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In Pics: जोधपुर में मिलेट्स महोत्सव के दौरान किसानों में दिखा भारी उत्साह, केंद्रीय मंत्री ने दी ये सलाह
Rajasthan Production of Millets : केंद्रीय मंत्री ने कहा कि किसान को उद्योगपति बना सकते हैं. श्रीअन्न को रेडी टू ईट बनाने के प्रयास करने होंगे. खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय ने कई योजनाएं चलाई हैं.
(मिलेट्स महोत्सव में पहुंचे केंद्रीय मंत्री)
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Jodhpur Millets Festival: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी श्रीअन्न को पूरी दुनिया में फैलाकर किसानों की आय बढ़ाने की दिशा में कदम बढ़ा रहे हैं. किसानों में जागरूकता के लिए मिलेट्स महोत्सव का आयोजन देशभर में किया जा रहा हैं. मिनिस्ट्री आफ फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री गवर्नमेंट ऑफ़ इंडिया कि सचिन सिम्मी चौधरी ने एबीपी न्यूज़ के साथ बात करते हुए कहा कि इस आयोजन को लेकर किसानों में भारी उत्साह देखने को मिल रहा है. आने वाले समय में देश भर के 20 राज्य व 30 जिलों में मिलेट्स महोत्सव का आयोजन किया जाएग.
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केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने किसानों को आह्वान किया कि वे समय की जरूरत को ध्यान में रखते हुए फूड प्रोसेसिंग की उपयोगिता समझें और कृषि में आए वैश्विक बदलावों के अनुरूप स्वयं को तैयार कर उद्योगपति बनें. शेखावत शुक्रवार को काजरी की ओर से आयोजित मिलेट्स (श्री अन्न) पर आधारित किसान मेले और प्रदर्शनी को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित कर रहे थे.
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केंद्रीय मंत्री ने कहा कि एक समय था, जब हमारे पास पूरे देशवासियों को खिलाने लायक अनाज भी पैदा नहीं होता था. हमारे तत्कालीन प्रधानमंत्री को अनाज की कमी की समस्या को देखते हुए देशवासियों से एक दिन का व्रत रखने का आह्वान करना पड़ा, लेकिन आज स्थितियां बदल गई हैं. हम दुनिया में सबसे ज्यादा खाद्यान्न उत्पन्न करने वाले, सबसे ज्यादा मिलेट्स और सबसे ज्यादा पल्स उत्पादक देश हैं.
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खाद्यान्न की समस्या समाधान के लिए वैज्ञानिकों ने हरित क्रांति अभियान चलाया. देश को खाद्यान्न से समृद्ध करने का जो रोडमैप बनाया गया, उसमें गेहूं प्रधान था. इसका पहला दुष्प्रभाव तो यह हुआ कि पहले जहां बाजरे की रोटी बनती थी, वहां गेहूं की रोटियां बनने लगीं. दूसरा, लगातार गेहूं खाने से डायबिटिज जैसे रोगों ने भारत को घेर लिया. आज भारत को डाइबिटिज की राजधानी कहा जाता है. इसके पीछे भी श्रीअन्न को खाने की थाली से दूर करना ही है.
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केंद्रीय मंत्री ने कहा कि पूरी दुनिया में लोगों का फूड पैटर्न बदल रहा है. खान-पान और रहन-सहन बदल रहा है. भारत और उसकेे पड़ोसी देशों में खाना गरम बनाकर खाने की परम्परा है. लेकिन, अन्य देशों में रेडी टू फूड की परम्परा है, जिसमें पहले से तैयार भोजन को गरम करके खाया जाता है. भोजन एक उद्योग का रूप ले चुका, लेकिन अब भारत में भी यह परम्परा तेजी से बदल रही है. भोजन का औद्योगिकीकरण हो रहा है. यह हमारे लिए अवसर है.
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केंद्रीय मंत्री ने कहा कि किसान के बेटे को उद्योगपति बना सकते हैं. इसके लिए श्री अन्न को पौष्टिकता से भरपूर रेडी टू ईट बनाने के प्रयास करने होंगे. खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय ने कई योजनाएं चलाई हैं. उन्होंने कहा कि सरकार इसमें सपोर्ट कर रही है, लेकिन हमें इससे भी आगे बढ़कर सोचना है.
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हमें मिलेट्स के माध्यम से इस दिशा में काम करना चाहिए. हमें मार्केट से पहले प्रोडेक्ट को चिह्नित करना होगा और हमको रिवर्स इंजीनियरिंग करना होगा. हम किसान के बेटे को फूड प्रोसेसिंग की ताकत सिखाकर समृद्ध बना सकते हैं. उसे उद्योगपति बनाने की आवश्यकता है. हमें नई पीढ़ी के खानपान के टेस्ट को देखते हुए अपने एग्रो प्रोडक्ट को तैयार करने होंगे.
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केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग राज्य मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल और कृषि एवं किसान कल्याण राज्यमंत्री कैलाश चौधरी ने बाजरे से निर्मित उत्पाद जैसे बाजरे के बिस्किट, नमकीन, कुरकुरे, चॉकलेट, बाजरे से निर्मित केक-मिठाई, बाजरे की लस्सी और राबड़ी का स्वाद चखा.
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इस मौके पर उन्होंने किसानों का उत्साह भी बढ़ाया.
Published at : 22 Apr 2023 11:02 AM (IST)
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