजमेर की सैन्य गतिविधि के एक महत्वपूर्ण केंद्र के रूप में इस्तेमाल किया गया था.
तारागढ़ किला: तारागढ़ फोर्ट का निर्माण वर्ष 1354 में किया गया था. यह किला वास्तुकला का एक शानदार और उत्कृष्ट उदाहरण पेश करता है. तारागढ़ किले को अजमेर की सैन्य गतिविधि के एक महत्वपूर्ण केंद्र के रूप में इस्तेमाल किया गया था.
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अढ़ाई दिन का झोपड़ा: अजमेर में स्थित अढ़ाई दिन का झोपड़ा मस्जिद भी काफी प्रसिद्ध है. दिल्ली के पहले सुल्तान कुतुबुद्दीन ऐबक ने 1199 ईस्वी में इसका निर्माण करवाया था. कहा जाता है कि यह ऐतिहासिक निर्माण ढाई दिन में हुआ था, इसीलिए इसे अढ़ाई दिन का झोपड़ा कहा जाने लगा.
अढ़ाई दिन का झोपड़ा: अजमेर में स्थित अढ़ाई दिन का झोपड़ा मस्जिद भी काफी प्रसिद्ध है. दिल्ली के पहले सुल्तान कुतुबुद्दीन ऐबक ने 1199 ईस्वी में इसका निर्माण करवाया था. कहा जाता है कि यह ऐतिहासिक निर्माण ढाई दिन में हुआ था, इसीलिए इसे अढ़ाई दिन का झोपड़ा कहा जाने लगा.
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अकबर महल म्यूजियम: अजमेर में अकबर महल और संग्रहालय स्थित है. सन 1500 में उस स्थान पर इसका निर्माण करवाया गया था जहां सम्राट अकबर के सैनिक रुके थे. इस म्यूजियम में पुराने सैन्य हथियारों, उत्कृष्ट मूर्तियों के साथ राजपूत के साथ-साथ मुगल शैली के जीवन और लड़ाई के विभिन्न पहलुओं को प्रदर्शित किया है.
अकबर महल म्यूजियम: अजमेर में अकबर महल और संग्रहालय स्थित है. सन 1500 में उस स्थान पर इसका निर्माण करवाया गया था जहां सम्राट अकबर के सैनिक रुके थे. इस म्यूजियम में पुराने सैन्य हथियारों, उत्कृष्ट मूर्तियों के साथ राजपूत के साथ-साथ मुगल शैली के जीवन और लड़ाई के विभिन्न पहलुओं को प्रदर्शित किया है.
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सोनीजी की नसियां: एक प्रसिद्ध जैन मंदिर सोनीजी की नसियां भी है, जिसे सिद्धकूट चैत्यालय और लाल मंदिर के रूप में भी जाना जाता है. यह नसियां मंदिर जैन धर्म के पहले तीर्थकर को समर्पित है. इस नसियां मंदिर का विशेष आकर्षण मुख्य कक्ष है, जिसे स्वर्ण नगरी या सोने का शहर कहा जाता है. जैन धर्म संस्करण में ब्रह्माण्ड की सबसे आश्चर्यजनक वास्तुकला कृतियों में से एक है.
सोनीजी की नसियां: एक प्रसिद्ध जैन मंदिर सोनीजी की नसियां भी है, जिसे सिद्धकूट चैत्यालय और लाल मंदिर के रूप में भी जाना जाता है. यह नसियां मंदिर जैन धर्म के पहले तीर्थकर को समर्पित है. इस नसियां मंदिर का विशेष आकर्षण मुख्य कक्ष है, जिसे स्वर्ण नगरी या सोने का शहर कहा जाता है. जैन धर्म संस्करण में ब्रह्माण्ड की सबसे आश्चर्यजनक वास्तुकला कृतियों में से एक है.
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फॉय सागर झील: अजमेर शहर की दो प्रमुख मानव निर्मित झीलों में से एक है फॉय सागर झील. पश्चिम में स्थित इस झील का निर्माण वर्ष 1892 में अंग्रेजी वास्तुकार मिस्टर फोय ने सूखे के दौरान अजमेर में पानी की कमी को दूर करने के लिए करवाया था. उन्हीं के नाम पर इस झील का नाम रखा गया. झील में लगे शिलालेख के मुताबिक, इसकी मूल क्षमता 15 मिलियन क्यूबिक फीट है और पानी 14,000,000 वर्ग फीट में फैला हुआ है.
फॉय सागर झील: अजमेर शहर की दो प्रमुख मानव निर्मित झीलों में से एक है फॉय सागर झील. पश्चिम में स्थित इस झील का निर्माण वर्ष 1892 में अंग्रेजी वास्तुकार मिस्टर फोय ने सूखे के दौरान अजमेर में पानी की कमी को दूर करने के लिए करवाया था. उन्हीं के नाम पर इस झील का नाम रखा गया. झील में लगे शिलालेख के मुताबिक, इसकी मूल क्षमता 15 मिलियन क्यूबिक फीट है और पानी 14,000,000 वर्ग फीट में फैला हुआ है.
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आना सागर झील: अजमेर शहर में ही आना सागर झील भी है. सूर्यास्त के वक्त इस झील का नजारा देखने लायक होता है. झील के निकट बने मंदिर इसकी खूबसूरती पर चार चांद लगाते हैं. यह झील हर साल गर्मियों के मौसम में सूख जाती है.
आना सागर झील: अजमेर शहर में ही आना सागर झील भी है. सूर्यास्त के वक्त इस झील का नजारा देखने लायक होता है. झील के निकट बने मंदिर इसकी खूबसूरती पर चार चांद लगाते हैं. यह झील हर साल गर्मियों के मौसम में सूख जाती है.

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