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Explained: ताइवान तो सिर्फ बहाना है, चीन का असली मकसद समंदर के इस हिस्से को कब्जाना है!

PLA War Drill: चीन ऐसा जता रहा है कि अमेरिकी हाउस स्पीकर नैंसी पेलोसी की ताइवान यात्रा से वह भड़का हुआ है और ताइवान के चारों ओर युद्धाभ्यास कर रहा है लेकिन इस सबके पीछे एक और वजह हो सकती है.

South China Sea: अमेरिकी स्पीकर नैंसी पेलोसी (Nancy Pelosi) की मेजबानी करने की सजा के तौर पर चीन (China) ताइवान (Taiwan) के चारों ओर युद्धाभ्यास (PLA War Drill) तो कर ही रहा है, साथ ढाई करोड़ की आबादी वाले इस देश पर बड़े व्यापारिक प्रतिबंधों का एलान भी कर दिया है. अब चीन ताइवान से फलों और मछलियों का आयात नहीं करेगा. चीन में ताइवान से आने वाले बिस्किट और पेस्ट्री पर भी रोक लगा दी गयी है. इसके अलावा चीन ने रेत के निर्यात पर रोक लगा दी है. चीन ने दर्जनों ताइवानी कंपनियों को बैन कर दिया है. ये सब इसलिए किया गया क्योंकि चीन ताइवान का सबसे बड़ा ट्रेड पार्टनर है. ऐसे में आयात-निर्यात पर रोक लगने से ताइवान की अर्थव्यवस्था (Taiwan Economy) को बड़ा झटका लग सकता है.

अगर अमेरिका (America) और चीन के बीच तनाव बढ़ा और हालात युद्ध (War) तक पहुंच गए तो अर्थव्यवस्था का यह झटका सिर्फ द्वीपीय देश तक ही नहीं रुकेगा. नतीजतन लड़ाई उस साउथ चाइना सी तक पहुंचेगी जिसे लेकर अमेरिका और चीन के बीच पहले से ही तनाव बना हुआ है. इस समुद्री इलाके को लेकर चीन के अपने हित हैं, जिन्हें वह किसी कीमत पर खोना नहीं चाहता है. देखा जाए तो ताइवान तो सिर्फ बहाना है, चीन का असली मकसद साउथ चाइना सी को कब्जाना है. आखिर वह ऐसा क्यों करना चाहता है. आइये जानते हैं?

क्या है साउथ चाइना सी

साउथ चाइना सी से चीन समेत 10 देशों की सीमाएं लगती हैं. इनमें चीन, ताइवान, फिलीपींस, इंडोनेशिया, ब्रूनेई, सिंगापुर, मलेशिया, थाईलैंड, कंबोडिया और वियतनाम शामिल हैं. इनमें से कुछ मुल्कों के साथ चीन का झगड़ा भी हो चुका है क्योंकि ड्रैगन ने इस समंदर के लगभग 90 फीसदी हिस्से पर अपना कब्जा जमाया हुआ है. कुछ समय पहले चीन ने दुनिया को चौंका दिया था, जब उसने समंदर के कुछ हिस्सों को पाटना शुरू किया था. चीन ने समंदर के भीतर मजबूत नींव डालकर वहां कृत्रिम द्वीप बना डाले हैं. इस समंदर के बीच कृत्रिम द्वीप चीन का सबसे महत्वाकांक्षी और सबसे खतरनाक प्रोजेक्ट है, जो समंदर में पर्यावरण को भी तबाह कर रहा है. अमेरिका को इसकी भनक बहुत देर में लगी.

चीन इस समंदर स्थित मौजूदा द्वीपों को बड़ा करके यहां सैन्य अड्डे बना रहा है ताकि दक्षिण पूर्व एशिया में उसका दखल रहे. इस इलाके को कब्जाए रखने की एक वजह यह भी है कि साउथ चाइना सी के गर्भ में कुदरत का अनमोल खजाना छिपा है. एक अनुमान के मुताबिक साउथ चाइना सी में करीब 11 बिलियन बैरल तेल है, जिसका दोहन नहीं किया गया है. यही नहीं इसमें करीब 190 ट्रिलियन क्यूबिट फीट प्राकृतिक गैस का भंडार भी मौजूद है. इसीलिए साउथ चाइना सी पर चीन का दबदबा अमेरिका और पश्चिमी देशों को खटकता रहा है.

यह भी पढ़ें- Explained: चीन और ताइवान के बीच कितनी पुरानी है ये दुश्मनी, कैसे इस झगड़े के बीच आ गया है अमेरिका?

साउथ चाइना सी में इसलिए हैं बाकी देशों की दिलचस्पी

अमेरिका समेत बाकी देशों की इस इलाके में दिलचस्पी तब बढ़ी जब चीन ने इस समंदर में तेल की खोज शुरू की. यह 1970 के दशक के दौर की बात है, वरना उससे पहले तक किसी भी अन्य देश ने इस समंदर के टुकड़े पर अपना दावा नहीं किया था. अब सबको अहसास हो चुका है कि आर्थिक और सामरिक तौर पर साउथ चाइना सी कितना अहम है. साउथ चाइना सी की गहराई में आज अगर बारूद बोया जा रहा है, इसके द्वीपों को पाटकर कई हजार हेक्टेयर की नई जमीन तैयार की जा चुकी है और यहां सैन्य अड्डे तैयार किए जा रहे हैं तो इन सारी गतिविधियों का कनेक्शन न सिर्फ सुरक्षा हितों से, बल्कि आर्थिक हितों से भी जुड़ता है.

इसे ऐसे समझिए कि साउथ चाइना सी दुनिया के सबसे व्यस्ततम समुद्री मार्ग में से एक है. दुनिया में होने वाले व्यापार का 80 फीसदी हिस्सा समुद्री मार्ग गुजरता है जबकि इस कारोबार का एक तिहाई साउथ चाइना सी से होकर गुजरता है. इसी कारोबार पर चीन की नजर है. यह किसी से छिपी नहीं है कि साउथ चाइना सी के जरिये चीन दक्षिण पूर्व एशिया में अपना दबदबा बढ़ाना चाहता है लेकिन इस समंदर से जुड़े दक्षिण पूर्व एशियाई देशों में अमेरिका ने अपनी मौजूदगी बढ़ाकर चीन को चुनौती दी हुई है. चीन हर हाल में यहां से अमेरिका को खदेड़ना चाहता है. 

साउथ चाइना सी के एक किनारे पर स्थित ताइवान को लेकर उमड़ता अमेरिका का प्रेम इसलिए भी चीन को खटक रहा है. ताइवान में 25 साल बाद अमेरिकी स्पीकर नैंसी पेलोसी की एंट्री से चीन भड़का हुआ है. आखिर साउथ चाइन सी इलाके में उसने अपनी सैन्य गतिविधियां बढ़ा दी हैं.

यह भी पढ़ें- Explained: ड्रैगन की क्या है 'वन चाइना पॉलिसी' और ताइवान के साथ कैसा है बीजिंग का संबंध

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