'6,161 कैदी कर रहे मौत की सजा का सामना', मृत्युदंड को लेकर 20 सालों का पाकिस्तान का ये डेटा डरा देगा
एक एनजीओ ने रिपोर्ट जारी कर बताया कि साल 2004 से अब तक पाकिस्तान में कम से कम 4,500 लोगों को मौत की सजा सुनाई गई है, यानी औसतन प्रत्येक दिन एक व्यक्ति को अदालत ने यह सजा सुनाई.
पाकिस्तान विश्व में सबसे अधिक मृत्युदंड देने वाले देशों में शामिल है . वैश्विक स्तर पर मौत की सजा का सामना कर रहे कैदियों में 26 फीसदी पाकिस्तान में हैं. एक गैर सरकारी संगठन द्वारा गुरुवार (10 अक्टूबर, 2024) को एक रिपोर्ट जारी की. कानूनी कार्रवाई समूह 'जस्टिस प्रोजेक्ट पाकिस्तान' (JPP) ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट में कहा है कि 2024 में कुल 6,161 कैदी मौत की सजा का सामना कर रहे हैं, जबकि 2023 में यह संख्या 6,039 थी. यह संख्या पहले के रुझानों से अलग है, जब 2022 में मौत की सजा का सामना कर रहे लोगों की संख्या 3,226 थी.
लाहौर के गैर सरकारी संगठन ने 22वें विश्व मृत्युदंड विरोधी दिवस पर अपनी वार्षिक रिपोर्ट का तीसरा संस्करण जारी किया है, जिसका शीर्षक है पाकिस्तान में मृत्युदंड : मृत्युदंड का डेटा विश्लेषण'. इस तरह के कैदियों की सबसे अधिक संख्या 2,505 पंजाब प्रांत में है, जिसके बाद 2,311 कैदी खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में हैं.
जेपीपी के आंकड़ों से यह भी पता चला है कि पाकिस्तान मृत्युदंड का सबसे अधिक इस्तेमाल करने वाले देशों में एक है. आंकड़ों में कहा गया है कि वैश्विक स्तर पर मौत की सजा का सामना कर रहे कैदियों में 26 फीसदी पाकिस्तान में हैं. जेपीपी की रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान में मृत्युदंड पाने वालों का आंकड़ा पूरे विश्व में 13 प्रतिशत है.
गैर सरकारी संगठन की रिपोर्ट के अनुसार, 2004 से अब तक पाकिस्तान में कम से कम 4,500 लोगों को मौत की सजा सुनाई गई है, यानी औसतन प्रत्येक दिन एक व्यक्ति को अदालत ने यह सजा सुनाई. दुनिया भर में, अदालतों द्वारा मौत की सजा सुनाये जाने वाला हर सातवां व्यक्ति और विश्व भर में मृत्युदंड पाने वाला हर आठवां व्यक्ति पाकिस्तानी है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान को 'विश्व स्तर पर मृत्युदंड का सबसे अधिक इस्तेमाल करने वाले देशों में से एक' बताया गया है, जो एक चिंताजनक आंकड़ा है और सुधार की तत्काल आवश्यकता को रेखांकित करता है. रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान ने दिसंबर 2019 के बाद से मृत्युदंड नहीं दिया है, लेकिन यह मृत्युदंड का सबसे अधिक इस्तेमाल करने वालों में से एक है, जहां 31 से अधिक अपराधों के लिए फांसी की सजा का प्रावधान है.
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