By: ABP News Bureau | Updated at : 20 Aug 2016 01:41 PM (IST)
लखनऊ: आखिर कौन है अखिलेश यादव का सबसे करीबी और चहेता अफसर? दावेदार तो कई हैं, लेकिन तस्वीर अब साफ़ हो गयी है. इस अधिकारी के रास्ते में जो भी आया, अखिलेश खुद हमेशा ढाल बन कर खड़े हुए. कोर्ट कचहरी से लेकर जांच की आंच और सीबीआई तक उन्हें नहीं छू पायी. मायावती के राज में भी उनकी खूब चली. अंगद की तरह पिछले छह सालों से वे एक ही जगह पर डटे हुए हैं. क्या मजाल उन्हें कोई हिला दे. उनके मामले में तो मुलायम सिंह यादव तक को पीछे हटना पड़ा.
अखिलेश यादव की आंखों के तारे हैं रमारमण ना तो बहुत दिमाग लगाने की जरुरत नहीं है, ना ही किसी से पूछने पाछने की. विवादों से दूर रहने वाले नोएडा अथॉरिटी के सीईओ रमारमण यूपी के सीएम अखिलेश यादव की आंखों के तारे हैं. कुछ ही दिनों पहले तक वे नोएडा अथॉरिटी के चैयरमैन के अलावा ग्रेटर नोएडा और यमुना एक्सप्रेसवे अथॉरिटी के भी चेयरमैन थे.
यही नहीं अखिलेश राज में करीब ढाई सालों तक तो वे तीनों ही अथॉरिटी के चैयरमैन और सीईओ भी रहे. आपको बता दें कि ऐसा पहली बार हुआ था जब कोई शख्स तीनों अथॉरिटी के चैयरमैन के साथ-साथ सीईओ के पद पर भी विराजमान रहा हो.

तीनों अथॉरिटी के सर्वेसर्वा बन गए रमारमण
सितंबर दो हज़ार बारह तक वे सिर्फ ग्रेटर नोएडा और यमुना एक्सप्रेसवे अथॉरिटी के ही सीईओ थे. लेकिन इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के बाद राकेश बहादुर को नोएडा अथॉरिटी के चेयरमैन और संजीव शरण को सीईओ से हटना पड़ा. इसके बाद रमा रमण तीनों अथॉरिटी के सर्वेसर्वा बन गए. कहते है उनके आदेश ही नोएडा में क़ानून है.
पिछले ही महीने इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश के बाद रमा रमण को बाकी पदों से हटा दिया गया था. वे अब सिर्फ नोएडा अथॉरिटी के सीईओ है. हाईकोर्ट ने अखिलेश सरकार से पूछा था कि "आखिर ऐसा क्या ख़ास है इस अफसर में कि सालों से हर पद पर वही जमे हैं."
कोर्ट के कड़े तेवर के बाद प्रबीर कुमार को नोएडा का सीईओ छोड़ कर सभी चार्ज दे दिए गए. लेकिन महीना भी नहीं बीता और कुमार हटा दिए गए. अंदर की खबर है कि प्रबीर कुमार की रमा रमण से नहीं बनी और फिर उन्हें नोएडा से बाहर कर दिया गया.
लखनऊ से लेकर दिल्ली तक है रमारमण की "पहुंच"
लखनऊ से लेकर दिल्ली तक सत्ता के गलियारों में रमा रमण की "पहुंच" का लोहा सब मानते है. 1987 बैच के IAS अधिकारी रमण बिहार के बेगूसराय के रहने वाले है. वे बहुत कम बोलते है. और मिलनसार है.
मायावती के राज में ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी के सीईओ बनने से पहले वे डेपुटेशन पर केंद्र में तैनात थे. अप्रैल 2010 में वे यूपी आये और पहली पोस्टिंग ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी में हुई. उनके रहते हुए ही यादव सिंह दुबारा तीनों अथॉरिटी के चीफ इंजीनियर बनाये गए. कहते है रामा रमण पर बहिनजी की भी कृपा रही. मायावती के राज में भी कई बड़े अफसरों ने रमण को हटाने की कोशिश की और खुद ही हटा दिए गए. अखिलेश यादव के राज में तो रमा रमण उनके लिए जरूरी बन गए. जिस बड़े अधिकारी ने रमण के काम में अड़ंगा डाला, या तो अखिलेश ने उन्हें सस्पेंड कर दिया या फिर उन्हें हटा दिया. प्रमुख सचिव औद्योगिक विकास रहते हुए अनिल गुप्ता ( अभी IAS असोसिएशन के अध्यक्ष ) और सूर्य प्रताप सिंह सिंह ( अब रिटायर्ड ) ने उनकी बात नहीं मानी और चलता कर दिए गए.
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