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क्या कांग्रेस पार्टी से न्याय कर पाएगी राहुल गांधी की 'न्याय यात्रा'?

Bharat Nyay Yatra: भारत न्याय योजना का ये नाम निकला है कांग्रेस के 2019 के लोकसभा चुनाव वाले घोषणा पत्र से, जिसमें कांग्रेस का सबसे बड़ा वादा न्याय योजना का था.

Bharat Nyay Yatra: दक्षिण से उत्तर तक भारत को जोड़ने की यात्रा कर चुके कांग्रेस नेता राहुल गांधी अब न्याय यात्रा पर निकलने वाले हैं. करीब 6600 किलोमीटर लंबी इस यात्रा में राहुल गांधी मणिपुर से मुंबई के बीच 14 राज्यों के 85 शहरों से होकर गुजरेंगे. अब कहने को तो कांग्रेस कह रही है कि राहुल गांधी की ये यात्रा आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक न्याय के लिए होगी, लेकिन असल सवाल तो ये है कि क्या राहुल गांधी अपनी इस यात्रा के जरिए अपनी खुद की पार्टी कांग्रेस के साथ न्याय कर पाएंगे और उससे भी बड़ा सवाल कि क्या राहुल गांधी इस यात्रा के जरिए कांग्रेस की सीटों में कम से कम इतना इजाफा कर पाएंगे कि लोकसभा में पार्टी के सांसदों की संख्या तीन अंकों तक पहुंच जाएगी, आज बात इसी मुद्दे पर.

यूं तो पहले कर्नाटक और फिर तेलंगाना में सरकार बनने के बाद कांग्रेस के नेता दावा करते हैं कि इन राज्यों में मिली सफलता की सबसे बड़ी वजह राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा रही है. हालांकि इसी यात्रा के बावजूद कांग्रेस राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश क्यों हार गई, इसका जवाब कोई भी कांग्रेसी नहीं देना चाहता. असफलता से मुंह मोड़कर सफलता के दो उदाहरण सामने रख अब कांग्रेस राहुल गांधी के लिए एक और 6600 किलोमीटर लंबी यात्रा के लिए तैयार है, जिसे नाम दिया गया है न्याय यात्रा.

कैसे मिला भारत न्याय यात्रा नाम?

इस यात्रा के बारे में बात करने से पहले बात कर लेते हैं इसके नाम पर. ये नाम निकला है कांग्रेस के 2019 के लोकसभा चुनाव वाले घोषणा पत्र से, जिसमें कांग्रेस का सबसे बड़ा वादा न्याय योजना का था. इसमें कांग्रेस की ओर से कहा गया था कि देश के हर गरीब परिवार को साल में 72 हजार रुपये दिए जाएंगे. तब कांग्रेस को चुनाव में बड़ी हार का सामना करना पड़ा था. हार की समीक्षा के लिए जो कमिटी बनी थी, उसने पाया कि देश के अधिकांश हिस्सों में न्याय योजना के बारे में लोगों को पता नहीं चला और कांग्रेस के हारने की सबसे बड़ी वजह यही थी तो अब 2024 के चुनाव जब सामने हैं, तो कांग्रेस उसी न्याय योजना को आगे बढ़ाने के लिए न्याय यात्रा के पथ पर सवार हो रही है, जिसका नेतृत्व खुद राहुल गांधी के हाथ में दिया गया है.

एमपी, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में नहीं दिखा असर

हालांकि, सवाल अब भी अपनी जगह पर कायम है कि क्या न्याय यात्रा के जरिए राहुल गांधी न्याय योजना समझाकर भी वोट हासिल कर पाएंगे, क्योंकि इस यात्रा में पूर्वोत्तर के राज्य मणिपुर से लेकर हिंदी पट्टी के राज्य यूपी-बिहार भी शामिल हैं और मध्य प्रदेश-राजस्थान जैसे राज्य भी जहां अभी-अभी कांग्रेस की करारी हार हुई है. अब कहने को तो मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा का भी असर दिखना चाहिए था जो नहीं दिखा. तो अब न्याय यात्रा का असर कितना दिखेगा, ये तो 2024 के चुनाव के दौरान ही साफ होगा, क्योंकि भारत जोड़ो यात्रा करीब 4500 किलोमीटर की थी, जिसे कवर करने में कांग्रेस नेता राहुल गांधी को करीब 5 महीने का वक्त लगा था. 

इंफाल से मुंबई तक की भारत न्याय यात्रा

अभी की ये न्याय यात्रा 14 जनवरी को मणिपुर की राजधानी इंफाल से शुरू होकर नागालैंड, असम, मेघालय, पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड, ओडिशा, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान और गुजरात होते हुए 20 मार्च को महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई पहुंचेगी. करीब 10 हफ्ते की इस यात्रा में राहुल को 6200 किलोमीटर का सफर तय करना है, जो पिछली यात्रा के मुकाबले कहीं ज्यादा दूरी है और वक्त उससे भी आधा. ऐसे में राहुल गांधी इस यात्रा के जरिए कितनी छाप छोड़ पाएंगे और कितने वोट जोड़ पाएंगे, ये सवाल तो बना ही रहेगा.

इंडिया गठबंधन पर भी पड़ सकता है असर!

बाकी तो इस यात्रा के दौरान सवाल इंडिया गठबंधन का भी होगा, क्योंकि राहुल गांधी की ये यात्रा पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र से भी गुजरने वाली है, जहां इंडिया गठबंधन में बड़े-बड़े दावेदार हैं. चाहे वो बात बंगाल में टीएमसी और लेफ्ट पार्टियों की हो या फिर बिहार में जेडीयू और आरजेडी की हो या फिर झारखंड में झारखंड मुक्ति मोर्चा की हो या फिर उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी की हो या फिर महाराष्ट्र में एनसीपी और उद्धव गुट वाली शिवसेना की, यहां पर कांग्रेस को इन्हीं दलों से सीट शेयरिंग करनी है. और ऐसे में यात्रा के जरिए राहुल गांधी कांग्रेस का बेस तो शायद मज़बूत कर लें, लेकिन कांग्रेस की बढ़ती ताकत से गठबंधन तो कमजोर पड़ ही जाएगा. 

जहां निकलेगी न्याय यात्रा, वहां कांग्रेस की कितनी सीटें?

रही बात लोकसभा सीटों की, तो राहुल गांधी की जो यात्रा मणिपुर से लेकर महाराष्ट्र तक होने वाली है, उसमें लोकसभा की कुल सीटें हैं 355. और इनमें फिलवक्त कांग्रेस के पास हैं महज 14 सीटें. सहयोगी दलों को भी जोड़ लें, जो अब इंडिया गठबंधन का हिस्सा हो चुके हैं तो ये सीटें पहुंचती हैं 67. ऐसे में न्याय यात्रा के जरिए 355 में से राहुल गांधी की नज़र कम से कम 200 सीटों पर होगी ताकि वो दक्षिण भारत के सहयोगियों के जरिए आंकड़े को 272 के पार लेकर जा सकें. लेकिन क्या ये इतना आसान है, इसका जवाब अब भी राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा में खोजने पर मिल जाता है. तो थोड़ी मेहनत आप भी करिए. खोजिए कि राहुल गांधी इस न्याय यात्रा के जरिए कांग्रेस के लिए क्या हासिल कर पाएंगे.

 

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