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Chhattisgarh Elections 2023: नक्सली दहशत से सूने थे जो मतदान केंद्र, इस बार वहां मतदाताओं की लगी लंबी लाइन

Chhattisgarh Elections 2023: छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग को नक्सल प्रभावित क्षेत्र कहा जाता है. नक्सलियों की दहशत से लोग लोकतंत्र के महापर्व में शामिल होने से भी डरते हैं.

Chhattisgarh Elections 2023: छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग को नक्सल प्रभावित क्षेत्र कहा जाता है. नक्सलियों की दहशत से लोग लोकतंत्र के महापर्व में शामिल होने से भी डरते हैं.

छत्तीसगढ़ चुनाव 2023

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नक्सली फरमान जारी करते हैं कि जो भी ग्रामीण वोट देगा उसकी उंगली काट दी जाएगी. इस दहशत के बीच कई ग्रामीण पिछले चुनाव तक मतदान केन्द्रों में वोट करने नहीं पहुंचते थे और घोर नक्सली प्रभावित क्षेत्र में बने मतदान केंद्र मतदाताओं के अभाव में सुबह से शाम तक सुन रहते थे. सुकमा जिले के एल्मागुंडा और मीनपा जैसे गांव में साल 2018 चुनाव में कहीं एक तो कहीं दो वोट पड़े थे. लेकिन इस बार नक्सलियों के फरमान को दरकिनार कर इस क्षेत्र के ग्रामीणों ने बढ़-चढ़कर मतदान किया है.
नक्सली फरमान जारी करते हैं कि जो भी ग्रामीण वोट देगा उसकी उंगली काट दी जाएगी. इस दहशत के बीच कई ग्रामीण पिछले चुनाव तक मतदान केन्द्रों में वोट करने नहीं पहुंचते थे और घोर नक्सली प्रभावित क्षेत्र में बने मतदान केंद्र मतदाताओं के अभाव में सुबह से शाम तक सुन रहते थे. सुकमा जिले के एल्मागुंडा और मीनपा जैसे गांव में साल 2018 चुनाव में कहीं एक तो कहीं दो वोट पड़े थे. लेकिन इस बार नक्सलियों के फरमान को दरकिनार कर इस क्षेत्र के ग्रामीणों ने बढ़-चढ़कर मतदान किया है.
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नतीजा यह रहा की 2018 में जहां दो वोट पड़े वहां 200 वोट तो वहीं जहां एक वोट पड़े वहां 100 से ज्यादा ग्रामीण मतदाताओं ने निर्भय होकर अपने मत का प्रयोग किया. सुकमा, बीजापुर,  जिले के ऐसे कई गांव है जहां इस बार पहली बार मतदान हुआ और इस मतदान केंद्र में ग्रामीण मतदाताओं ने सुबह से ही लाइन में खड़े होकर मतदान में बढ़चढ़कर हिस्सा लिया.
नतीजा यह रहा की 2018 में जहां दो वोट पड़े वहां 200 वोट तो वहीं जहां एक वोट पड़े वहां 100 से ज्यादा ग्रामीण मतदाताओं ने निर्भय होकर अपने मत का प्रयोग किया. सुकमा, बीजापुर, जिले के ऐसे कई गांव है जहां इस बार पहली बार मतदान हुआ और इस मतदान केंद्र में ग्रामीण मतदाताओं ने सुबह से ही लाइन में खड़े होकर मतदान में बढ़चढ़कर हिस्सा लिया.
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दरअसल, बस्तर संभाग के 12 विधानसभा सीटों में प्रथम चरण का मतदान 7 नवंबर को संपन्न हुआ. इन 12 विधानसभा सीटों में चुनाव संपन्न करने के लिए हजारों की संख्या में जवानों को मतदान केंद्रों की सुरक्षा में तैनात किया गया. वहीं इस बार सुकमा जिले में 21 नए मतदान केंद्र और बीजापुर में 10 और बस्तर जिले में 2 नए मतदान केंद्र  बनाए गए जिसमें सबसे ज्यादा नक्सल प्रभावित सुकमा जिले के मीनपा गांव और एल्मागुंडा को भी शामिल किया गया.
दरअसल, बस्तर संभाग के 12 विधानसभा सीटों में प्रथम चरण का मतदान 7 नवंबर को संपन्न हुआ. इन 12 विधानसभा सीटों में चुनाव संपन्न करने के लिए हजारों की संख्या में जवानों को मतदान केंद्रों की सुरक्षा में तैनात किया गया. वहीं इस बार सुकमा जिले में 21 नए मतदान केंद्र और बीजापुर में 10 और बस्तर जिले में 2 नए मतदान केंद्र बनाए गए जिसमें सबसे ज्यादा नक्सल प्रभावित सुकमा जिले के मीनपा गांव और एल्मागुंडा को भी शामिल किया गया.
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गांव में मतदान केंद्र बनाने की वजह से एक तरफ जहां ग्रामीणों को मतदान केंद्र तक पहुचने कई किलोमीटर का पैदल सफर नहीं करना पड़ा, तो वहीं दूसरी तरफ जवानों की सुरक्षा के चलते ग्रामीणों ने सुबह से ही कतार में लगकर अपने मतदान का प्रयोग किया.
गांव में मतदान केंद्र बनाने की वजह से एक तरफ जहां ग्रामीणों को मतदान केंद्र तक पहुचने कई किलोमीटर का पैदल सफर नहीं करना पड़ा, तो वहीं दूसरी तरफ जवानों की सुरक्षा के चलते ग्रामीणों ने सुबह से ही कतार में लगकर अपने मतदान का प्रयोग किया.
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सुकमा जिला निर्वाचन अधिकारी और कलेक्टर एस. हरीश ने बताया कि साल 2018 के विधानसभा चुनाव में मीनपा गांव से ग्रामीणों के दो वोट और एल्मागुंडा गांव से 8 वोट पड़े थे. इन गांव के लोगों ने चिंतलनार में बने मतदान केंद्र में जाकर वोट दिया, लेकिन इस बार इस गांव में मतदान केंद्र बनाया गया और यहां इस बार मीनपा गांव में 117 और एल्मागुंडा में 200 से ज्यादा मतदाताओं ने अपने मतदान का प्रयोग किया.
सुकमा जिला निर्वाचन अधिकारी और कलेक्टर एस. हरीश ने बताया कि साल 2018 के विधानसभा चुनाव में मीनपा गांव से ग्रामीणों के दो वोट और एल्मागुंडा गांव से 8 वोट पड़े थे. इन गांव के लोगों ने चिंतलनार में बने मतदान केंद्र में जाकर वोट दिया, लेकिन इस बार इस गांव में मतदान केंद्र बनाया गया और यहां इस बार मीनपा गांव में 117 और एल्मागुंडा में 200 से ज्यादा मतदाताओं ने अपने मतदान का प्रयोग किया.
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पहली बार देखा गया कि मतदान को लेकर इन क्षेत्र के ग्रामीणों में काफी उत्साह देखने के साथ निर्भय होकर ग्रामीणों ने मतदान किया. इसके अलावा जिन मतदान केन्द्रों में एक तीन और 8, 10, 12 वोट पड़े थे उन सभी मतदान केंद्रों में 50 से 60% ग्रामीणों के वोट पड़े. कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि लोकतंत्र के महापर्व में ग्रामीणों ने बढ़-चढ़कर मतदान किया.
पहली बार देखा गया कि मतदान को लेकर इन क्षेत्र के ग्रामीणों में काफी उत्साह देखने के साथ निर्भय होकर ग्रामीणों ने मतदान किया. इसके अलावा जिन मतदान केन्द्रों में एक तीन और 8, 10, 12 वोट पड़े थे उन सभी मतदान केंद्रों में 50 से 60% ग्रामीणों के वोट पड़े. कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि लोकतंत्र के महापर्व में ग्रामीणों ने बढ़-चढ़कर मतदान किया.
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यह स्थिति बीजापुर, बस्तर कांकेर और नारायणपुर में भी देखने को मिली. जिन नक्सल प्रभावित गांवों में बनाए गए मतदान केन्द्रों में नक्सलियों की दहशत की वजह से एक दो या तीन से ज्यादा वोट नहीं पड़ते थे, वहां भी बड़ी संख्या में ग्रामीण मतदाता निर्भय होकर मतदान करने पहुंचे.
यह स्थिति बीजापुर, बस्तर कांकेर और नारायणपुर में भी देखने को मिली. जिन नक्सल प्रभावित गांवों में बनाए गए मतदान केन्द्रों में नक्सलियों की दहशत की वजह से एक दो या तीन से ज्यादा वोट नहीं पड़ते थे, वहां भी बड़ी संख्या में ग्रामीण मतदाता निर्भय होकर मतदान करने पहुंचे.
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बस्तर संभाग के घोर नक्सल प्रभावित 4 विधानसभा में  2018 विधानसभा  चुनाव के मुकाबले इस बार बीजापुर विधानसभा में अनुमानित  46% मतदान हुआ है, जबकि 2018 के चुनाव में 48% मतदान हुआ. वहीं सुकमा कोंटा विधानसभा में इस बार अनुमानित  62% मतदान हुआ है. वहीं पिछले 2018 के चुनाव में 55 %मतदान हुआ. वहीं नारायणपुर में इस बार अनुमानित  73 % मतदान हुआ. वहीं 2018 के चुनाव में 74 % प्रतिशत हुआ था. वहीं कांकेर विधानसभा में अनुमानित 79 % मतदान हुआ है. वहीं 2018 के विधानसभा चुनाव 75% मतदान हुआ.
बस्तर संभाग के घोर नक्सल प्रभावित 4 विधानसभा में 2018 विधानसभा चुनाव के मुकाबले इस बार बीजापुर विधानसभा में अनुमानित 46% मतदान हुआ है, जबकि 2018 के चुनाव में 48% मतदान हुआ. वहीं सुकमा कोंटा विधानसभा में इस बार अनुमानित 62% मतदान हुआ है. वहीं पिछले 2018 के चुनाव में 55 %मतदान हुआ. वहीं नारायणपुर में इस बार अनुमानित 73 % मतदान हुआ. वहीं 2018 के चुनाव में 74 % प्रतिशत हुआ था. वहीं कांकेर विधानसभा में अनुमानित 79 % मतदान हुआ है. वहीं 2018 के विधानसभा चुनाव 75% मतदान हुआ.

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