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In Pics: इंदौर का गेंदेश्वर महादेव मंदिर, जहां रोज शाम का होती है तांडव आरती, दूर-दूर से देखने आते हैं शिव भक्त
Mahashivratri 2023: इंदौर के परदेशीपुरा के गेंदेश्वर महादेव मंदिर के गर्भगृह में 12 ज्योतिर्लिंग के साथ-साथ चारों धाम की प्रतिमाएं स्थापित हैं. मंदिर में पिछले 20 साल से शाम को तांडव आरती हो रही है.
इंदौर के गेंदेश्वर महादेव मंदिर में तांडव आरती करते पुजारी विश्वजीत शर्मा. (Image Source: Firoz Khan)
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इंदौर में स्थित है गेंदेश्वर महादेव मंदिर. इस मंदिर में गेंदेश्वर महादेव के साथ-साथ 12 ज्योतिर्लिंग भी विराजित हैं. यहां सबसे अधिक महत्वपूर्ण है प्रतिदिन शाम को होने वाले आरती. इसे तांडव आरती के नाम से जाना जाता है.इसे करते हैं मंदिर के पुजारी विश्वजीत शर्मा. आइए तस्वीरों के जरिए देखते हैं तांडव आरती. सभी तस्वीरें फिरोज खान की हैं.
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इंदौर के परदेशीपुरा में स्थित गेंदेश्वर महादेव मंदिर के गर्भगृह में 12 ज्योतिर्लिंग के साथ-साथ चारों धाम की प्रतिमाएं स्थापित हैं.
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मंदिर में रोज शाम को होने आरती को वाली तांडव आरती कहा जाता है. इसे कुछ लोग ओंकार आरती भी कहते हैं. मंदिर के पुजारी विश्वजीत शर्मा एक पैर पर खड़े होकर तांडव आरती करते हैं.
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पुजारी विश्वजीत शर्मा ने बताया कि वो प्रतिदिन 108 शिवलिंग बनाकर उनका अभिषेक पूजन करते हैं. उसी का फल है कि पिछले 20 साल से यह तांडव आरती देखने को मिल रही है.वो बताते हैं कि जिस दिन आरती नहीं कर पाते हैं उस दिन 8 से 9 बजे के बीच शरीर की स्थिति ऐसी होती है कि मैं गाड़ी भी नहीं चला पाता हूं.
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विश्वजीत शर्मा बताते हैं कि वो पिछले 20 साल से तांडव आरती कर रहे हैं. उन्होंने करीब 12 साल की अवस्था में इसे करना शुरू किया था.
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विश्वजीत शर्मा करीब 1100 रुद्राक्ष धारण कर तांडव आरती एक पांव पर करते हैं. आरती में पहले धूप फिर दियों की थाली और धूप के जरिए तांडव नृत्य किया जाता है.
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इस आरती को भक्त तांडव आरती कहते हैं. चूंकी शिव निरंकार है, इसलिए इस आरती को ऊं के आकार में आरती की जाती है.भक्तों का मानना है की इस मंदिर में शिव विराजित है.इसलिए यहां मांगी जाने वाली हर मनोकामना पूरी होती है.
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पुजारी विश्वजीत शर्मा ने बताया कि उन्हें इस आरती करने की प्रेरणा देने वाले भी भोलेनाथ ही हैं. उन्होंने बताया कि शुरू में इस मंदिर में समान्य तरीके से आरती होती थी. उन्होंने बताया कि उनके शरीर में अपने आप प्रतिक्रिया होने लगी. ओंकार की आकृति बनने लगी. आरती का तो पता होता है कि चालू हो गई है, लेकिन एक घंटा कब बीत जाता है पता ही नहीं चलता.
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महाराष्ट्र के अमरावती से तांडव आरती देखने आईं राजेश्री पांडरे ने तांडव आरती पहली बार ही देखी है. उन्होंने इसे अद्भुत बताया. वहीं ग्वालियर निवासी कमल किशोर ने बताया कि तांडव आरती देख मन अंदर से बहुत संतुष्ट हुआ. उन्होंने भी पहली बार तांडव आरती देखी.
Published at : 18 Feb 2023 11:13 AM (IST)
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